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हर महिला के लिए गर्भाशय यानी यूट्रस महत्वपूर्ण अंग होता है। पीरियड से लेकर गर्भधारण करने तक यह महिला के जीवन और स्वास्थ्य का अहम हिस्सा है। किसी भी महिला का मासिक चक्र इसी से संबंधित होता है, लेकिन कुछ महिलाओं को एंटेवर्टेड यूट्रस की समस्या होती है और उन्हें इसका पता भी नहीं होता। आखिर ये एंटेवर्टेड यूट्रस है क्या? क्या इसके कारण किसी महिला को गर्भवती होने में समस्या हो सकती है? एंटेवर्टेड यूट्रस होने पर और क्या-क्या समस्याएं होती हैं? ऐसे तमाम सवालों के जवाब आपको मॉमजंक्शन के इस आर्टिकल में मिलेंगे।
सबसे पहले हम एंटेवर्टेड यूट्रस की परिभाषा को समझ लेते हैं।
एंटेवर्टेड यूट्रस क्या होता है? | Anteverted Uterus In Hindi Meaning
वैज्ञानिकों के अनुसार यूट्रस का आकार नाशपाती जैसा होता है। इसे प्रेगनेंसी, मासिक धर्म, लेबर पेन और डिलीवरी के लिए महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। जब यूट्रस अपने स्थान से आगे यानी मूत्राशय और पेट की ओर झुक जाता है, तो इस अवस्था को एंटेवर्टेड यूट्रस कहा जाता है। वहीं, पीछे की ओर झुकने की स्थिति को रेट्रोवर्टेड यूट्रस कहा जाता है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की साइट पर उपलब्ध रिसर्च पेपर के अनुसार, करीब 50 फीसदी महिलाओं में एंटेवर्टेड यूट्रस होता है (1)।
लेख के अगले भाग में हम इस समस्या से जुड़े आम लक्षणों के बारे में बता रहे हैं।
एंटेवर्टेड यूट्रस के लक्षण
माना जाता है कि एंटेवर्टेड यूट्रस का कोई लक्षण नहीं होता। हां, अगर यूट्रस जरूरत से ज्यादा आगे की ओर झुका हुआ है, तो महिला को श्रोणि पर दबाव या दर्द महसूस हो सकता है। इसके अन्य लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं :
- शारीरिक संबंध बनाने के दौरान दर्द हो सकता है।
- मासिक धर्म के दौरान पेट में अधिक दर्द।
- पीठ में भी लगातार दर्द का अहसास हो सकता है।
- कुछ महिलाओं को टैंपूस लगाने में भी परेशानी हो सकती है।
- कुछ महिलाओं को पीरियड्स के दौरान या उसके बाद कब्ज की परेशानी हो सकती है।
लक्षण जानने के बाद इस समस्या के कारणों पर चर्चा करते हैं।
एंटेवर्टेड यूट्रस के कारण
एंटेवर्टेड यूट्रस के कई कारण हो सकते हैं। इन कारणों का पता होने पर उससे संबंधित इलाज शुरू किया जा सकता है (2)।
- जन्मजात- अधिकतर महिला को यूट्रस जन्म से ही एंटेवर्टेड हो सकता है। इस अवस्था को सामान्य माना गया है।
- गर्भावस्था के कारण- कुछ महिलाओं में गर्भावस्था के चलते यूट्रस की अवस्था बदल सकती है और यह एंटेवर्टेड हो सकता है।
- सर्जरी के कारण- ऐसा पेल्विक सर्जरी के कारण भी हो सकता है। इसे सर्जरी के साइड इफेक्ट के तौर पर देखा जाता है।
- एंडोमेट्रियोसिस- इसके कारण गर्भाशय के अंदर के टिश्यू बाहर की तरफ विकसित होने लगते हैं और एंटेवर्टेड यूट्रस का कारण बनते हैं (1)।
- सिजेरियन डिलीवरी- कुछ महिलाओं की डिलीवरी सिजेरियरन होती है। उनका यूट्रस भी एंटेवर्टेड की अवस्था में आ सकता है।
लेख में आगे आप जानेंगे कि एंटेवर्टेड यूट्रस का पता कैसे लगाया जा सकता है।
एंटेवर्टेड यूट्रस का निदान कैसे किया जाता है?
यूट्रस की इस अवस्था का पता लगाने के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट करवा सकते हैं, जो इस प्रकार हैं (3)
- अंदरूनी जांच- सीनियर गाइनेकोलॉजिस्ट पेल्विक क्षेत्र की हाथों से जांच करके पता लगाते हैं कि यूट्रस एंटेवर्टेड है या नहीं। इस जांच के दौरान यूट्रस, पेल्विक क्षेत्र, ओवरीज और पेट को स्पर्श किया जाता है। डॉक्टर हाथों से जांच करके पता लगाने की कोशिश करते हैं कि यूट्रस किस स्थिति में है।
- टीवीसी- डॉक्टर ट्रांसवेजाइनल सोनोग्राफी के जरिए यूट्रस की स्थिति का पता लगा सकते हैं (4)।
- अल्ट्रासाउंड- अल्ट्रासाउंड आधुनिक तकनीक है। इसके जरिए जांच कर पता लगाया जाता है कि यूट्रस आगे की ओर झुका है या नहीं। अल्ट्रासाउंड में मशीन के माध्यम से यूट्रस के अंदर की तस्वीरें मॉनिटर पर देखी जाती हैं और परखी जाती हैं। इस प्रक्रिया में स्क्रीन पर पेट की सोनोग्राम छवि उभर आती है। बाद में इन तस्वीरों का विश्लेषण किया जाता है (5)।
क्या एंटेवटेर्ड यूट्रस का इलाज संभव है? आइए, जानते हैं।
एंटेवर्टेड यूट्रस के लिए उपचार
अगर महिला को किसी तरह की दिक्कत नहीं है, तो इसे सामान्य स्थिति माना जाता है और इसका कोई उपचार नहीं किया जाता। जिन महिलाओं को इस तरह के यूट्रस के कारण दर्द या फिर गर्भधारण करने में परेशानी होती है, तो उन महिलाएं को निम्न तरह के व्यायाम करने को कहा जाता है:
- रिलेक्स टू पेल्विस-
- जमीन पर मैट बिछाएं और उस पर पीठ के बल सीधे लेट जाएं।
- हाथों को शरीर से सटाकर रखें और धीरे-धीरे गहरी सांस लें।
- अब हिप्स को जमीन से कुछ इंच ऊपर उठाएं। कुछ सेंकड इस स्थिति में बने रहें।
- अब धीरे-धीरे सांस छोड़ें और फिर से जमीन पर लेट जाएं। इस व्यायाम को करीब 5 बार करें।
- नी टू चेस्ट एक्सरसाइज-
- मैट पर सीधे पीठ के बल लेटें और अपने घुटने मोड़ लें।
- अब सांस लेते हुए धीरे-धीरे अपना एक घुटना हाथों की मदद से चेस्ट के पास तक लाएं।
- इस अवस्था में करीब 10 से 15 सेकंड तक बने रहें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें। अब फिर सांस छोड़ते हुए पैर को सीधा कर लें। इसके बाद दूसरे घुटने से भी ऐसा ही व्यायाम करें।
सर्जरी- कुछ गंभीर मामलों में महिला की सर्जरी की जा सकती है। इसमें सर्जिकल प्रोसेस के माध्यम से महिला के यूट्रस को सही पोजिशन में लाया जाता है।
आगे हम एंटेवर्टेड यूट्रस और प्रेगनेंसी के बीच संबंध के बारे में बता रहे हैं।
एंटेवर्टेड यूट्रस का गर्भावस्था पर प्रभाव
एंटेवर्टेड यूट्रस गर्भावस्था को प्रभावित कर सकता है या नहीं, इस पर कोई सटीक वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। ऐसा माना जाता है कि गर्भावस्था के समय 10वें-12वें सप्ताह के बीच यूट्रस की पोजिशन न तो आगे की ओर झुकाव वाली रहती है और न ही पीछे की ओर। ये मध्य भाग में स्थित हो जाता है। इसलिए, लेबर पेन और डिलीवरी के समय किसी तरह की परेशानी होने की आशंका भी कम ही रहती है।
एंटेवर्टेड यूट्रस के संबंध में और जानकारी के लिए पढ़ते रहें यह लेख।
क्या आप एंटेवर्टेड यूट्रस के साथ गर्भवती हो सकती हैं?
यूट्रस का आगे की ओर झुकाव महिला की प्रजनन क्षमता से बिल्कुल भी संबंधित नहीं है। इसलिए इसका गर्भवती होने से कोई संबंध नहीं है। डॉक्टरों के अनुसार इस स्थिति में शुक्राणुओं के महिला के अंडों तक पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं आती। इसलिए, ऐसी अवस्था में गर्भधारण करते समय किसी तरह की परेशानी होने की आशंका कम ही रहती है, लेकिन इस तथ्य की पुष्टि के लिए अभी कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। हां, कुछ गंभीर मामलों में फाइब्रॉयड, ओवेरियन सिस्ट या ट्यूमर एंटेवर्टेड यूट्रस का कारण बन सकता है। ऐसे में गर्भधारण करते समय डॉक्टर से संपूर्ण चेकअप करवाना जरूरी है।
आइए, अब जानते हैं कि इस अवस्था में यौन संबंध बनाने चाहिए या नहीं।
क्या एंटेवर्टेड यूट्रस होने पर शारीरिक संबंध बनाए जा सकते हैं?
लेख के शुरुआत में बताया गया है कि यह अवस्था सामान्य होती है। कुछ महिलाओं में तो ऐसा जन्मजात हो सकता है, इसलिए यौन संबंध में किसी तरह की परेशानी होने की आशंका कम ही रहती है। साथ ही गर्भधारण करने में भी दिक्कत नहीं आती। हां, कुछ महिलाओं को यौन संबंध बनाते समय दर्द का अहसास हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर से सही पोजीशन के बारे में पूछा जा सकता है।
डॉक्टर से मिलने कब जाएं
यूट्रस में किसी भी तरह का दर्द महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। फिर कुछ स्थितियां ऐसी हैं, जिनके नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए:
- अगर पेट के निचले हिस्से में लगातार दर्द रहता हो।
- माहवारी के समय पेट में अधिक दर्द हो।
- मासिक धर्म के समय पीठ में तेज दर्द।
- पीरियड्स के समय बदबूदार डिस्चार्ज हो।
- शारीरिक संबंध बनाते समय दर्द हो।
महिलाओं में एंटेवर्टेड यूट्रस होना आम बात है, लेकिन इसके लक्षणों को हमेशा गंभीरता से लेना चाहिए। यूट्रस महिला के शरीर का अहम हिस्सा है, इसलिए इससे जुड़ी परेशानी शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित कर सकती है। इसलिए, थोड़ी-सी भी समस्या महसूस होने पर उसे नजरअंदाज न करें। समस्या का सही तरीके से उपचार तभी संभव है, जब आप समय से लक्षणों को पहचान कर डॉक्टर से परामर्श लें। उम्मीद है कि इस लेख में दी गई जानकारी आपके लिए काफी मददगार साबित होगी। महिला स्वास्थ्य से जुड़े ऐसे ही और विषयों के संबंध में जानने के लिए आप हमारे अन्य लेख पढ़ सकते हैं।
References
1. Anatomy, Abdomen and Pelvis, Uterus By NCBI
2. Anteverted Retroflexed Uterus: A Common Consequence of Cesarean Delivery By AJR
3. Variation in uterus position prior to brachytherapy of the cervix: A case report By NCBI
4. Transvaginal ultrasound By Medlineplus
5. Pelvic Ultrasound By NCBI
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