Neelanjana Singh, RD
Written by , (शिक्षा- एमए इन मास कम्युनिकेशन)

गर्भावस्था के दौरान होने वाली समस्याओं को कम करने के लिए महिलाएं कई तरह के उपाय अपनाती हैं। इसी में शामिल है शतावरी का उपयोग। सदियों से इसे जड़ी-बूटी के तौर पर इस्तेमाल में लाया जा रहा है। यह आयुर्वेदिक औषधि गर्भावस्था में कितनी सुरक्षित है और कितनी नहीं, इसको लेकर कई संशय हैं। यही वजह है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम गर्भावस्था में शतावरी सुरक्षित है या नहीं इसके बारे में बताएंगे। इसके बाद प्रेगनेंसी में शतावरी के फायदे हो सकते हैं या नहीं इस पर भी चर्चा करेंगे। इसके अलावा, गर्भावस्था में शतावरी के नुकसान के बारे में भी बताएंगे। शतावरी से जुड़ी ये सभी जानकारियां जानने के लिए आखिरी तक पढ़ते रहें यह लेख। 

शुरू करते हैं लेख

चलिए, सबसे पहले यह जानते हैं कि प्रेगनेंसी में शतावरी खाना सुरक्षित है या नहीं।

क्या गर्भावस्था में शतावरी खाना सुरक्षित है?

प्रेगनेंसी में शतावरी का सेवन सुरक्षित है या नहीं, यह प्रत्येक महिला की गर्भावस्था पर निर्भर करता है। गर्भास्था में फोलेट से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है, जिसमें शतावरी भी शामिल है। इसे इंग्लिश में एस्पेरेगस रेसिमोसस (Asparagus racemosus) भी कहा जाता है। यही वजह है कि प्रेगनेंसी में शतावरी का सेवन लाभदायक माना जाता है (1)एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक, शतावरी का सेवन उन महिलाओं को करने की सलाह दी जाती है, जिन्हें गर्भपात होने का खतरा होता है (2)। दरअसल, इसमें एंटीएबोर्टिफिशिएंट (Anti Abortifacient) गुण होते हैं (3) 

शतावरी के संबंध में मौजूद विभिन्न शोध के मुताबिक इसका उपयोग गर्भावस्था में किया तो जा सकता है, लेकिन साथ में सावधानी बरतना जरूरी है (4)। इसे खाने से पहले इसकी मात्रा पर खास ध्यान देना चाहिए, क्योंकि अधिक मात्रा में किसी भी चीज का सेवन मां और गर्भस्थ शिशु के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए, गर्भावस्था में अगर किसी भी तरह की जटिलता हो, तो शतावरी को आहार में शामिल करने से पहले डॉक्टर से जरूर पूछना चाहिए।

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चलिए, नीचे जानते गर्भावस्था में शतावरी के फायदे के बारे में। 

प्रेगनेंसी में शतावरी खाने के फायदे – Benefits of Eating Shatavari in Pregnancy In Hindi

1. बर्थ डिफेक्ट से बचाए

प्राचीन काल से शतावरी का इस्तेमाल गर्भावस्था के दौरान किया जा रहा है। खासकर, बर्थ डिफेक्ट से बचाव के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। बर्थ डिफेक्ट यानी जन्म दोष जो शिशु के शरीर के लगभग किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है। एनसीबीआई ने भी इस संबंध में एक रिसर्च पेपर पब्लिश किया है। उस शोध में भी साफ तौर पर कहा गया है कि शतावरी यानी एस्पेरेगस में पाए जाने वाला फोलेट गर्भ में पल रहे भ्रूण को जन्म दोष से बचाने में मदद कर सकता है (5)

2. इम्यूनिटी बढ़ाए

शतावरी का सेवन करने से इम्यूनिटी को बेहतर करने में मदद मिल सकती है। यह मां और भ्रूण दोनों की प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर करने में लाभदायक माना जाता है। गर्भावस्था के साथ ही प्रसव के बाद भी यह मां की इम्यूनिटी के लिए अच्छा माना जाता है। दरअसल, इसमें इम्युनोमॉड्यूलेटर एजेंट होते हैं, जिसकी वजह से शरीर की जरूरत के हिसाब से प्रतिरक्षा काम करती है और बीमारियों से बचाती है (6) 

3. दूध के उत्पादन को बढ़ाए

गर्भावस्था के आखिरी समय और प्रसव के बाद शतावारी का सेवन करने से मां के दूध की गुणवत्ता बढ़ सकती है। साथ ही इसका उत्पादन भी बढ़ सकता है (7)। दरअसल, इसमें गैलेक्टगॉग हार्मोन (दूध बढ़ाने वाला) का प्रभाव स्टेरॉइडल सैपोनिन कंपाउंड की वजह से होता है। यह हार्मोन प्रोलैक्टिन के स्तर को बढ़ाता है, जिससे दूध के उत्पादन में वृद्धि होती है। इसी के संबंध में एनसीबीआई में एक रिसर्च मौजूद है। इसमें कहा गया है कि क्लिनिकल ट्रायल के दौरान गर्भवतियों को शतावरी के जड़ से बना पाउडर दिया गया। इसके उपयोग से उनमें प्रोलैक्टिन हार्मोन की मात्रा सामान्य की तुलना में 3 गुना अधिक पाई गई। यह हार्मोन दूध को बढ़ाने का काम करता है (8) 

पढ़ना जारी रखें

प्रेगनेंसी में शतावरी के फायदे जानने के बाद आगे हम बता रहे हैं कि गर्भावस्था में शतावरी को आहार में कैसे शामिल किया जा सकता है।

गर्भावस्था के आहार में शतावरी को कैसे शामिल करें?

कब खाएं : जानवरों पर किए गए एक शोध के अनुसार, शतावरी की जड़ को प्रेगनेंसी के आखिरी तिमाही में सेवन करने की सलाह दी जाती है। प्रेगनेंसी के साथ ही प्रसव के बाद अगले तीन महीने तक इसका सेवन किया जा सकता है। ध्यान रहे कि गर्भावस्था में शतावरी का सेवन सावधानी के साथ करने पर जोर दिया गया है। साथ ही इसका सेवन पहली तिमाही में बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए (6) (9)। इसकी अनदेखी से प्रेगनेंसी में शतावरी के फायदे की जगह नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। 

कितना खाएं : शतावरी का सेवन एक कप करने की सलाह दी जाती है। माना जाता है कि एक कप शतावरी का सेवन करने से गर्भवतियों को जरूरी पोषक तत्व मिल सकते हैं (11)। यहां एक कप मात्रा सब्जी के रूप में बताई गई है। वहीं, चूर्ण व पाउडर के रूप में इसका सेवन करते समय कितनी मात्रा ली जानी चाहिए यह स्पष्ट नहीं है। इतना जरूर साफ है कि अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से गर्भपात जैसे गंभीर परिणाम का सामना करना पड़ सकता है (9)। वैसे करीब 10 g तक शतावरी के पाउडर का सेवन अन्य हर्बल दवाओं के साथ किया जा सकता है (13), लेकिन इसका इस्तेमाल करने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें। 

कैसे खाएं : शतावरी का उपयोग करना बहुत आसान है। इसे सब्जी से लेकर सलाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। आइए, शतावरी के उपयोग के बारे में जानते हैं-

  • शतावरी का सेवन ताजे जूस के रूप में कर सकते हैं।
  • शतावरी को उबाल कर उपयोग में लाया जा सकता है।
  • हरी सलाद के रूप में भी शतावरी का सेवन किया जा सकता है।
  • शतावरी की जड़ से बने चूर्ण व शतावरी पाउडर को सूप में मिलाकर उपयोग में लाया जा सकता है।
  • शतावरी की जड़ से बने पाउडर को दूध में मिलाकर भी पी सकते हैं।
  • शतावरी की सब्जी बनाकर खा सकते हैं।
  • सलाद के रूप में शतावरी का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • शतावरी का दूसरी सब्जियों के साथ मिलाकर सूप बना सकते हैं।
  • बाजार में शतावरी के सप्लीमेंट भी मौजूद हैं, लेकिन इसका सेवन चिकित्सक की देखरेख में करना बेहतर होगा।

लेख को अंत तक पढ़ें

अब हम प्रेगनेंसी में शतावरी के नुकसान के बारे में बता रहे हैं।

गर्भावस्था में शतावरी के नुकसान – Side Effects of Shatavari in Pregnancy in Hindi

गर्भावस्था में शतावरी के फायदे के बारे में तो हम बता ही चुके हैं, लेकिन ध्यान रखें कि इसका अधिक मात्रा में सेवन कई समस्याओं का कारण भी बन सकता है। जी हां, गर्भावस्था में शतावरी के नुकसान भी हो सकते हैं। यही वजह है कि गर्भावस्था में इसका सेवन सावधानी के साथ करने की सलाह दी जाती है (14) (2) 

  •     इसका सेवन करने से होने वाले गर्भस्थ शिशु को क्षति पहुंचा सकती है।
  •     शिशु के विकास में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
  •     बच्चे के वजन और लंबाई पर असर पड़ सकता है।
  •     पैरों में सूजन आ सकती है।

यह तो अब आप जान ही गए हैं कि गर्भावस्था में शतावरी के फायदे के साथ ही कई नुकसान भी हैं। गर्भावस्था में शतावरी के फायदे हासिल करने के लिए इसकी सब्जी का सेवन कर सकते हैं, लेकिन इसकी जड़ों से तैयार सप्लीमेंट जैसे पाउडर, टैबलेट, लिक्विड लेने से पहले एक बार डॉक्टर से भी परामर्श ले सकते हैं। उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। गर्भावस्था में ऐसी अन्य सामग्रियों के फायदे जानने के लिए पढ़ते रहें स्टाइलक्रेज।

और पढ़े:

References

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  1. Folate for pregnant women
    https://www.betterhealth.vic.gov.au/health/healthyliving/folate-for-pregnant-women
  2. Plant profile phytochemistry and pharmacology of Asparagus racemosus (Shatavari): A review
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4027291/?report=classic
  3. SHATAVARI (ASPARAGUS RACEMOSUS WILD): A REVIEW ON ITS CULTIVATION MORPHOLOGY PHYTOCHEMISTRY AND PHARMACOLOGICAL IMPORTANCE
    https://ijpsr.com/bft-article/shatavari-asparagus-racemosus-wild-a-review-on-its-cultivation-morphology-phytochemistry-and-pharmacological-importance/?view=fulltext
  4. Teratogenicity of Asparagus racemosus Willd. root a herbal medicine
    https://www.researchgate.net/publication/6914515_Teratogenicity_of_Asparagus_racemosus_Willd_root_a_herbal_medicine
  5. Effects of aqueous extract from Asparagus officinalis L. roots on hypothalamic-pituitary-gonadal axis hormone levels and the number of ovarian follicles in adult rats
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4869160/?report=classic
  6. Influence of Asparagus racemosus (Shatavari) supplementation during different stage of lactation on estrus behavior and reproductive performance in Karan Fries crossbred cows
    http://www.lrrd.org/lrrd22/5/kuma22099.htm
  7. Medicinal plants treated in traditional healers of rural community in Vedaranyam (Taluk) to treat gynaecological disorders.
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5934708/table/tbl2/?report=objectonly
  8. A Double-Blind Randomized Clinical Trial for Evaluation of Galactogogue Activity of Asparagus racemosus Willd.
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3869575/?report=classic
  9. Adverse effects of herbs as galactogogues
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6003012/?report=classic
  10. Prenatal Care
    https://files.eric.ed.gov/fulltext/ED332961.pdf
  11. Management of premature contractions with Shatavaryadi Ksheerapaka Basti – A Case Report
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6153909/
  12. Teratogenicity of Asparagus racemosus Willd. root a herbal medicine
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/16872047/
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Neelanjana Singh has over 30 years of experience in the field of nutrition and dietetics. She created and headed the nutrition facility at PSRI Hospital, New Delhi. She has taught Nutrition and Health Education at the University of Delhi for over 7 years.

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Anuj Joshi
Anuj Joshiचीफ एडिटर
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