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गर्भावस्था के दौरान शरीर में तमाम तरह के बदलाव होते हैं, जिसे एक गर्भवती महिला ही बेहतर समझ सकती है। हार्मोंस में परिवर्तन, पेट का महीने-दर-महीने बड़ा होना, मूड का अचानक बदलना व मॉर्निंग सिकनेस आदि। वहीं, पेट पर खुजली होना ऐसी समस्या है, जो कुछ गर्भवती महिलाओं को बहुत परेशान करती है। यह खुजली गर्भवती महिला को कभी भी और कहीं भी हो सकती है। मॉमजंक्शन के इस लेख में हम इसी संबंध में चर्चा करेंगे। हम इस आर्टिकल के जरिए बताने का प्रयास करेंगे कि यह खुजली क्यों होती है और कैसे घरेलू नुस्खों के जरिए इसे ठीक किया जा सकता है।

लेख के शुरुआत में हम खुजली होने के कारणों के बारे में बता रहे हैं।

गर्भावस्था के दौरान खुजली (खारिश) का कारण क्या होता है? । Pregnancy Me Khujli Kyu Hoti Hai?

सबसे पहले तो प्रत्येक गर्भवती महिला इस बात को समझ ले कि गर्भावस्था के दौरान पेट पर होने वाली खुजली सामान्य होती है। कुछ मामलों में खुजली स्तनों, हथेलियों और तलवों में भी हो सकती है (1)। हल्की या मामूली खुजली होना आम बात है। उससे घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसा निम्न कारणों से होता है (2) :

  • पेट का बढ़ना : गर्भ में भ्रूण का आकार धीरे-धीरे बढ़ने लगता है, जिस कारण पेट फूलने लगता है और उससे त्वचा में खिंचाव महसूस होता है। साथ ही पेट का प्राकृतिक मॉइस्चराइजर कम होने लगता है। इस कारण से खुजली होती है। अगर आप रूखेपन का इलाज कर लेते हैं, तो खुजली को कम किया जा सकता है।
  • हार्मोंस में बदलाव : गर्भावस्था शुरू होने के साथ ही हार्मोंस बदलने लगते हैं, खासकर एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर बढ़ने से खुजली होती है।
  • रक्त प्रवाह : इस दौरान पूरे शरीर में रक्त का प्रवाह सामान्य से ज्यादा हो जाता है, जिस कारण पेट, पैर और स्तनों आदि में खुजली होती है।

आगे हम खुजली से होने वाले स्ट्रेच मार्क्स की बात कर रहे हैं।

क्या गर्भावस्था के दौरान खुजली खतरनाक है?

कई बार यह खुजली खतरनाक रूप भी ले लेती है। इस अवस्था में गर्भवती को तेज खुजली होती है और त्वचा पर रैशेज भी होने लगते हैं। इसके अलावा, कुछ अन्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है, जो निम्न प्रकार से हैं :

1. प्रुरिटस अर्टिकरिअल पैप्यूल एंड प्लैक ऑफ प्रेगनेंसी (पीयूपीपीएस) (3):

  • इसमें गर्भवती महिला के पेट पर लाल रंग के निशान नजर आते हैं और हाइव जैसे रैशेज नजर आते हैं।
  • ऐसा गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में होता है या फिर अंतिम पांच हफ्तों में। कुछ मामलों में ऐसा डिलीवरी के बाद भी हो सकता है।
  • हालांकि, निश्चित तौर पर यह कहना मुश्किल है कि पीयूपीपीएस के दौरान ऐसा क्यों होता है, लेकिन जिसके गर्भ में जुड़वां या उससे ज्यादा भ्रूण हों, उसे यह होने की आशंका ज्यादा होती है (4)
  • ये रैशेज पेट के साथ-साथ जांघों, नितंबों, पीठ, बाजू व टांगों पर भी फैल सकते हैं। कुछ मामलों में ये चेहरे, गर्दन व हाथ को भी प्रभावित कर सकते हैं।
  • इससे निपटने के लिए डॉक्टर आपको कोई क्रीम आदि दे सकते हैं।
  • स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर एंटीहिस्टामाइन या फिर ओरल स्टेरॉयड दे सकते हैं।
  • पीयूपीपीएस गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

2. प्रुरिेगो व गर्भावस्था (5) :

  • अगर आपके शरीर पर छोटी-छोटी फुंसियां हो जाएं और रगड़ने पर कट जाएं, तो इसका मतलब यह है कि आपको प्रुरिगो नामक खुजली की समस्या है।
  • हालांकि, प्रुरिगो के कारण फुंसियां शरीर पर कहीं भी हो सकती हैं, लेकिन मुख्य रूप से यह पेट पर होती हैं। यह समस्या दूसरी तिमाही के अंत में और तीसरी तिमाही के शुरुआत में नजर आती हैं।
  • पीयूपीपीएस की तरह इसके इलाज के लिए भी डॉक्टर कोई क्रीम या फिर एंटीहिस्टामाइन दे सकते हैं। वहीं, कुछ मामलों में ओरल स्टेरॉयड देने की भी जरूरत महसूस हो सकती है।
  • ध्यान रहे कि प्रुरिगो खुजली हानिकारक नहीं होती और गर्भावस्था के बाद अपने आप ठीक हो जाती है। कुछ मामलों में यह डिलीवरी के बाद भी करीब तीन महीने तक रह सकती है।

3. पेम्फिगॉइड जेस्टेसिस (6) :

  • यह भी त्वचा संबंधी रोग है। शुरुआत में इसमें हाइव्स के साथ खुजली होती है और बाद में बड़े-बड़े फफोले हो जाते हैं।
  • यह समस्या दिखने में वायरस संक्रमण जैसी लगती है।
  • यह समस्या दूसरी या तीसरी तिमाही में शुरू होती है और डिलीवरी के बाद करीब एक-दो हफ्ते तक रहती है।
  • ये फफोले पेट के निचले हिस्से में निकलना शुरू होते हैं और हाथ, पैर, हथेलियों व तलवों तक फैल जाते हैं।
  • इलाज के तौर पर डॉक्टर ओरल स्टेरॉयड दे सकते हैं, लेकिन डिलीवरी के बाद जब मां स्तनपान शुरू करती है, तो ये अपने आप धीरे-धीरे कम होने लगते हैं।
  • इसे पीयूपीपीएस से भी ज्यादा गंभीर माना गया है। इसके कारण समय से पूर्व प्रसव व गर्भ में शिशु के विकास में बाधा जैसी समस्या हो सकती है। इसलिए, गर्भवती महिला को जब भी पेम्फिगॉइड जेस्टेसिस के लक्षण नजर आएं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
  • कुछ मामलों में यह समस्या पूरी गर्भावस्था के दौरान रह सकती है। वहीं, नवजात शिशु तक को हल्की रैशेज की समस्या हो सकती है, जो कुछ हफ्तों में अपने आप ठीक हो जाती है।

4. इंपीटिगो हर्पेटिफॉर्मिस (7) :

  • यह एक प्रकार का स्किन इंफेक्शन है। यह सोरायसिस जैसी स्किन एलर्जी है, जो गर्भावस्था में होती है।
  • यह इंफेक्शन तीसरी तिमाही में होता है। शुरुआत में त्वचा पर लाल रंग के चकत्ते नजर आते हैं, जिनमें पस भरी होती है। बाद में ज्यादा पस भर जाने से ये बड़े हो जाते है और त्वचा पर सफेद रैशेज पड़ जाते हैं।
  • ये चकत्ते जांघों, पेट, कमर, बगल, स्तनों के नीचे आदि जगह निकलते हैं। साथ ही उल्टी, जी-मिचलाना, डायरिया व बुखार भी हो सकता है।
  • इस समस्या को कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स से ठीक किया जा सकता है और डॉक्टर आपके शरीर में होने वाले हर परिवर्तन पर नजर रखते हैं।
  • ये डिलीवरी के बाद अपने आप गायब हो जाते हैं।

5. इंट्राहेप्टिक कोलेस्टासिस ऑफ प्रेगनेंसी (ICP) (8) :

  • आईसीपी भी गंभीर समस्या है और इस कारण गंभीर रूप से खुजली हो सकती है।
  • यह समस्या गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में लिवर के ठीक से काम न करने के कारण होती है। इस अवस्था में लिवर से निकले वाले बाइल (पित्त) नामक पाचन तरल पदार्थ का प्रवाह शरीर में सही से नहीं हो पाता है। इसके बदले में बाइल त्वचा में जमा होने लगता है और परिणामस्वरूप खुजली, रैशेज व हाइव्स की समस्या होती है।
  • इसमें तलवों, हथेलियों व पेट पर लाल चकत्ते बनने लगते हैं। साथ ही उल्टी होना व भूख कम लगने जैसी समस्याएं होती है।
  • आईसीपी को गंभीर समस्या माना गया है। यहां तक कि इससे शिशु के मृत पैदा होने की भी आशंका हो सकती है, लेकिन इसे दवाइयों के जरिए कुछ हद तक ठीक किया जा सकता है।

क्या गर्भावस्था में खुजली से स्ट्रेच मार्क्स पड़ सकते हैं?

स्पष्ट तौर पर यह कहना संभव नहीं है कि खुजली के कारण स्ट्रेच मार्क्स पड़ सकते हैं। हां, यह जरूर है कि स्ट्रेच मार्क्स पड़ने पर खुजली होती है, लेकिन डॉक्टर खुजली करने की जगह कोई लोशन, तेल या क्रीम लगाने की सलाह देते हैं। स्ट्रेच मार्क्स पड़ने का मुख्य कारण हार्मोनल बदलाव और पेट का आकार बढ़ना है, जिस कारण त्वचा के कोलेजन फाइबर में खिंचाव पड़ता है (2) इस बारे में हमने आर्टिकल के शुरुआत में विस्तार से बताया है।

आइए, अब खुजली के इलाज की बात करते हैं।

गर्भावस्था के दौरान खुजली का इलाज । Pregnancy Me Khujli Ka Ilaj

गर्भावस्था में खुजली होना गंभीर मामला नहीं है। थोड़ी-बहुत खुजली हर किसी को होती है। इस केस में किसी भी तरह के इलाज की जरूरत नहीं होती, बस थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए, जिस बारे में हम आगे बताएंगे। हां, अगर खुजली जरूरत से ज्यादा हो, तो चिंता का विषय हो सकता है। इससे पेट पर रैशेज पड़ सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी होता है।

गर्भावस्था के दौरान पैर की खुजली

ऐसा होना सामान्य है, क्योंकि शरीर में रक्त का प्रवाह पहले से तेज हो जाता है और त्वचा में खिंचाव होने लगता है। अगर खुजली हल्की की जगह ज्यादा होने लगे, तो चिंता का विषय है। ऐसे में अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।

आगे हम खुजली के लिए घरेलू उपचार बता रहे हैं।

गर्भावस्था के दौरान खुजली के लिए घरेलू उपचार

यहां हम कुछ घरेलू उपचार बता रहे हैं, जो गर्भावस्था के दौरान होने वाली खुजली से आपको राहत दिला सकते हैं :

  1. ओटमील से स्नान : आप बाथटब में पानी भरकर उसमें एक कप ओटमील डाल दें और फिर करीब 20 मिनट के लिए इस पानी में बैठें। इससे त्वचा की संवेदनशीलता कुछ कम होगी और खुजली से राहत मिलेगी (9)। ओटमील में एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीप्रायटिक गुण होते हैं, जो खुजली और जलन से राहत दिला सकते हैं (10) (11)
  1. बेकिंग सोडा से स्नान : ओटमील की तरह ही बेकिंग सोडा को भी हल्के गुनगुने पानी से भरे बाथटब में डाल दें और फिर कुछ देर उसमें बैठें। इससे आपको निश्चित ही आराम मिलेगा। आप बेकिंग पाउडर की जगह बेकिंग सोडा इस्तेमाल करें, यह खुजली और जलन से जल्द आराम दिलाता है। आप पानी और बेकिंग सोडे का पेस्ट बनाकर भी उसे पेट व अन्य जगह पर लगा सकते हैं (12)। इससे भी आपको आराम मिलेगा।
  1. एलोवेरा जेल : आप रोज नहाने के बाद खुजली वाली जगह पर एलोवेरा जेल लगा सकती हैं। इसे करीब 15-20 मिनट तक लगाए रखें और फिर साफ पानी से धो लें। एलोवेरा जेल लगाने से आपकी त्वचा पर एक परत का निर्माण होता है। जब आप खुजली करते हैं, तो यह परत किसी भी तरह के नुकसान से बचाती है (13)। एलोवेरा में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो खुजली के प्रभाव को कम करते हैं (14)
  1. बर्फ की सिकाई : आप पेट की खुजली को कम करने के लिए ठंडे पानी में डूबे कपड़े को अपने पेट पर रख सकते हैं (9)
  1. मॉइस्चराइजर : आप ऐसा मॉइस्चराइजर लें, जो सुगंध रहित और सौम्य हो। इस मॉइस्चराइजर को लगाने से खुजली से अस्थाई तौर पर राहत मिल सकती है।
  1. नारियल तेल : सुबह और रात को थोड़ा-सा ऑर्गेनिक नारियल तेल अपने हाथों पर लेकर धीरे-धीरे से पेट की मालिश करें। नारियल तेल में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो त्वचा की संवेदनशीलता और खुजली को कम कर आराम दिलाते हैं। नारियल तेल त्वचा को मॉइस्चराइज करता है (15)

गर्भावस्था में खुजली कम करने के लिए टिप्स । Pregnancy Me Kujhli Ka Upay

जिस प्रकार खुजली से निपटने के लिए जरूरी घरेलू उपचार हैं, उसी प्रकार खुजली को कम करने के लिए कुछ अन्य जरूरी टिप्स हैं। इनके बारे में हम यहां बता रहे हैं :

  • नहाने के लिए गर्म पानी का प्रयोग बिल्कुल न करें। इससे समस्या दूर होने की जगह और बढ़ सकती है। इसकी जगह ठंडा या हल्क गुनगुना पानी प्रयोग करें, क्योंकि गर्म पानी से त्वचा रूखी हो सकती है।
  • तेज सुगंध वाले साबुन और जेल का प्रयोग बिल्कुल न करें। इस तरह के साबुन और जेल त्वचा में रूखेपन को बढ़ाते हैं। इनकी जगह हल्के साबुन और शॉवर जेल का प्रयोग करें।
  • हमेशा आरामदायक, साफ-सुथरे, सूखे और सूती कपड़े ही पहनें। टाइट, गीले और गंदे कपड़ों के कारण त्वचा में संक्रमण हो सकता है और खुजली शुरू हो सकती हैं।
  • ज्यादा देर तक सूरज की रोशनी में न रहें, इससे भी त्वचा रूखी हो सकती है। साथ ही सूरज की पराबैंगनी किरणों के कारण रूखी त्वचा पर रैशेज हो सकते हैं।
  • समय-समय पर त्वचा पर मॉइस्चराइजर का प्रयोग करते रहें। अच्छा मॉइस्चराइजर लगाने से पीएच स्तर संतुलित रहता है।
  • एसी के सामने भी ज्यादा देर तक बैठने से त्वचा रूखी हो सकती है, जिससे खुजली हो सकती है।
  • प्रतिदिन कम से कम आठ-दस गिलास पानी जरूर पिएं। इससे आपकी त्वचा हाइड्रेट रहेगी और प्राकृतिक मॉइस्चराइजर बना रहेगा।

डॉक्टर के पास कब जाएं?

इन अवस्थाओं में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए :

  • अगर पूरे शरीर में खुजली होने लगे।
  • अगर महसूस हो कि खुजली जरूरत से ज्यादा हो रही है और धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैलने लगी है।
  • अगर ऐसा लगे कि शरीर में रूखापन खुजली के कारण नहीं है।
  • अगर आपके मल और मूत्र का रंग बदला हुआ नजर आता है। साथ ही उल्टी, थकान और भूख में कमी आती है।
  • अगर पीयूपीपी (प्रुरिटस अर्टिकरिअल पैप्यूल एंड प्लैक ऑफ प्रेगनेंसी) के कारण त्वचा पर रैशेज और खुजली होती है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या मेरी खुजली मेरे बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती है?

हालांकि, खुजली से गर्भ में बच्चे को कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन अगर आप खुजली को ठीक करने के लिए एंटीहिस्टामिन दवा या फिर कोर्टिकोस्टेरोइड क्रीम का ज्यादा प्रयोग करते हैं, तो उससे बच्चे को नुकसान हो सकता है (16) (17)

प्रेगनेंसी के दौरान रात में अक्सर खुजली क्यों होती है? | Pregnancy Me Pet Par Khujli

ऐसा नाक्टर्नल प्रुरिटस (nocturnal pruritus,) के कारण होता है। इससे रात में त्वचा रूखी हो जाती है और खुजली होने लगती है। इससे कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। अगर आप ऐसी स्थिति का सामना कर रही हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें (18)

क्या गर्भावस्था में खुजली से शिशु के लिंग का अनुमान लगाया जा सकता है?

नहीं, वैज्ञानिक तौर पर ऐसा बिल्कुल भी संभव नहीं है।

गर्भावस्था के दौरान निप्पल/स्तनों में खुजली होना कितना आम है?

गर्भावस्था के समय स्तनों का आकार बढ़ने लगता है, जिस कारण त्वचा में खिंचाव आता है और स्तनों में खुजली होती है। इसे आप कोई भी अच्छी मॉइस्चराइजर क्रीम लगाकर कम कर सकती हैं। हां, अगर खुजली अधिक हो रही है, जिससे रैशेज पड़ गए हैं और एक या दोनों निप्पल से खून आने लगे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

बेशक, गर्भावस्था के समय खुजली कोई गंभीर समस्या नहीं है, लेकिन इसे अनदेखा भी नहीं किया जा सकता। अगर आपको जरा भी लगे कि खुजली अधिक होने लगी है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। आप जरा-सी सावधानी के जरिए अपने गर्भावस्था काल को सुखद व सुरक्षित बना सकती हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आपको गर्भावस्था के दौरान होने वाली खुजली के संबंध में पूरी जानकारी मिली होगी।

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  1. गर्भावस्था में थायराइड कितना होना चाहिए?
  2. प्रेग्नेंसी में पानी (एमनियोटिक द्रव) कम होना
  3. गर्भावस्था में खून की कमी (एनीमिया)
  4. गर्भावस्था के दौरान पेट दर्द (एब्डोमिनल पेन)
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