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आजकल त्वचा से जुड़ी समस्याओं का उत्पन्न होना आम हो गया है। इन त्वचा रोगों की सूची लंबी है, जिनमें से कुछ जल्द ठीक हो जाते हैं और कुछ आसानी से पीछा नहीं छोड़ते। सोरायसिस भी एक ऐसा ही गंभीर चर्म रोग है, जो त्वचा को बुरी तरह प्रभावित करता है। इस स्थिति में खुजली करने से त्वचा लाल और पपड़ीदार बनने लगती है। इस परेशानी से जुड़ी जरूरी जानकारी पाने के लिए स्टाइलक्रेज का यह लेख पढ़ें। यहां सोरायसिस के कारण, सोरायसिस के लक्षण और सोरायसिस का घरेलू इलाज कैसे होता है, इसकी जानकारी रिसर्च के आधार पर दी गई है।
आगे मुख्य जानकारी है
सबसे पहले जान लेते हैं कि सोरायसिस क्या है।
सोरायसिस क्या है – What is Psoriasis in Hindi
सोरायसिस एक चर्म रोग है, जो त्वचा कोशिकाओं के जीवन चक्र में बदलाव करता है। साधारण स्थिति में त्वचा कोशिकाएं (Skin Cells) अंदर से बढ़ती हैं। फिर महीने में एक बार त्वचा की सतह पर पहुंचती हैं, लेकिन सोरायसिस की अवस्था में कोशिकाएं 14 दिन में ही त्वचा के ऊपर आकर नष्ट हो जाती हैं। सोरायसिस से प्रभावित त्वचा लाल और सफेद परतदार दिखती है। साथ ही खुजली व जलन भी हो सकती है (1)।
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अब हम सोरायसिस का असर शरीर के कौन से भाग पर होता है, इसकी जानकारी दे रहे हैं।
सोरायसिस शरीर के कौन से हिस्से को प्रभावित करता है?
सोरायसिस बीमारी का प्रभाव हर व्यक्ति पर अलग-अलग तरीके से होता है। ऐसे में भिन्न-भिन्न व्यक्ति के शरीर का अलग-अलग भाग प्रभावित हो सकता है। सामान्य तौर पर सोरायसिस शरीर के इन हिस्सों को प्रभावित करता है (2):
- सिर
- कोहनी
- घुटने
- पीठ
- कान के पीछे का भाग
- हाथ (हथेली)
- तलवा
- नाभि
- स्कैल्प
- जोड़
- नाखून
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लेख के अगले भाग में हम सोरायसिस के प्रकार बता रहे हैं।
सोरायसिस के प्रकार – Different Types of Psoriasis in Hindi
सोरायसिस बीमारी कई रूपों से त्वचा को प्रभावित कर सकती है, जिनमें से प्रमुख इस प्रकार हैं (1) :
- एरिथ्रोडर्मिक – इसमें त्वचा पर लालिमा तीव्र हो जाती है और इससे शरीर का बड़ा हिस्सा प्रभावित होता है।
- गुट्टेट – त्वचा पर छोटे व गुलाबी-लाल धब्बे दिखाई देते हैं। यह प्रकार खासकर बच्चों को होने वाले स्ट्रेप इंफेक्शन (गले में खराश व खराश पैदा करने वाला बैक्टीरियल संक्रमण) से जुड़ा होता है।
- इनवर्स – यह कोहनी और घुटनों जैसे सामान्य क्षेत्रों की जगह शरीर के अन्य हिस्सों जैसे बगल व कमर आदि में होता है। इसमें त्वचा लाल हो जाती है और उसपर जलन भी होती है।
- प्लाक – इसमें त्वचा मोटी, लाल व धब्बेदार हो जाती है। साथ ही त्वचा पर चांदी के रंग जैसी सफेद पपड़ी उभर आती है।
- पस्टुलर (Pustular) – इस स्थिति में त्वचा पीले मवाद भरे छालों से भर जाती है।
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चलिए, अब जानते हैं कि सोरायसिस किन किन कारणों से हो सकता है।
सोरायसिस के कारण – Causes of Psoriasis Hindi
सोरायसिस किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकता है, लेकिन इसके सबसे ज्यादा मामले 15 से 35 और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों में देखे गए हैं। इस चर्म रोग के विकसित होने के पीछे कई कारण होते हैं, जिन्हें हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से बता रहे हैं (1) :
- बैक्टीरिया या वायरस से संक्रमण
- शुष्क हवा या शुष्क त्वचा
- त्वचा पर चोट लगना (त्वचा के कटने, जलने, कीड़े के काटने से)
- दवाओं का दुष्प्रभाव, जिसमें एंटी मलेरिया जैसी दवाएं शामिल हैं
- तनाव
- बहुत कम धूप
- बहुत अधिक धूप के कारण सनबर्न
- कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली से समस्या गंभीर होती है
नीचे और जानकारी है
आगे सोरायसिस के लक्षण पर एक नजर डाल लेते हैं।
सोरायसिस के लक्षण – Symptoms of Psoriasis in Hindi
चर्म रोग कई प्रकार के होते हैं। इनमें से सोरायसिस की पहचान करना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में निम्नलिखित लक्षणों से सोरायसिस की पहचान की जा सकती है (1) :
- खुजली
- सूखी, सफेद और परतदार त्वचा
- त्वचा का लाल-गुलाबी होना
- त्वचा का मोटा होना
- जोड़ों में दर्द
- नाखूनों में बदलाव (मोटे नाखून और उनमें पीला-भूरा रंग व गड्ढे दिखना)
लेख को पढ़ते रहें
अब हम आगे सोरायसिस का निदान करने के तरीके बता रहे हैं।
सोरायसिस का निदान- Psoriasis Diagnosis in Hindi
सोरायसिस का निदान करने के लिए डॉक्टर कई उपाय अपना सकते हैं। इनमें ये शामिल हैं:
- शारीरिक परीक्षण – किसी भी समस्या के बारे में पता करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले फिजिकल एग्जामिनेशन करते हैं। इस दौरान डॉक्टर प्रभावित त्वचा को देखकर समस्या के बारे में बताते हैं और गंभीरता के आधार पर अन्य जांच करने की सलाह दे सकते हैं (1)।
- स्किन बायोप्सी – सोरायसिस का निदान करने के लिए स्किन बायोप्सी भी की जाती है (1)। निदान की इस प्रक्रिया के दौरान त्वचा से ऊतक निकाले जाते हैं। इन ऊतक को प्रयोगशाला में जांचा जाता है, जिससे परेशानी का पता लगता है (3)।
- डर्मोस्कोपी – इस तकनीक का इस्तेमाल त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं का निदान करने के लिए किया जाता है। सोरायसिस जैसे चर्म रोग के निदान के लिए भी डर्मोस्कोपी के मदद ली जा सकती है। हालांकि, सोरायसिस के निदान के लिए इस तकनीक का बहुत कम जगहों पर इस्तेमाल होता है (4)।
आगे और जानकारी है
लेख में आगे बढ़ते हुए पढ़िए सोरायसिस का इलाज किस तरह से होता है।
सोरायसिस का इलाज- Psoriasis Treatment In Hindi
सोरायसिस का इलाज करने के लिए डॉक्टर कुछ इस तरह की सलाह दे सकते हैं (1) :
- टॉपिकल ट्रीटमेंट – सोरायसिस से राहत पाने के लिए टोपिकल ट्रीटमेंट का सहारा लिया जा सकता है। इस इलाज के दौरान स्किन लोशन, मलहम, क्रीम और शैंपू का इस्तेमाल करने की डॉक्टर सलाह देते हैं।
- सिस्टमिक (बॉडी वाइड) ट्रीटमेंट – इलाज की इस प्रक्रिया के समय डॉक्टर कुछ गोलियां (दवाई) या इंजेक्शन देते हैं, जो न सिर्फ त्वचा को प्रभावित करते हैं, बल्कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पर भी असर डालते हैं।
- फोटोथेरेपी – इस इलाज के दौरान अल्ट्रावायलेट लाइट का उपयोग किया जाता है। इसके लिए अल्ट्रावायलेट ए (UVA) और अल्ट्रावायलेट बी (UVB) लाइट की मदद ली जा सकती है।
लेख में बने रहें
अब हम आगे सोरायसिस का घरेलू उपचार की जानकारी दी जा रही है।
सोरायसिस (छाल रोग) के घरेलू उपाय – Home Remedies for Psoriasis in Hindi
सोरायसिस से राहत पाने के लिए डॉक्टरी इलाज के अलावा कुछ घरेलू तरीके को भी किया जा सकता है। इसके लिए नीचे बताए जा रहे घरेलू सामग्री मददगार हो सकते हैं:
1. नीम का तेल
सामग्री :
- नीम का तेल
कैसे करें इस्तेमाल :
- नीम के तेल की कुछ बूंदें उंगलियों या रुई पर डालकर प्रभावित जगह पर लगाएं।
- ऐसा दिन में दो बार कर सकते हैं।
कैसे है लाभदायक :
सोरायसिस की दवा की तरह घर में नीम के तेल का उपयोग किया जाता है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर पब्लिश एक मेडिकल रिसर्च के मुताबिक, नीम का तेल कई त्वचा संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए दवाई का कार्य कर सकता है। इन त्वचा संबंधी समस्याओं में से एक सोरायसिस भी है। दरअसल, नीम में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल प्रभाव होते हैं (5)। ये सोरायसिस संबंधी बैक्टीरिया और वायरस को खत्म कर सकते हैं (1)।
2. एलोवेरा
सामग्री :
- मध्यम आकार का एलोवेरा का पत्ता
कैसे करें इस्तेमाल :
- एलोवेरा को पानी से साफ करें और थोड़ी देर फ्रिज में ठंडा होने के लिए रख दें।
- अब चाकू की मदद से एलोवेरा की ऊपरी परत हटा दें और जेल को छोटे बाउल में स्टोर कर लें।
- इस जेल को प्रभावित त्वचा पर लगाकर 20-25 मिनट के लिए छोड़ दें।
- बाद में ठंडे पानी से त्वचा साफ कर लें।
- इस उपाय को दिन में दो बार कर सकते हैं।
कैसे है लाभदायक :
सोरायसिस का सफल इलाज करने के लिए दवाओं के साथ ही एलोवेरा का भी सहारा लिया जा सकता है। इसके लिए सायरोसिस प्रभावित त्वचा पर एलोवेरा जेल लगा लें। एक वैज्ञानिक अध्ययन की मानें, तो इसमें एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो सूजन और जीवाणु संक्रमण से निजात दिला सकते हैं। इस तरह सोरायसिस से कुछ हद तक राहत मिल सकती है ।
3. हल्दी और गुलाब जल
सामग्री :
- दो चम्मच हल्दी
- एक चम्मच गुलाब जल
- दो चम्मच पानी
कैसे करें इस्तेमाल :
- गुलाब जल, पानी और हल्दी को मिलाएं और गर्म करके गाढ़ा पेस्ट बना लें।
- पेस्ट को ठंडा होने दें और इसे प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं। बचे हुए पेस्ट को रेफ्रिजरेटर में स्टोर करें।
- सूखने तक पेस्ट को त्वचा पर लगा रहने दें और बाद में त्वचा को साफ पानी से धो लें।
- हल्दी के इस पेस्ट को दिन में दो बार लगाएं।
कैसे है लाभदायक :
छाल रोग को ठीक करने के लिए हल्दी और गुलाब जल का उपयोग किया जा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में दिया है कि हल्दी का उपयोग सोरायसिस के इलाज के लिए किया जा सकता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट को सोरियासिस के घावों के ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने के लिए जाना जाता है (6)।
साथ ही हल्दी में मौजूद करक्यूमिन कंपाउंड एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल प्रभाव भी प्रदर्शित करता है। ये सोरायसिस से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं (6)। इसके अलावा, गुलाब जल में एंटी इंफ्लेमेटरी प्रभाव भी होता है (7)। यह सोरायसिस संबंधी सूजन को कम कर सकता है।
4. टी ट्री तेल
सामग्री :
- टी ट्री तेल की तीन-चार बूंदें
- एक बड़ा चम्मच जैतून का तेल
कैसे करें इस्तेमाल :
- टी ट्री ऑयल में जैतून का तेल मिला लें।
- अब तेल को प्रभावित त्वचा पर लगाएं।
- दिन में दो से तीन बार इस तेल को लगा सकते हैं।
कैसे है लाभदायक :
सालों से सोरायसिस का आयुर्वेदिक इलाज टी ट्री ऑयल के इस्तेमाल से किया जाता रहा है। इस संबंध में पब्लिश अध्ययन के मुताबिक, यह तेल एंटी सोरायसिस के तौर पर काम कर सकता है। इससे छाल रोग के असर को कम करने में मदद मिल सकती है (8)।
साथ ही टी ट्री ऑयल में एंटीइंफ्लेमेटरी प्रभाव भी होता है, जो सूजन से राहत दिला सकता है (8)। बस टी ट्री तेल लगाने से पहले पैच टेस्ट कर लें। वहीं, जैतून का तेल भी सोरायसिस को ठीक कर सकता है (9)। इसमें ऑलिव ऑयल के पॉलीफेनोल्स द्वारा प्रदर्शित एंटी इंफ्लेमेटरी प्रभाव को मददगार माना जाता है (10)।
5. फिटकरी
सामग्री :
- दो कप फिटकरी
- नहाने योग्य पानी
कैसे करें इस्तेमाल :
- एक बाथटब में पानी भरकर उसमें फिटकरी डाल दें।
- अब फिटकरी को पानी में अच्छी तरह मिलाएं।
- इस पानी में प्रभावित त्वचा को 15 मिनट तक डुबाकर रखें।
- फिर साफ पानी से स्नान कर लें।
- इस प्रक्रिया को एक दिन के अंतराल में दोहरा सकते हैं।
कैसे है लाभदायक :
सोरायसिस का घरेलू उपचार फिटकरी से भी हो सकता है। एक शोध की मानें, तो फिटकरी में एंटी-प्रुरिटस प्रभाव होता है, जो त्वचा में होने वाली खुजली को कम कर सकता है (11)। हम ऊपर बता ही चुके हैं कि खुजली सोरायसिस का एक लक्षण है। इसके अलावा, फिटकरी में एंटी-माइक्रोबियल प्रभाव भी होता है (12)। यह प्रभाव सोरायसिस के कारण बनाने वाले बैक्टीरियल को दूर रख सकता है (1)।
6. नारियल तेल
सामग्री :
- नारियल का तेल आवश्यकतानुसार
कैसे करें इस्तेमाल :
- नारियल तेल की कुछ बूंदें लें और प्रभावित त्वचा पर लगाकर छोड़ दें।
- इस प्रक्रिया को दिन में दो से तीन बार दोहराएं।
कैसे है लाभदायक :
नारियल तेल को त्वचा के लिए अच्छा माना जाता है। इसके उपयोग से सोरायसिस रोग के लक्षण कम हो सकते हैं। एक वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार, नारियल तेल से सोरायसिस जैसे क्रोनिक इंफ्लेमेशन का उपचार हो सकता है। इसके लिए नारियल तेल में मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी प्रभाव को सहायक माना जा सकता है (13)। इसी वजह से नारियल तेल को सोरायसिस का घरेलू इलाज कहा जाता है।
7. लहसुन
सामग्री :
- लहसुन की 5-6 कलियां
- एलोवेरा आवश्यकतानुसार
कैसे करें इस्तेमाल :
- लहसुन को पीसकर एलोवेरा जेल के साथ मिला लें।
- अब इस पेस्ट को प्रभावित त्वचा पर लगाकर 20 मिनट के लिए छोड़ दें।
- फिर ठंडे पानी से त्वचा को अच्छी तरह धो लें।
- इस पेस्ट के अलावा लहसुन के तेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
- इस प्रक्रिया को रोजाना दोहरा सकते हैं।
कैसे है लाभदायक :
घर में लहसुन से सोरायसिस का उपचार किया जा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित वैज्ञानिक अध्ययन के मुताबिक, लहसुन का अर्क सोरायसिस संबंधी तंत्र पर बाधा डालकर और बैक्टीरिया को पनपने से रोककर इससे राहत दिला सकता है (14)। साथ ही एलोवेरा में मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी बैक्टीरियल प्रभाव भी सोरायसिस को कम करने में सहायक साबित हो सकते हैं।
8. सेंधा नमक
सामग्री :
- एक कप सेंधा नमक
- नहाने योग्य गुनगुना पानी
कैसे करें इस्तेमाल :
- बाथटब में नहाने योग्य गर्म पानी डालकर नमक मिलाएं।
- इस पानी में लगभग 15-20 मिनट के लिए शरीर को डुबाकर रखें।
- बाद में बिना नमक वाले पानी से नहा लें।
- हर दूसरे दिन यह उपाय कर सकते हैं।
कैसे है लाभदायक :
सोरायसिस का सफल इलाज करने के लिए मेडिकल ट्रीटमेंट के साथ ही सेंधा नमक का उपयोग भी किया जा सकता है। दरअसल, सेंधा नमक को सोरायसिस के इलाज के लिए किए जाने वाले बालनियोथेरेपी (त्वचा को मिनरल वाटर में डुबोकर रखना) के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इससे सोरायसिस की स्थिति में कुछ हद तक सुधार हो सकता है (15)। इस आधार पर सेंधा नमक को भी सोरायसिस के लिए प्रभावी माना जा सकता है।
9. जैतून का तेल
सामग्री :
- एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल (जैतून तेल)
कैसे करें इस्तेमाल :
- जैतून तेल की कुछ बूंदें लें और प्रभावित त्वचा पर लगाएं।
- इसे त्वचा में अवशोषित होने दें।
- दिन में तीन से चार बार यह उपाय कर सकते हैं।
कैसे है लाभदायक :
सोरायसिस का घरेलू उपचार करने के लिए जैतून का तेल प्रभावी विकल्प हो सकता है (9)। दरअसल, सोरायसिस एक तरह का इंफ्लेमेटरी डिजीज है, जिसे दूर करने के लिए जैतून के तेल में मौजूद फेनोलिक यौगिक मदद कर सकता है। यह फेनोलिक यौगिक स्किन पर एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव प्रदर्शित करता है, जो इंफ्लेमेटरी डिजीज के असर को कम कर सकता है ।
10. बनाना पील (केले का छिलका)
सामग्री :
- दो केले के छिलके
कैसे करें इस्तेमाल :
- केले के छिलके को मिक्सी में पीसकर पेस्ट तैयार कर लें।
- इस पेस्ट को प्रभावित जगह पर अच्छी तरह से लगाएं और 10 मिनट तक सूखने दें।
- अब बचे हुए पेस्ट को फ्रिज में रख दें, ताकि बाद में फिर इस्तेमाल किया जा सके।
- जैसे ही पैक सूख जाए त्वचा को ठंडे पानी से धो लें।
- इस विधि को दिन में एक बार अपना सकते हैं।
कैसे है लाभदायक :
केले के छिलके का इस्तेमाल कर सोरायसिस का घरेलू उपचार किया जा सकता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, केले के छिलके में एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटीसेप्टिक और कुलिंग प्रॉपर्टीज होती हैं, जो सोरायसिस के लक्षणों को कम कर सकते हैं। साथ ही इसमें एंटी सोरायटिक गतिविधि भी पाई जाती है, जो इस समस्या से बचाव कर सकता है (16)।
आगे भी पढ़ें
चलिए, पढ़ते हैं कि सोरायसिस की स्थिति में कौन-कौन से आहार का सेवन करना उचित होगा।
सोरायसिस में आहार – Diet for Psoriasis in Hindi
सोरायसिस से पीड़ित व्यक्ति के लिए कम ऊर्जा वाले, शाकाहारी, ग्लूटेन फ्री, ओमेगा 3 फैटी एसिड और विटामिन डी से समृद्ध आहार को फायदेमंद बताया जाता (17)। इसके अलावा, नीचे बताए गए खाद्य पदार्थ को सोरायसिस आहार में शामिल कर सकते हैं (18) (20।
- हरी पत्तेदार सब्जियां
- अलसी का तेल
- अखरोट
- चिया बीज
- चीज़
- अंडा
- मशरूम
- दूध
- टूना फिश
- सैल्मन मछली
सोरायसिस आहार के बारे में पढ़ने के बाद इसके लिए जीवनशैली परिवर्तन को जानें।
सोरायसिस के लिए जीवनशैली में परिवर्तन – LifeStyle Changes for Psoriasis in Hindi
सोरायसिस के कारण व्यक्ति को अपने जीवन में कई बदलाव करने पड़ते हैं। ये परिवर्तन कुछ इस प्रकार से हो सकते हैं :
- प्रभावित त्वचा को सूर्य की तेज किरणों से बचाना पड़ सकता है। जब भी कड़ी धूप में बाहर निकलें, तो छतरी का इस्तेमाल करें।
- इस स्थिति में आरामदायक कपड़े पहनें, जिससे कि सोरायसिस वाले भाग पर कपड़ा न रगड़े।
- रोजाना स्नान करें और त्वचा को साफ रखें।
- कमरे में ह्यूमिडिफायर लगाए।
- खुजली होने पर त्वचा को बहुत ज्यादा खरोंचने से बचें।
लेख अंत तक पढ़ें
चलिए, जान लेते हैं कि सोरायसिस रोग से कैसे बचा जा सकता है।
सोरायसिस से बचने के उपाय- Prevention From Psoriasis in Hindi
वैसे तो सोरायसिस को रोकने के लिए कोई ज्ञात तरीका नहीं है। फिर भी इससे बचने के लिए कुछ तरीकों को अपनाया जा सकता है। इन तरीकों में ये शामिल है (1) (20) :
- त्वचा को साफ रखें
- स्किन को मॉइस्चराइज करें
- शरीर को साफ रखें
- नियमित रूप से व्यायाम करें और पर्याप्त नींद लें
- एंटी इंफ्लेमेटरी युक्त आहार का सेवन करें
- ओमेगा -3 फैटी एसिड, जैसे – नट्स खाएं
- ग्लूटेन फ्री खाद्य पदार्थ को आहार में जगह दें
- शरीर के वजन को संतुलित रखें
- तनाव से राहत पाने के तरीके आजमाएं
- शराब और तंबाकू के सेवन से बचें
लेख के अगले भाग में हम बता रहे हैं कि सोरायसिस के लिए डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए।
सोरायसिस के लिए डॉक्टर से कब मिलें – When to see a doctor
सोरायसिस का इलाज कराने के बाद भी अगर नीचे बताए जा रहे लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें (1) :
- त्वचा में तेज जलन महसूस होने पर विशेषज्ञ की मदद लें।
- सोरायसिस के साथ ही जोड़ों में दर्द या बुखार है, तो इस बारे में डॉक्टर से चर्चा करें।
- सोरायसिस की स्थिति में गठिया के लक्षण दिखाई देते हैं, तो त्वचा विशेषज्ञ या रूमेटोलॉजिस्ट की मदद लें।
- अगर शरीर का ज्यादातर भाग सोरायसिस से प्रभावित हो गया है, तो डॉक्टर से संपर्क करने में देरी न करें।
आम खुजली जैसे त्वचा रोगों से अलग सोरायसिस एक गंभीर चर्म रोग है, जो कई बीमारियों का कारण भी बन सकता है। लेख में बताए गए सोरायसिस के लक्षण दिखने पर तुरंत बताए गए घरेलू उपचार करें और एहतियात के लिए त्वचा विशेषज्ञ से मिलें। साथ ही अपने आहार और दिनचर्या पर भी गौर करें। सोरायसिस होने पर हर छोटी-बड़ी चीज पर ध्यान देना जरूरी होता है। आगे सोरायसिस से जुड़े कुछ सवालों के जवाब जान लें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
सोरायसिस क्यों होता है?
सोरायसिस होने के कई कारण हैं। उनमें से एक है इम्यून सिस्टम का कोशिकाओं पर हमला करना, इसलिए इसे ऑटोइम्यून डिजीज भी माना जाता है। इससे त्वचा रूखी होने लगती है और कड़े चकत्ते बन सकते हैं । इसके अलावा, शुष्क हवा, तनाव, बैक्टीरिया, वायरस और दवाओं के कारण भी होता है (1)
सोरायसिस को जड़ से खत्म करने के लिए कौन सा इलाज किया जा सकता है?
सोरायसिस को ठीक करने के लिए फोटोथेरेपी की मदद ली जा सकती है। इस दौरान अल्ट्रावायलेट लाइट से सोरायसिस का इलाज किया जाता है (1)।
सोरायसिस में कौन सा साबुन लगाना चाहिए?
सोरायसिस की स्थिति में कोल तार युक्त साबुन का उपयोग किया जा सकता है। इससे खुजली, सूजन और पपड़ीदार त्वचा से थोड़ी राहत दे सकता है (21)। फिर भी सोरायसिस के मरीज को साबुन का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। वो मेडिशनल सोप लेने की सलाह देते हैं।
सोरायसिस के लिए कौन सी क्रीम का उपयोग करें?
सोरायसिस के लिए कोर्टिसोन क्रीम का इस्तेमाल किया जा सकता है (1)। इसके अलावा, किसी भी अन्य क्रीम के उपयोग से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
सोरायसिस को ठीक होने में कितना समय लगता है?
सोरायसिस को ठीक होने में कितना समय लगेगा, यह उसकी गंभीरता पर निर्भर करता है। हां, ऐसा कहा जाता है कि सामान्य स्थिति में इसे ठीक होने में एक महीना या उससे अधिक समय लग सकता है।
क्या सोरायसिस वंशानुगत है?
हां, सोरायसिस को वंशानुगत भी माना जाता है। अगर परिवार में किसी सदस्य को यह बीमारी रह चुकी है, तो संभव है कि यह रोग दूसरे सदस्य को भी हो (22)।
क्या सोरायसिस ठीक होने की प्रक्रिया के दौरान खुजली हो सकती है?
खुजली सोरायसिस के मुख्य लक्षणों में से एक है (1)। जब सोरायसिस से प्रभावित त्वचा ठीक होने लगती हैं, तो खुजली भी कम होने लगती है।
क्या छालरोग संक्रामक है?
नहीं, सोरायसिस संक्रामक नहीं है। यह संपर्क से नहीं फैलता है (1)।
क्या सोरायसिस के चकत्ते मिट जाते हैं?
प्रभावी उपचार के कारण सोरायसिस के चकत्ते काफी हद तक मिट जाते हैं, लेकिन इसमें कुछ महीने या अधिक समय भी लग सकता है।
क्या लेजर उपचार से सोरायसिस दूर हो सकता है?
जी हां, अल्ट्रावायलेट (यूवी) ए और बी लेजर थेरेपी से सोरायसिस का उपचार किया जा सकता है (1) ।
क्या सोरायसिस अन्य ऑटोइम्यून बीमारियों से जुड़ा है?
सोरायसिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जो आसानी से अन्य ऑटोइम्यून बीमारियों का कारण बन सकती है, जैसे सोरायसिस गठिया व मधुमेह आदि (22)।
क्या सोरायसिस का होम्योपैथिक इलाज होता है?
हां, सोरायसिस का होम्योपैथिक इलाज हो सकता है। इसमें नीम का तेल, एलोवेरा, टी ट्री ऑयल और लहसुन आदि को शामिल हैं, जिसकी जानकारी पहले भी लेख में दी जा चुकी है।
References
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