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महिलाओं के लिए प्रसव के बाद का समय चुनौतियों से भरा होता है। इस समय उन्हें नवजात की देखभाल के साथ ही खुद का भी ख्याल रखना पड़ता है। वजह है प्रसव के बाद महिलाओं को होने वाली समस्याएं। ऐसी ही एक परेशानी आंखों की रोशनी का कम होना भी है। मॉमजंक्शन महिलाओं को जागरूक करने के लिए प्रसव के बाद आंखों की रोशनी क्यों कम होती है और इसके इलाज के बारे में जानकारी लेकर आया है। इस आर्टिकल में प्रसव के बाद आंखों की रोशनी कमजोर होने के कारण और लक्षण जैसी सभी जरूरी बातें वैज्ञानिक शोध के आधार पर दी गई हैं।

चलिए, लेख के सबसे पहले भाग में पढ़ते हैं कि आंखों की रोशनी का कम होना क्या है।

आंखों की रोशनी कम होना क्या होता है?

आंखों की रोशनी कम होने का मतलब है लो विजन यानी नजर कमजोर हो जाना। इस दौरान आंखों के देखने की क्षमता थोड़ी कम हो जाती है, जिसके कारण रोजमर्रा की गतिविधियों और अन्य कामकाज करने में परेशानी होने लगती है। इस समस्या के होने पर पढ़ने, गाड़ी चलाने, रंग पहचानने में मुश्किल होती है। साथ ही टीवी और कंप्यूटर की स्क्रीन भी साफ नजर नहीं आती है (1)

अब जानते हैं कि डिलीवरी के बाद महिला की आंखों पर कैसा प्रभाव पड़ता है।

क्या डिलीवरी के बाद आंखों पर प्रभाव पड़ता है? | Pregnancy Ke Samay Nazar Ka Kamjor Hona

जी हां, डिलीवरी के बाद आंखों पर असर पड़ सकता है (2)। दरअसल, गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के परिवर्तन होते हैं, जिससे पूरे शरीर के साथ ही आंखें भी प्रभावित हो सकती हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर पब्लिश एक शोध के अनुसार, गर्भावस्था के समय ड्राई आई सिंड्रोम जैसी कई समस्याएं होती हैं (3)। इनके कारण आंखों की रोशनी कमजोर हो सकती है (4)। एक अन्य रिसर्च पेपर के मुताबिक, प्रसव के बाद दोनों आंखों की पास और दूर की नजर कमजोर हो सकती है (5)

आगे जानिए कि प्रसव के बाद आंखों की रोशनी कम होने के कारण क्या-क्या हैं।

प्रेगनेंसी के बाद आंखों की रोशनी में बदलाव आने के कारण

गर्भावस्था के बाद नजर कमजोर होने का कारण पता चलने से इस समस्या का सही उपचार किया जा सकता है। इसके कारण कुछ इस प्रकार हैं।

  • प्री-एक्लेम्पसिया – गर्भावस्था के समय उच्च रक्तचाप के कारण पैदा होने वाली प्री-एक्लेम्पसिया की समस्या से भी प्रसव के बाद आंखों की रोशनी पर असर पड़ सकता है। इस वजह से आंखों से धुंधला दिखना और देखते समय स्पॉट्स यानी धब्बे दिखाई दे सकते हैं (6)। ऐसे में रक्तचाप कम करने के लिए सही उपचार का सहारा लेना चाहिए।
  • जेस्टेशनल डायबिटीज – उच्च रक्त शर्करा के कारण रक्त वाहिकाओं और नसों को नुकसान पहुंचता है, जिससे आंखों की रोशनी पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है (7)। ऐसे में शिशु को जन्म देने के बाद भी डायबिटीज की समस्या से जूझ रही महिलाओं को चीजें धुंधली दिख सकती हैं (8)
  • पिट्यूटरी में समस्या के कारण – गर्भावस्था के समय पिट्यूटरी ग्रंथि में सीरम एस्ट्रोजेन हार्मोन की वृद्धि के कारण ट्यूमर होने से भी नजर कमजोर हो सकती है। इस संबंध में पब्लिश रिसर्च पेपर में भी इस बात का जिक्र मिलता है। शोध में कहा गया है कि इसके कारण विजवल लॉस यानी आंखों की रोशनी कम हो सकती है (9)
  • ड्राई आई सिंड्रोम – आंखों की रोशनी कम होने का एक कारण ड्राई आई सिंड्रोम को भी माना जाता है। प्रेगनेंसी के दौरान इस समस्या के कारण यह परेशानी प्रसव के बाद तक रह सकती है (3)

अब हम गर्भावस्था के बाद आंखों की रोशनी कम होने से जुड़े लक्षण बता रहे हैं।

प्रेगनेंसी के बाद आंख संबंधी समस्याओं के लक्षण

प्रसव के बाद आंखों की समस्याओं से जुड़े कुछ लक्षण नजर आ सकते हैं, जो कुछ प्रकार हो सकते हैं।

  • अक्षरों को स्पष्ट न पढ़ पाना
  • आंखों में धुंधलापन छाना और चक्कर आना
  • आंखों में थकान महसूस होना
  • देखते समय कुछ स्पॉट व धब्बे नजर आना (6)
  • आंखों में दर्द महसूस होना
  • आंखों पर जोर व दबाव पड़ना
  • लाइट यानी प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता
  • एक चीज का दो-दो दिखना (डबल विजन)

आइए, अब जानते हैं कि प्रसव के बाद होने वाली आंखों की समस्याओं का इलाज कैसे होता है।

डिलीवरी के बाद होने वाली नजर संबंधी समस्याओं का इलाज कैसे करें?

प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले बदलावों के कारण ही प्रसव के बाद भी कुछ नजर संबंधी समस्याएं महिला को रहती हैं। अधिकतर शोध में यही कहा जाता है कि गर्भावस्था से जुड़ी आंखों की समस्या प्रसव के कुछ समय बाद खुद-ब-खुद ठीक हो जाती हैं (4)। हां, कुछ मामलों में आंखों की समस्या के कारण के आधार पर प्रसूता का इलाज होता है। ये कुछ इस प्रकार हैं।

  • प्री-एक्लेम्पसिया का इलाज – प्रसव के बाद आंखों की रोशनी प्री-एक्लेम्पसिया की वजह से कमजोर हुई है, तो डॉक्टर इस समस्या का इलाज कर सकते हैं। वैसे बताया जाता है कि प्रसव के 6 हफ्ते बाद प्री-एक्लेम्पसिया खुद-ब-खुद ठीक हो जाता है। अगर ऐसा न हो, तो कुछ दवाओं की मदद से इसका इलाज किया जा सकता हैं। इससे यह बीमारी और संबंधित लक्षण, जिनमें से एक नजर कमजोर होना है, वो ठीक हो सकता है (6)
  • जेस्टेशनल डायबिटीज का उपचार – अगर जेस्टेशनल डायबिटीज से नजर कमजोर हुई है, तो प्रसव के बाद इसका इलाज करके आंखों की रोशनी को कुछ ठीक किया जा सकता है। इसके लिए डॉक्टर ब्लड शुगर को कम करने के लिए दवाई दे सकते हैं (8)
  • पिट्यूटरी का इलाज – प्रसव के बाद आंखों की रोशनी कम होने का इलाज करने के लिए इसके कारण का इलाज करना जरूरी है। इन कारणों में पिट्यूटरी ग्रंथि की समस्या भी शामिल है। इसका इलाज करने के लिए डॉक्टर एस्ट्रोजेन हार्मोन की वृद्धि से होने वाले ट्यूमर को रोकने के लिए दवा या इस हार्मोन को नियंत्रित करने की दवा दे सकते हैं (9)
  • ड्राई आई सिंड्रोम का उपचार – जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि ड्राई आई सिंड्रोम के कारण भी गर्भावस्था के दौरान व बाद में आंखों की रोशनी संबंधी समस्या हो सकती है। अगर यह कुछ समय बाद खुद ठीक नहीं होती है, तो इसके इलाज के लिए डॉक्टर आर्टिफीशियल टीयर्स का इस्तेमाल कर सकते हैं (10)
  • अन्य उपचार – प्रसव के बाद आंखों की रोशनी कम होने से संबंधी इन कारणों के उपचार के बाद भी समस्या ठीक न हो, तो डॉक्टर चश्मा, कॉन्टेक्ट लेंस या कुछ सर्जरी करवाने की सलाह दे सकते हैं (1)

आप समझ ही गए होंगे कि प्रेगनेंसी के बाद आंखों की रोशनी कम होना सामान्य है। प्रसव के बाद आंखों की रोशनी कम होने की समस्या को लेख में बताए गए उपचार की मदद से ठीक किया जा सकता है। बस इसके लिए जरूरी है समय पर डॉक्टर से संपर्क करके इसका इलाज करवाना। इससे परेशानी बढ़ने से पहले ही उसे रोका जा सकता है। इस तरह की अन्य जानकारियां प्राप्त करने के लिए मॉमजंक्शन के साथ जुड़े रहें।

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