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गर्भावस्था के चरणों में महिला का शरीर कई तरह के परिवर्तनों से गुजरता है। इस दौरान कई बार ये परिवर्तन किसी गंभीर बीमारी का भी इशारा हो सकते हैं, जिसे अनदेखा करना गर्भवती और भ्रूण दोनों के लिए ही घातक साबित हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान स्तन कैंसर भी इन्हीं में से एक हो सकता है, जिसकी पहचान करने में अक्सर महिलाएं देरी कर जाती हैं। ऐसे में, प्रेगनेंसी के समय ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों को किस तरह से पहचाना जा सकता है और इसके लिए सुरक्षित उपचार का विकल्प क्या-क्या है, इससे जुड़ी जानकारी के लिए मॉमजंक्शन के इस लेख को जरूर पढ़ें। इसके अलावा, यहां प्रेगनेंसी में ब्रेस्ट कैंसर के कारण होने वाली और जटिलताओं के विषय में भी बताया गया है।
चलिए, आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं ब्रेस्ट कैंसर के बारे में।
ब्रेस्ट कैंसर क्या होता है?
स्तन कैंसर या ब्रेस्ट कैंसर, एक प्रकार का कैंसर है, जो स्तनों से जुड़ा है। इसमें स्तन की कुछ कोशिकाएं असामान्य हो जाती हैं और अनियंत्रित रूप से बढ़कर ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। कैंसर का यह प्रकार महिलाओं में आम है। वहीं, ब्रेस्ट कैंसर पुरुषों में भी हो सकता है (1)। सामान्य तौर पर यह दो प्रकार के हो सकते हैं (2):
- डक्टल कार्सिनोमा : यह कैंसर स्तन से निप्पल तक दूध ले जाने वाले ट्यूब (Milk Duct) में हो सकता है। यह ब्रेस्ट कैंसर का सबसे आम प्रकार है।
- लॉबुलर कार्सिनोमा : इसमें कैंसर कोशिकाएं स्तनों में दूध का विकास करने वाले भाग लॉबुलर में विकसित होती हैं।
नोट: कुछ दुर्लभ मामलों में कैंसर की कोशिकाएं स्तन के अन्य क्षेत्रों में भी विकसित हो सकती हैं।
स्क्रॉल करके जानिए प्रेगनेंसी के समय ब्रेस्ट कैंसर कितना आम है।
क्या प्रेगनेंसी के समय ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है? यह कितना आम है? | Breast Cancer In Pregnancy In Hindi
एनसीबीआई (नेशनल सेंटर ऑफ बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, गर्भावस्था में स्तन कैंसर प्रति 3,000 महिलाओं में से लगभग 1 महिला में हो सकता है। यह आंकड़ा 3 फीसदी तक भी पहुंच सकता है। इस रिपोर्ट के अनुसार, गर्भवती महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर दूसरा सबसे आम कैंसर का प्रकार माना जा सकता है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान स्तन कैंसर को एक दुर्लभ बीमारी ही माना जाएगा (3)।
आगे जानते हैं कि प्रेगनेंसी में स्तन कैंसर की पहचान कैसे की जा सकती है।
प्रेगनेंसी में ब्रेस्ट कैंसर का निदान
प्रेगनेंसी में ब्रेस्ट कैंसर की पहचान करने के लिए डॉक्टर शारीरिक परीक्षण, मैमोग्राफी व अन्य विकल्प की सलाह दे सकते हैं, जिन्हें नीचे विस्तारपूर्वक बताया गया है (3)। वहीं, प्रेगनेंसी में स्तन कैंसर की पहचान करने के लिए सबसे सुरक्षित विकल्प क्या हो सकता है, यह डॉक्टर गर्भवती महिला के स्वास्थ्य स्थिति, लक्षणों और गर्भावस्था के चरण के आधार पर तय कर सकते हैं।
गर्भावस्था के दौरान ब्रेस्ट कैंसर का निदान निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है(3) :
- शारीरिक परीक्षण : गर्भावस्था के दौरान स्तन कैंसर के लक्षण पहचानने और निदान करने के लिए डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को सबसे पहले शारीरिक परीक्षण के लिए सलाह दे सकते हैं। जो सबसे सुरक्षित विकल्पों में से एक माना जा सकता है। इस दौरान हेल्थ एक्सपर्ट स्तनों और उसके आस-पास की त्वचा को स्पर्श कर गांठ की जांच कर सकते हैं।
- मैमोग्राफी : यह एक्स-रे प्रक्रिया है, इसमें स्तनों की एक्स-रे तस्वीर (मैमोग्राफ) निकाली जाती है, ताकि ब्रेस्ट कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों को पहचाना जा सके (4)। इस एक्स-रे प्रक्रिया के दौरान गर्भवती को एब्डोमिनल शिल्ड पहनाई जा सकती है, ताकि भ्रूण को एक्स-रे के प्रभाव से सुरक्षित रखा जा सके। हालांकि, प्रेगनेंसी में एक्स-रे जोखिम भरा भी हो सकता है, इसलिए डॉक्टर अन्य विकल्प की भी सलाह दे सकते हैं।
- अल्ट्रासोनोग्राफी : प्रेगनेंसी के दौरान अल्ट्रासोनोग्राफी की प्रक्रिया से भी ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाया जा सकता है। इसमें एक खास मशीन का इस्तेमाल किया जाता है, जो ध्वनि तरंगों के जरिए स्तन की कैंसर कोशिकाओं की तस्वीर विकसित करती है (5)। एक्स-रे की तुलना में यह तकनीक ज्यादा सुरक्षित मानी जाती है, क्योंकि इसमें रेडिएशन का प्रयोग नहीं किया जाता है। हालांकि, इसका इस्तेमाल पूरी तरीके से डॉक्टर पर निर्भर करता है।
- एमआरआई (MRI) : एमआरआई या मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (MRI) की प्रक्रिया मौजूदा समय में ज्यादा इस्तेमाल की जाती है, क्योंकि इसमें रेडिएशन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है और एमआरआई के जरिए बोन मेटास्टेसिस (किसी अन्य भाग में विकसित हुई कैंसर कोशिकाओं का हड्डियों में फैलना) की पहचान की जा सकती है। गर्भावस्था के दौरान ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए इसका इस्तेमाल भी किया जा सकता है। हालांकि, इसका हीटिंग प्रोसेस भ्रूण के लिए जोखिम भरा भी हो सकता है, इसलिए कई रेडियोलॉजिस्ट पहली तिमाही में एमआरआई कराने की सलाह नहीं देते हैं।
- बायोप्सी : गर्भावस्था के दौरान स्तन कैंसर की पहचान करने के लिए बायोप्सी की प्रक्रिया काफी हद तक सुरक्षित मानी जा सकती है। बायोप्सी में स्तनों में बनने वाले गांठ के टिश्यू का नमूना लिया जाता है। इसकी प्रक्रिया दो तरीकों से की जा सकती है। जिनमें एक सर्जिकल चीरा और दूसरा सुई के माध्यम से हो सकता है (5)। हालांकि, इसकी प्रक्रिया से भी संभावित इंफेक्शन होने का जोखिम हो सकता है।
चलिए, अब जानते हैं कि प्रेगनेंसी के शुरुआती समय में स्तन कैंसर की पहचान करना कितना मुश्किल है।
क्या गर्भावस्था के शुरुआती समय में ब्रेस्ट कैंसर का निदान कठिन है?
एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में साफ तौर से जिक्र मिलता है कि गर्भावस्था के दौरान स्तन के वजन में दोगुनी वृद्धि हो सकती है। इस वजह से इसकी जांच प्रक्रिया (क्लिनिकल एग्जामिनेशन और मैमोग्राफी) कठिन हो सकती है। वहीं, इसी शोध में आगे यह भी कहा गया है कि स्तन की मांसपेशियों का बढ़ना और इंगोर्जमेंट (रक्त प्रवाह और दूध की मात्रा बढ़ने से स्तनों में आई सूजन) की वजह से आम महिलाओं की तुलना में गर्भवतियों में स्तन कैंसर की जांच प्रक्रिया (फिजिकल एग्जामिनेशन और मैमोग्राफी) ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो सकती है (3)। इन तथ्यों के आधार पर हम कह सकते हैं कि प्रेगनेंसी के शुरुआती समय में ब्रेस्ट कैंसर की जांच करना कठिन हो सकता है। फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।
आइए, अब गर्भावस्था के दौरान स्तन कैंसर के लक्षणों के विषय में भी जान लेते हैं।
गर्भावस्था के दौरान स्तन कैंसर के लक्षण
प्रेगनेंसी में स्तन कैंसर के लक्षण नीचे दिए गए हैं(6) :
- स्तनों में या उसके आसपास या बगल के क्षेत्र में गांठ का बनना
- स्तनों के आकार या आकृति में बदलाव
- स्तन की त्वचा में गड्ढा पड़ना या सिकुड़न होना
- निप्पल का स्तन में अंदर की तरफ धंसा हुआ होना
- दूध के अलावा, स्तनों से किसी तरल पदार्थ का निकलना, खासकर अगर यह खून जैसा हो
- स्तन, निप्पल या एरोला (निप्पल के आसपास की गहरी त्वचा) की त्वचा पर पपड़ी जमना, लाल होना या सूजन होना
- स्तन की त्वचा का संतरे की त्वचा जैसा होना यानी स्तन पर छोटे-छोटे डिंपल या गड्ढ़े पड़ना
आगे बात करते हैं, गर्भावस्था के दौरान स्तन कैंसर के कारण क्या-क्या हो सकते हैं।
गर्भावस्था के दौरान स्तन कैंसर के कारण
गर्भावस्था के दौरान स्तन कैंसर के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं, जिनके बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है (3):
- 30 के बाद प्रेगनेंसी प्लानिंग करना : एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार 30 साल की उम्र के बाद पहली बार गर्भधारण करने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का जोखिम अधिक हो सकता है।
- डायथाइलस्टीलबेस्ट्रोल (डीईएस) : गर्भावस्था के दौरान डायथाइलस्टीलबेस्ट्रोल (Diethylstilbestrol) लेना। यह एक प्रकार का कृत्रिम एस्ट्रोजन हार्मोन होता है, जिसे अगर गर्भावस्था के दौरान लिया जाता है, तो इससे स्तन कैंसर का जोखिम खड़ा हो सकता है (7)। हालांकि, इस दवा का उपयोग कई सालों से बंद कर दिया गया है।
- फैमिली हिस्ट्री : प्रेगनेंसी में ब्रेस्ट कैंसर का कारण आनुवंशिक भी हो सकता है। हालांकि, सभी महिलाओं में ऐसा हो, यह जरूरी नहीं है (2)।
- अल्कोहल : इसके अलावा, अल्कोहल का अधिक सेवन भी स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है (2)।
- हार्मोन का बढ़ना : वहीं, एक वैज्ञानिक शोध की मानें, तो तीसरी तिमाही में एस्ट्रोन और एस्ट्रिऑल नामक एस्ट्रोजन हार्मोन का बढ़ना स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है (8)।
चलिए, अब जान लेते हैं गर्भावस्था में ब्रेस्ट कैंसर का इलाज कैसे किया जा सकता है।
गर्भावस्था में ब्रेस्ट कैंसर का इलाज
गर्भावस्था में ब्रेस्ट कैंसर का इलाज निम्न स्थितियों पर निर्भर कर सकता है (6):
- ब्रेस्ट कैंसर का चरण, जिसमें स्तन में गांठ का आकार और उसके फैलने की स्थिति शामिल हो सकती है।
- ब्रेस्ट कैंसर का प्रकार
- गर्भावस्था का समय
- गर्भवती महिला की स्वास्थ्य स्थिति
इन मुख्य स्थितियों के आधार पर डॉक्टर गर्भावस्था में ब्रेस्ट कैंसर का इलाज करने की उचित सलाह दे सकते हैं, जिसमें निम्नलिखित प्रक्रियाएं शामिल हो सकती हैं:
सर्जरी : सर्जरी के जरिए भी प्रेगनेंसी में स्तन कैंसर का इलाज किया जा सकता है, जिसमें नीचे दी गई सर्जरी को शामिल किया जा सकता है:
- मॉडिफाइड रेडिकल मास्टेक्टॉमी : इस सर्जरी में पूरे स्तन को, बगल के नीचे लिम्फ नोड्स (बीन्स के आकार की ग्रंथि) या चेस्ट वॉल (गर्दन और पेट के मध्य त्वचा, वसा, मांसपेशियां, हड्डियां और अन्य ऊतक से बनी सुरक्षात्मक परत) की मांसपेशियों के किसी भाग को हटाया जा सकता है।
- ब्रेस्ट–कंसर्विंग सर्जरी : ब्रेस्ट-कंसर्विंग सर्जरी की प्रक्रिया के दौरान सर्जन कैंसर सेल्स और उसके आस-पास के कुछ सामान्य ऊतक को हटा सकते हैं। वहीं, सर्जन चेस्ट वॉल की अंदरूनी परत (Chest Wall Lining) के किसी भाग को भी हटा सकते हैं, अगर उसके पास कैंसर कोशिकाओं का विस्तार पाया जाता है। हालांकि, इस ब्रेस्ट-कंसर्विंग सर्जरी की प्रक्रिया में पूरा स्तन नहीं हटाया जाता है।
रेडिएशन थेरेपी : रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल बच्चे के जन्म के बाद कैंसर के पहले और दूसरे चरण में किया जा सकता है। वहीं, अगर गर्भवती कैंसर के तीसरे या चौथे चरण में है, तो गर्भावस्था के पहले तीन महीने के बाद रेडिएशन थेरेपी दी जा सकती है। हालांकि, इस दौरान पूरी कोशिश यह की जाती है कि यह थेरेपी बच्चे के जन्म के बाद ही दी जाए। रेडिएशन थेरेपी के अंतर्गत कैंसर सेल्स को खत्म करने के लिए रेडिएशन का इस्तेमाल किया जाता है।
कीमोथेरेपी : इसके अंतर्गत कैंसर सेल्स को मारने और उनके विस्तार को रोकने के लिए दवाइयों का उपयोग किया जाता है। ये दवाइयों मुंह के जरिए या इंजेक्शन के जरिए दी जा सकती हैं। वहीं, इसे गर्भावस्था के पहले तीन महीनों में नहीं दिया जाता है। वहीं, इस थेरेपी से समय से पहले बच्चे का जन्म और जन्म के समय बच्चे का कम वजन का जोखिम बढ़ सकता है।
आगे जानिए प्रेगनेंसी में ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ी जटिलताओं के बारे में।
प्रेगनेंसी में ब्रेस्ट कैंसर से होने वाली जटिलताएं
प्रेगनेंसी में ब्रेस्ट कैंसर के उपचार के लिए अपनाई जाने वाली विधियों के कारण निम्नलिखित जटिलाएं हो सकती हैं, जिसमें शामिल हैं (3):
सर्जरी से जुड़ी जटिलताएं : गर्भावस्था की पहली तिमाही में सर्जरी के दौरान अगर गर्भवती महिला को एनेस्थीसिया (सुन्न करने वाली दवा) दिया जाता है, तो इससे जन्म के समय बच्चे का कम वजन जैसा जोखिम खड़ा हो सकता है। साथ ही शिशु के मृत्यु की आशंका भी बढ़ सकती है।
कीमोथेरेपी से जुड़ी जटिलताएं (गर्भवतियों में) : गर्भावस्था की पहली तिमाही में कीमोथेरेपी गर्भपात का जोखिम बढ़ा सकती है। वहीं, दूसरी तिमाही में यह प्रीक्लेम्पसिया (प्रेगनेंसी के समय उच्च रक्तचाप विकार) के जोखिम को बढ़ा सकती है।
कीमोथेरेपी से जुड़ी जटिलताएं (भ्रूण से जुड़ी) : पहली तिमाही में कीमोथेरेपी भ्रूण के विकास को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा, कीमोथेरेपी के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं मां के गर्भनाल से होते हुए गर्भ में पल रहे बच्चे को प्रभावित कर सकती है। इससे होने वाले बच्चे में शारीरिक और तंत्रिका संबंधी विकास बाधित हो सकता है।
इन जटिलताओं के अलावा, कुछ अन्य जटिलताएं भी हो सकती हैं (9):
सर्जरी के कारण होने वाली अन्य जटिलताएं:
- सर्जरी वाले स्थान पर संक्रमण होना
- दर्द होना
- खून बहना
- सर्जरी का निशान रह जाना
- छाती में संवेदना महसूस न होना
- सर्जरी के कारण स्तनों के आकार और आकृति में बदलाव होना
कीमोथेरेपी के कारण होने वाली अन्य जटिलताएं:
- मतली, उल्टी या दस्त होना
- बालों का झड़ना
- याददाश्त कम होना
- योनि में सूखापन
- नर्व को नुकसान पहुंचना
प्रेगनेंसी में ब्रेस्ट कैंसर के अलावा अन्य कैंसर से जुड़ी जानकारी नीचे दी गई है।
ब्रेस्ट कैंसर के अलावा एक गर्भवती को और कितने प्रकार के कैंसर का खतरा हो सकता है?
एनसीबीआई के एक शोध के अनुसार, गर्भावस्था में कैंसर एक दुर्लभ बीमारी है। यह सालाना एक हजार गर्भवतियों में एक को हो सकती है (10)। वहीं, इस दौरान स्तन कैंसर के अलावा, एक गर्भवती को निम्नलिखित कैंसर का खतरा हो सकता है (11) :
- लिम्फोमा (लिम्फ सिस्टम (इम्यून सिस्टम का एक भाग) से जुड़ा कैंसर)
- गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर
- ल्यूकेमिया (एक प्रकार का ब्लड कैंसर)
- अंडाशय से जुड़ा कैंसर
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट से जुड़ा कैंसर)
- थायराइड कैंसर
- ब्रेन कैंसर
चलिए, अब प्रेगनेंसी में ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े कुछ सवालों के जवाब जान लेते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
गर्भावस्था में स्तन कैंसर होने वाले बच्चे को किस प्रकार प्रभावित कर सकता है?
प्रेगनेंसी में ब्रेस्ट कैंसर किस प्रकार होने वाले बच्चे को प्रभावित कर सकती है, इससे जुड़ा फिलहाल कोई सटीक वैज्ञानिक शोध उपलब्ध नहीं है। हां, इसका इलाज भ्रूण के विकास के साथ-साथ कई अन्य तरीके से भ्रूण को प्रभावित कर सकता है, जिसकी जानकारी हमने ऊपर विस्तारपूर्वक दे दी है।
अगर मुझे स्तन कैंसर है, तो क्या मैं अपने बच्चे को स्तनपान करा सकती हूं?
अगर कोई महिला प्रसव के बाद स्तन कैंसर का उपचार करा रही है, तो उसे बच्चे को स्तनपान नहीं कराना चाहिए। क्योंकि, उपचार के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं दूध के जरिए शिशु को प्रभावित कर सकती हैं (4)। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में एनेस्थीसिया का उपयोग कितना सुरक्षित है?
गर्भावस्था की पहली तिमाही में स्तन कैंसर की सर्जरी में एनेस्थीसिया का इस्तेमाल गर्भपात का जोखिम बढ़ा सकता है (12)। इस विषय से जुड़ी पूरी जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
तो दोस्तों, आपने देखा कि किस प्रकार स्तन कैंसर गर्भावस्था के सफर को मुश्किल भरा बना सकता है। वहीं, समय रहते इसके लक्षणों की पहचान की जाए और उचित उपचार की तरफ कदम बढ़ाया जाए, तो इसकी जटिलताओं को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। इसलिए, हमेशा अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें, ताकि आपको एक स्वस्थ गर्भावस्था हासिल हो। प्रेगनेंसी में स्तन कैंसर, एक गंभीर विषय है, इसलिए आप चाहें, तो इस जानकारी को अन्य लोगों के साथ भी साझा कर सकती हैं। हमें उम्मीद करते हैं कि यह लेख आपके लिए मददगार साबित होगा।
References
2. Breast cancer -By Medlineplus
3. Breast Cancer During Pregnancy – By NCBI
4. What Is a Mammogram – By CDC
5. How Is Breast Cancer Diagnosed – By CDC
6. Breast Cancer Treatment During Pregnancy – BY NIH
7. Reproductive History and Cancer Risk – BY NIH
8. Third Trimester Estrogens and Maternal Breast Cancer: Prospective Evidence – By NCBI
9. Breast Cancer – By NCBI
10. Cancer During Pregnancy: The Oncologist Overview – By NCBI
11. Pregnancy and Cancer: the INCIP Project – By NCBI
12. Pregnancy-Associated Breast Cancer – By NCBI
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