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पीसीओएस यानी पॉलिसिसटिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) महिलाओं में पाए जाने वाली सबसे आम बीमारियों में से एक है। इस समस्या में महिलाओं के अंडाशय में छोटी-छोटी सिस्ट बनने लगते हैं, जिस कारण मोटापा, अनियमित पीरियड, बांझपन व इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin Resistance) जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसका कोई सटीक इलाज न होने के कारण जीवनशैली में आम बदलाव जैसे व्यायाम और पीसीओएस डाइट की मदद से इस समस्या को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है (1)। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम यह बताएंगे कि पीसीओएस में क्या खाना चाहिए। इसके साथ ही आप जानेंगे कि डाइट में किस प्रकार के बदलाव करने से पीसीओएस का इलाज संभव है।
आइए शुरू करें लेख
लेख के सबसे पहले भाग में हम आपको यह बताएंगे कि पीसीओएस डाइट कैसे मददगार होती है।
पीसीओएस डाइट क्यों और कैसे आवश्यक है – Why and How Is Diet Important in PCOS In Hindi
यह ऐसी समस्या है, जो महिला की नियमित जीवनशैली को प्रभावित करती है। इससे प्रभावित महिला को गर्भधारण और गर्भावस्था से जुड़ी अन्य जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। बताया जाता है कि पीसीओएस का कोई इलाज नहीं है। बस नियमित व्यायाम, पीसीओएस डाइट और कुछ मेडिकल ट्रीटमेंट की मदद से पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के लक्षणों को कुछ कम किया जा सकता है (1)।
हाल ही में किए गए एक वैज्ञानिक शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि सीमित और संतुलित मात्रा में फैट, कैलोरी व कार्बोहाइड्रेट लेने से और नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से पीसीओएस की समस्या को कम करने में मदद मिल सकती है (2)।
नीचे है और जानकारी
लेख के अगले भाग में हम बताएंगे कि पीसीओएस डाइट कैसी होनी चाहिए।
पीसीओएस के लिए कैसी डाइट होनी चाहिए – What type of diet we should eat in PCOS In Hindi
एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) द्वारा प्रकाशित एक शोध में यह पाया गया है कि कुछ खास तरह की डाइट का सेवन करने से पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के लक्षण को कम करने में सहायता मिल सकती है। इस डाइट में कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स व कोलेस्ट्रोल, उच्च मात्रा में फाइबर और संतुलित मात्रा में फैट लेने से पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के लक्षण जैसे बढ़ते वजन को कम करने में मदद मिल सकती है (2)।
अंत तक पढ़ें लेख
आइए, अब पीसीओएस के लिए डाइट प्लान के बारे में बात कर लेते हैं।
पीसीओएस के लिए आहार चार्ट – Diet Chart for High Blood Pressure in Hindi
नीचे हमने पीसीओएस डाइट प्लान का एक हफ्ते का नमूना दिया है। पीसीओएस डाइट प्लान सिर्फ हफ्ते भर का नहीं होता। साथ ही यह सबके लिए एक जैसा नहीं होता और यह हर महिला के स्वास्थ पर निर्भर करता है। हां, इसकी मदद से और अपने न्यूट्रिशनिस्ट से बात करके अपने अनुसार डाइट प्लान बनवाया जा सकता है। इस डाइट प्लान का पालन लंबे समय तक करना जरूरी है। साथ ही इससे जुड़ी कुछ काम की बातों को भी ध्यान में रखने की जरूरी है, जिनके बारे में आगे लेख में बताया गया है।
पहला दिन :
खाने का समय | क्या खाएं |
सुबह उठते ही (6 बजे) | एक कप पानी में रात भर भीगे हुए 2 चम्मच मेथी के बीज |
नाश्ता (7 बजे) | एक उबला अंडा/पीनट बटर के साथ दो होल व्हीट टोस्ट + एक कप ग्रीन टी + आधा बाउल पपीता + दो बादाम |
ब्रंच (9:30-10:00 बजे) | एक कप ग्रीन टी + एक गाजर |
दोपहर का खाना (12:00 – 12:30 बजे) | एक छोटा बाउल ब्राउन राइस + ग्रिल्ड सब्जियां + एक बाउल ग्रिल्ड मछली/आधा कप उबले हुए काबुली चने + एक कप छाछ |
शाम का नाश्ता (3:00 – 3:30 बजे) | एक कप ग्रीन टी/ब्लैक कॉफी + एक मल्टीग्रेन बिस्कुट |
रात का खाना (6:30 – 7:00 बजे) | सब्जियों के साथ बना चिकन/दाल का सूप + एक रोटी + एक बाउल दही |
रात को सोने से पहले (10 बजे) | एक चुटकी हल्दी के साथ एक गिलास सोया दूध या गुनगुना पानी + एक चम्मच शहद + एक चुटकी जायफल पाउडर |
नोट: पहले दिन की डाइट के बाद अगले भोजन से पहले भूख लग सकती है। ऐसे में कुछ ठोस या भारी खाने से बचें। इस समय एक कप ग्रीन टी, सादा पानी या एक सेब या संतरा खा सकते हैं। ऐसा कुछ भी खाने से बचें, जिसमें ज्यादा मात्रा में फैट या कार्ब्स हो।
दूसरा दिन :
खाने का समय | क्या खाएं |
सुबह उठते ही (6 बजे) | एक कप पानी में रात भर भीगे हुए 2 चम्मच मेथी के बीज |
नाश्ता (7 बजे) | आधा बाउल उपमा + एक कप ग्रीन टी + 2 बादाम |
ब्रंच (9:30-10:00 बजे) | एक केला + आधा खीरा |
दोपहर का खाना (12:00 – 12:30 बजे) | दो रोटी + राजमा + चुकंदर और गाजर का सलाद + एक कप छाछ |
शाम का नाश्ता (3:00 – 3:30 बजे) | एक कप ग्रीन टी + आधा बाउल बिना नमक के पॉपकॉर्न |
रात का खाना (6:30 – 7:00 बजे) | एक कप केल और झींगा/मशरूम/टोफू सलाद + एक कप दही |
रात को सोने से पहले (10 बजे) | एक चुटकी हल्दी के साथ एक गिलास सोया दूध या गुनगुना पानी + एक चम्मच शहद + एक चुटकी जायफल पाउडर |
नोट : खाना खाने से पहले दो कप पानी पीने से जरूरत से ज्यादा खाने से बचा जा सकता है।
तीसरा दिन :
खाने का समय | क्या खाएं |
सुबह उठते ही (6 बजे) | आधे नींबू के रस के साथ एक कप गुनगुना पानी |
नाश्ता (7 बजे) | 2 छुआरे और सोय/बादाम मिल्क के साथ ओट्स + एक कप ग्रीन टी या बादाम के दूध के साथ स्ट्रॉबेरी और बनाना स्मूदी + एक कप ग्रीन टी |
ब्रंच (9:30-10:00 बजे) | आधा कप नारियल पानी, आधा कप ब्लैक कॉफी + एक मल्टीग्रेन बिस्कुट |
दोपहर का खाना (12:00 – 12:30 बजे) | आधा कप ग्रिल्ड मछली और ग्रिल्ड सब्जियां + एक कप दही या आधा कप उबले हुए काले सेम और ग्रिल्ड सब्जियां + एक कप दही |
शाम का नाश्ता (3:00 – 3:30 बजे) | एक कप ग्रीन टी + 10 बिना नमक के पिस्ता |
रात का खाना (6:30 – 7:00 बजे) | ग्रिल्ड मशरूम/टोफू + ब्रोकली सूप + एक कप छाछ |
रात को सोने से पहले (10 बजे) | एक चुटकी हल्दी के साथ एक गिलास सोया दूध या गुनगुना पानी + एक चम्मच शहद + एक चुटकी जायफल पाउडर |
नोट : स्किम्ड दूध या लो फैट योगर्ट का सेवन करने से बचें।
चौथा दिन :
खाने का समय | क्या खाएं |
सुबह उठते ही (6 बजे) | एक कप पानी में रात भर भीगे हुए 2 चम्मच मेथी के बीज |
नाश्त (7 बजे) | एक केला + 2 बादाम + एक कप ग्रीन टी + एक उबला हुआ अंडा या आधा कप घिसा हुआ टोफू |
ब्रंच (9:30-10:00 बजे) | एक छोटा बाउल मिक्स फ्रूट |
दोपहर का खाना (12:00 – 12:30 बजे) | एक छोटा बाउल ब्राउन राइस + आधा कप तरी वाला चिकन/मशरूम + खीरा और टमाटर का सलाद + एक कप छाछ |
शाम का नाश्ता (3:00 – 3:30 बजे) | एक कप ग्रीन टी + एक मल्टीग्रेन बिस्कुट |
रात का खाना(6:30 – 7:00 बजे) | एक बाउल उबले हुए चने में खीरा, टमाटर, गाजर, नींबू का रस, ओलिव ऑयल और ऑरेगैनो + एक कप दही |
रात को सोने से पहले (10 बजे) | एक चुटकी हल्दी के साथ एक गिलास सोया दूध या गुनगुना पानी + एक चम्मच शहद + एक चुटकी जायफल पाउडर |
नोट: कम शक्कर व ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फलों का चयन करें।
पांचवां दिन :
खाने का समय | क्या खाएं |
सुबह उठते ही (6 बजे) | एक कप पानी में रात भर भीगे हुए 2 चम्मच मेथी के बीज |
नाश्ता (7 बजे) | उबले हुए जौ/बाजरा के साथ सब्जियां + एक कप ग्रीन टी |
ब्रंच (9:30-10:00 बजे) | दो बादाम + एक कप ग्रीन टी या आधा कप तरबूज |
दोपहर का खाना (12:00 – 12:30 बजे) | एक बाउल सलाद + आधा कप ग्रिल्ड चिकन/फिश/ब्रोकली + एक कप छाछ |
शाम का नाश्ता (3:00 – 3:30 बजे) | एक कप नारियल पानी + एक खीरा |
रात का खाना (6:30 – 7:00 बजे) | आधा कप ब्राउन राइस + आधा बाउल राजमा + सलाद + एक कप छाछ |
रात को सोने से पहले (10 बजे) | एक चुटकी हल्दी के साथ एक गिलास सोया दूध या गुनगुना पानी + एक चम्मच शहद + एक चुटकी जायफल पाउडर |
नोट : ताजी छाछ और नारियल पानी का सेवन करें। बाजार से आए पैकेट बंद नारियल पानी या छाछ का सेवन करने से बचें।
छठा दिन :
खाने का समय | क्या खाएं |
सुबह उठते ही (6 बजे) | आधे नींबू के रस के साथ एक कप गुनगुना पानी |
नाश्ता (7 बजे) | अंकुरित मूंग और चने में खीरा और टमाटर + एक कप ग्रीन टी |
ब्रंच (9:30-10:00 बजे) | एक सेब |
दोपहर का खाना (12:00 – 12:30 बजे) | काबुली चने/चिकन सलाद + एक कप दही |
शाम का नाश्ता (3:00 – 3:30 बजे) | एक कप ग्रीन टी + एक मध्यम आकार का बाउल भरकर बिना नमक के पॉपकॉर्न |
रात का खाना (6:30 – 7:00 बजे) | सब्जियों के साथ बनी मछली या मशरूम सूप + एक रोटी + खीरा और गाजर का सलाद + एक टुकड़ा डार्क चॉकलेट |
रात को सोने से पहले (10 बजे) | एक चुटकी हल्दी के साथ एक गिलास सोया दूध या गुनगुना पानी + एक चम्मच शहद + एक चुटकी जायफल पाउडर |
नोट : मिल्क चॉकलेट का सेवन न करें। उसकी जगह 80 प्रतिशत या उससे ज्यादा डार्क चॉकलेट ही खाएं।
सातवां दिन :
खाने का समय | क्या खाएं |
सुबह उठते ही (6 बजे) | एक कप पानी में रात भर भीगे हुए 2 चम्मच मेथी के बीज |
नाश्ता (7 बजे) | एक उबला अंडा/पीनट बटर के साथ एक टोस्ट + एक स्लाइस वाइट ब्रेड + एक कप ग्रीन टी + 2 बादाम या अखरोट |
ब्रंच (9:30-10:00 बजे) | एक संतरा |
दोपहर का खाना (12:00 – 12:30 बजे) | एक छोटा बाउल ब्राउन राइस + ग्रिल्ड चिकन/मशरूम/टोफू + ग्रिल्ड सब्जियां + एक कप दही |
शाम का नाश्ता (3:00 – 3:30 बजे) | एक कप ग्रीन टी + एक मल्टीग्रेन बिस्कुट |
रात का खाना (6:30 – 7:00 बजे) | तरी वाला मिक्स वेज + 2 गेहूं की रोटी + एक कटोरी चना दाल + एक कप छाछ |
रात को सोने से पहले (10 बजे) | एक चुटकी हल्दी के साथ एक गिलास सोया दूध या गुनगुना पानी + एक चम्मच शहद + एक चुटकी जायफल पाउडर |
डाइट के बाद कैसा महसूस होगा : एक हफ्ते तक पूरी ईमानदारी के साथ डाइट प्लान को फॉलो करने के बाद महिला हल्का और स्वस्थ महसूस कर सकती है। इस डाइट प्लान में संतुलित मात्रा में सभी पोषक तत्वों को रखा गया है, जो महिला को सेहतमंद और सकारात्मक महसूस करवाने में सहायक होंगे।
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पीसीओएस डाइट प्लान से जुड़ी जानकारी के बाद जानिए कि पीसीओएस में क्या खाएं।
पीसीओएस में क्या खाना चाहिए – Food for PCOS In Hindi
नीचे हम कुछ खाद्य पदार्थों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें पीसीओएस डाइट में शामिल करने से फायदा मिल सकता है। साथ में हम यह भी बता रहे हैं कि इनका सेवन किस तरह लाभदायक हो सकता है।
1. पीसीओएस में गुड फैट
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के लक्षण में हाइपरइंसुलिनेमिया (hyperinsulinemia) एक आम लक्षण है। इस समस्या में शरीर में इंसुलिन की मात्रा जरूरत से ज्यादा बढ़ जाती है, जो अन्य गंभीर बीमारियों की वजह बन सकती है। यह मोटापे का कारण भी बन सकता है (3)। ऐसे में मोनो/पॉलीअनसैचुरेटेड फैट का सेवन करने की सलाह दी जाती है। यह फैट पीसीओएस में इंसुलिन की मात्रा को संतुलित बनाए रखने में मदद कर सकता है, जिससे वजन को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है (4)।
2. फाइबर युक्त आहार
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के लक्षण में इंसुलिन रेसिस्टेंस भी शामिल है। यह ऐसी समस्या है जब शरीर इंसुलिन हॉर्मोन के प्रति कोई प्रतिक्रिया नहीं दे पता, जिस कारण खून में शुगर की मात्रा बढ़ने लगती है। यह अवस्था मोटापे के कारण और गंभीर हो सकती है। इस समस्या को फाइबर से कुछ हद तक कम किया जा सकता है। पर्याप्त मात्रा में डाइटरी फाइबर का सेवन करने से पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में इंसुलिन रेसिस्टेंस को कम करने में मदद मिल सकती है (5)। इस तरह लक्षण को कम करके कुछ हद तक पीसीओएस से राहत मिल सकती है।
3. पीसीओएस डाइट में फैटी फिश
विभिन्न तरह के फिश ऑयल ओमेगा-3 फैटी एसिड से समृद्ध होते हैं। पीसीओएस डाइट प्लान में इन्हें शामिल करने से फायदा मिल सकता है। एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक शोध में बताया गया है कि लगभग 6 महीने तक ओमेगा-3 फैटी एसिड से युक्त डाइट का सेवन करने से पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में कमर का आकार, अच्छे व बुरे कोलेस्ट्रोल की मात्रा, ट्राइग्लिसराइड (एक तरह का फैट) को संतुलित बनाए रखने में मदद मिल सकती है। साथ ही यह माहवारी को नियमित करने में भी मदद कर सकता है (6)। इसके लिए साल्मन, ट्यूना, सार्डिन और मैकेरल मछली का सेवन किया जा सकता है। शाकाहारी लोग अलसी, चिया बीज, अखरोट, सोयाबीन और टोफू का सेवन कर सकते हैं (7)।
4. कम वसा वाला प्रोटीन
पीसीओएस ट्रीटमेंट करने के लिए विभिन्न तरह की डाइट पर शोध किया गया है, जिनमें विभिन्न पोषक तत्वों को शामिल किया गया है। ऐसे ही एक शोध में पीसीओएस डाइट में लीन प्रोटीन यानी कम वसा वाले प्रोटीन को भी शामिल किया गया है। यह डाइट वजन नियंत्रित करने और शरीर का फैट कम करने में सहायक हो सकती है। साथ ही पीसीओएस से ग्रसित महिलाओं में इंसुलिन संवेदनशीलता को बेहतर करने और टेस्टोस्टेरोन यानी यौन हॉर्मोन को नियंत्रित करने में भी लाभदायक हो सकती है (8)। पीसीओएस में लीन प्रोटीन की भूमिका पर और गहरे शोध की आवश्यकता है।
5. पीसीओएस डाइट प्लान में एंटीऑक्सीडेंट
पीसीओएस में महिला के शरीर में एंटीऑक्सीडेंट का प्रभाव कम होने लगता है और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस का स्तर बढ़ सकता है। इसके कारण हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा और अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में एंटीऑक्सीडेंट गुणों से युक्त खाद्य पदार्थों और सप्लीमेंट का सेवन करने से पीसीओएस को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है (9)।
6. पीसीओएस में साबुत अनाज के फायदे
साबुत अनाज (होल ग्रेन) को सेहत के लिए कई तरीकों से फायदेमंद माना गया है। इसमें पीसीओएस से बचाव भी शामिल है। माना जाता है कि महिलाओं के आहार में साबूत अनाज को शामिल करने से पीसीओएस से बचने में 64 प्रतिशत तक मदद मिल सकती है। साबुत अनाज इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाने और ब्लड ग्लूकोज को नियंत्रित करके पीसीओएस के लक्षणों से राहत पाने में मदद कर सकता है (10)।
7. पीसीओएस डाइट में नट्स के फायदे
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के लक्षण में इंसुलिन रेसिस्टेंस, डिसलिपिडेमिया (लिपिड्स – कोलेस्ट्रोल व ट्राइग्लिसराइड्स आदि का असंतुलित स्तर) और यौन हॉर्मोन का असंतुलन शामिल है। इन लक्षणों से आराम पाने में नट्स का सेवन मददगार हो सकता है। बताया जाता है कि बादाम और अखरोट मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड और पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड से समृद्ध होते हैं। ये प्लाज्मा लिपिड का संतुलन बनाए रखने और एंड्रोजन नामक यौन हॉर्मोन पर फायदेमंद प्रभाव दिखाने में सहायक हो सकते हैं (11)।
8. नारियल पानी के लाभ
पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम में नारियल पानी पीने के फायदे भी देखे गए हैं। मिडिल ईस्ट फर्टिलिटी सोसाइटी जर्नल द्वारा प्रकाशित एक शोध में इस बात की पुष्टि की गई है कि नारियल पानी में एंटीएंड्रोजन और फाइटोएस्ट्रोजन गुण होते हैं। ये पीसीओएस में एस्ट्रस साइकिल को नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं (12)। एस्ट्रस साइकिल महिलाओं में होने वाली एक तरह की हॉर्मोनल प्रक्रिया होती है, जिसका संंतुलित होना जरूरी है।
9. सेब के सिरके के फायदे
हाल ही में पीसीओएस ट्रीटमेंट के लिए सिरके के उपयोग से जुड़े शोध सामने आए हैं। ऐसे ही एक शोध में पीसीओएस ट्रीटमेंट के लिए सेब के सिरके का उपयोग किया गया। इस शोध के परिणाम में पाया गया कि सेब का सिरका पीसीओएस से ग्रसित महिलाओं में इंसुलिन संवेदनशीलता को बेहतर कर सकता है। इससे अंडाशय की कार्यप्रणाली में सुधार आ सकता है। साथ ही यह मासिक धर्म के चक्र को भी नियमित कर सकता है (13)।
10. पानी की अहमियत
जैसा कि हम लेख में ऊपर बता चुके हैं कि इसके लिए कोई दवा नहीं है। सिर्फ इसके लक्षणों को कम करके पीसीओएस का इलाज संभव है। पीसीओएस में वजन कम करना एक अहम पहलू है, जिसके लिए सही व्यायाम और संतुलित आहार के साथ शरीर को हाइड्रेट रखना भी जरूरी है। ऐसा न करने से महिला को थकान का सामना करना पड़ सकता है (14)। एनसीबीआई की ओर से उपलब्ध एक शोध में भी पाया गया है कि पर्याप्त मात्रा में पानी पीना वजन नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। साथ ही मोटापा व टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को कम करने में भी मदद कर सकता है (15)।
11. पीसीओएस डाइट में पोषण
पीसीओएस का उपचार करने के लिए सही और संतुलित मात्रा में जरूरी पोषक तत्वों का सेवन करना जरूरी है। इसके लिए कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट व कोलेस्ट्रोल, उच्च मात्रा में फाइबर और संतुलित मात्रा में फैट युक्त डाइट का सेवन करने की सलाह दी जाती है (2)। इसके अलावा, ओमेगा-3 फैटी एसिड, फोलिक एसिड, सेलेनियम, विटामिन-ई, कैटेचिन और ग्लाइसीराइजिन को भी पीसीओएस डाइट प्लान में शामिल करने से फायदा मिल सकता है (16)।
पढ़ते रहें यह लेख
यह जानने के बाद कि पीसीओएस में क्या खाना चाहिए, जानिए कि क्या नहीं खाना चाहिए।
पीसीओएस में क्या नहीं खाना चाहिए – Foods to Avoid in PCOS in Hindi
पीसीओएस में क्या खाएं के साथ यह भी जानना जरूरी है कि इस समस्या में किस तरह के खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए। बताया है कि इसमें वजन नियंत्रित करने की सलाह दी जाती है, जिस कारण सिंपल शुगर और रिफाइंड (सिंपल) कार्बोहाइड्रेट का सेवन करने से बचने की सलाह दी जाती है (17)। ये आसानी से खून में शुगर की मात्रा बढ़ा सकते हैं। ऐसे में नीचे बताए गए खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए (18) (19) :
- कैंडी
- सोडा युक्त पेय पदार्थ
- कॉर्न सिरप
- फलों का रस
- शहद
- चीनी
- केक
- कोल्ड ड्रिंक
- विभिन्न तरह के सिंपल कार्ब्स जैसे फ्रुक्टोज, लैक्टोज, माल्टोज, सुक्रोज, ग्लूकोज, गैलेक्टोज व राइबोज युक्त खाद्य पदार्थ।
आगे है जरूरी जानकारी
अगले भाग में जानिए कि किस उम्र में पीसीओएस होने की आशंका ज्यादा होती है।
20-30 साल की उम्र में पीसीओएस का खतरा – Prevalence of PCOS in 20-30s age in Hindi
इस विषय पर कई शोध किए गए हैं कि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम किस उम्र में महिलाओं को प्रभावित कर सकता है। बताया जाता है कि यह 15-44 साल तक की महिलाओं को प्रभावित कर सकता है। दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि यह उन वर्षों में होता है, जब महिला गर्भवती हो सकती है (20)। वहीं, भारत में किए गए एक शोध में पाया गया है कि यह समस्या 18-25 वर्ष की महिलाओं में ज्यादा होती है (21)। कई महिलाओं को इसका पता 20-30 साल की उम्र में लगता है, जब उन्हें गर्भधारण करने में समस्या होने लगती है और वे इसका निदान करवाती हैं (20)।
अंत तक पढ़ें लेख
आने वाले भाग में जानिए पीसीओएस डाइट प्लान के बारे में कुछ और काम की बातें।
पीसीओएस से जुड़े डाइट टिप्स – Dietary tips for PCOS In Hindi
अभी तक के लेख को ध्यान से पढ़ने के बाद पीसीओएस डाइट से जुड़ी नीचे बताई गई बातें खास हैं और डाइट को फॉलो करते समय इनका ध्यान रखना जरूरी है :
- सिंपल कार्ब्स और शुगर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचें।
- अधिक मात्रा में फाइबर युक्त आहार का सेवन करें।
- भरपूर मात्रा में पानी पिएं और खुद को हाइड्रेट रखें।
- एक बार में ढेर सारा खाना न खाएं।
- थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ खाते रहें।
- सभी पोषक तत्वों का संतुलित मात्रा में सेवन करें।
- एंटीऑक्सीडेंट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
आगे है और जानकारी
इस लेख के अगले भाग में आप पीसीओएस से जुड़ी कुछ और जरूरी जानकारी के बारे में पढ़ेंगे।
पीसीओएस के लिए दिनचर्या में क्या बदलाव करें – Lifestyle changes in PCOS In Hindi
पीसीओएस ट्रीटमेंट में स्वस्थ जीवनशैली अहम भूमिका निभाती है (22)। ऐसे में स्वस्थ जीवनशैली के कुछ आम टिप्स अपना कर इस समस्या से आराम पाने में कुछ हद तक मदद मिल सकती है, जैसे (23) :
- नियमित रूप से डॉक्टर से परामर्श करते रहें।
- वजन को नियंत्रण में रखें।
- स्वस्थ और संतुलित आहार का सेवन करें।
- फैट और कैलोरी का सेवन नियंत्रण में करें।
- नियमित तौर पर व्यायाम करते रहें।
- अपना रक्तचाप और कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित रखें।
- धूम्रपान न करें।
- सूरज की हानिकारक किरणों से खुद को बचाएं।
- भरपूर नींद लें।
- शराब का सेवन न करें।
- धूम्रपान को पूरी तरह से न कहें।
- शारीरिक के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें।
दोस्तों, हम आशा करते हैं कि अब आप पीसीओएस डाइट और उससे जुड़े सभी पहलुओं के बारे में अच्छी तरह समझ गए होंगे। पीसीओएस ऐसी बीमारी है, जिसका उपचार सिर्फ स्वस्थ जीवनशैली और वजन को नियंत्रित रख कर किया जा सकता है। इस कारण हमने लेख में आपको विस्तार से बताया है कि पीसीओएस में क्या खाएं और किस तरह सही खान-पान व संतुलित जीवन से पीसीओएस का इलाज संभव है। इसलिए, अगर आपके आसपास कोई इस बीमारी से ग्रसित है, तो उसे आप यह लेख जरूर पढ़ने के लिए दें। साथ ही पीसीओएस से जुड़े विभिन्न पहलुओं के बारे में समझा सकते हैं। उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए लाभदायक रहा होगा। सेहत से जुड़ी ऐसी ही रोचक जानकारी पाने के लिए पढ़ते रहें स्टाइलक्रेज।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
किस तरह के खाने से पीसीओएस की समस्या बढ़ सकती है?
रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, सिंपल शुगर, अधिक ग्लाइसेमिक इंडेक्स, सैचुरेटेड व ट्रांस फैट युक्त खाद्य पदार्थों के साथ-साथ मोटापा, शुगर व कोलेस्ट्रोल बढ़ाने वाली चीजें खाने से पीसीओएस की समस्या बढ़ सकती है (17)।
क्या पीसीओएस और पीसीओडी एक ही है?
जी हां, पीसीओएस और पीसीओडी एक ही बीमारी के दो नाम हैं (24)। बस इनकी फुल फॉर्म अलग-अलग है। पीसीओएस का मतलब है पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम और पीसीओडी का मतलब है पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज (25)।
पीसीओएस में प्रतिबंधित डाइट काम क्यों नहीं करती?
जैसा कि लेख के शुरुआत में बताया गया हैं कि पीसीओएस ट्रीटमेंट में खान-पान और वजन पर नियंत्रण जरूरी है, लेकिन भारतीय महिलाओं के लिए इसका पालन करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। आमतौर पर भारतीय महिलाएं पूरे परिवार के लिए खाना बनाती है और साथ ही पूरे घर का काम संभालती हैं। ऐसे में पूरे परिवार के लिए जो खाना बनाता है, वो भी वही खा लेती हैं, जिस कारण डाइट को पूरी तरह से फॉलो करना मुश्किल हो सकता है।
पीसीओएस में कीटो डाइट की सलाह क्यों नहीं दी जाती?
कुछ डॉक्टर पीसीओएस में कीटो डाइट लेने की सलाह नहीं देते, क्योंकि उनके अनुसार कीटो डाइट से पीसीओएस की समस्या और बढ़ सकती है, लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं है। वहीं, अगर वैज्ञानिक अध्ययन की बात करें, तो उसमें कहा गया है कि पीसीओएस के लक्षण कम करने और वजन नियंत्रित करने के लिए कीटो डाइट फायदेमंद हो सकती है (26)।
पीसीओएस में जल्दी वजन कम कैसे किया जा सकता है?
नियमित एक्सरसाइज और संतुलित आहार से ही पीसीओएस में वजन कम करने में सहायता मिल सकती है।
क्या पीसीओएस में चिकन खाया जा सकता है?
हां, लीन चिकन यानी कम वसा वाले चिकन को प्रोटीन का अच्छा स्रोत माना जाता है, जो वजन नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है (27)।
क्या पीसीओएस में संतरा (ऑरेंज) खाया जा सकता है?
हां, संतरा में शुगर की मात्रा कम होती है, जिस कारण पीसीओएस में इसका सेवन सुरक्षित माना गया है (28)।
क्या पीसीओएस में चावल खाए जा सकते हैं?
नहीं, सफेद चावल खून में शुगर की मात्रा को बढ़ाकर पीसीओएस की समस्या को गंभीर बना सकते हैं, जिस कारण इसे खाने की सलाह नहीं दी जाती (29)। इसकी जगह ब्राउन राइस खाए जा सकते हैं (30)।
क्या पीसीओएस में दूध पिया जा सकता है?
हां, पीसीओएस में कम वसा वाला दूध पिया जा सकता है। एक शोध में पीसीओएस और लो फैट मिल्क में सकारात्मक संबंध पाया गया है (31)।
क्या पीसीओएस ठीक हो सकता है?
नहीं, अब तक पीसीओएस का कोई उपचार नहीं आया है, लेकिन एक्सरसाइज, सही खान-पान और कुछ दवाइयों की मदद से इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है (1)।
क्या पीसीओएस में मक्की का आटा खा सकते हैं ?
इस विषय पर फिलहाल कोई शोध उपलब्ध नहीं है, जिस कारण पीसीओएस से ग्रसित महिलाओं को मक्की का आटा खाने से पहले अपने न्यूट्रिशनिस्ट से परामर्श करना चाहिए।
पीसीओएस में किस तरह के पेय पदार्थ का सेवन कर सकते हैं?
पीसीओएस से ग्रसित महिलाओं के लिए ग्रीन टी का सेवन करना लाभदायक हो सकता है। ये वजन, इंसुलिन और टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन का स्तर नियंत्रित करने में सहायक हो सकती है (32)।
पीसीओएस के चार प्रकार क्या हैं ?
पीसीओएस के चार प्रकार निम्नलिखित हैं (33) :
- क्लासिक पॉलीसिस्टिक अंडाशय पीसीओएस – इसमें असामान्य माहवारी, एंड्रोजन का असामान्य स्तर और ओवरी में सिस्ट होती है।
- क्लासिक नॉन-पॉलीसिस्टिक अंडाशय पीसीओएस – इसमें असामान्य माहवारी और एंड्रोजन का असामान्य स्तर होता है, लेकिन अंडाशय में सिस्ट नहीं बनती और वह सामान्य होता है।
- नॉन-क्लासिक ओव्युलेट्री पीसीओएस – इसमें नियमित माहवारी के साथ एंड्रोजन का असामान्य स्तर और ओवरी में सिस्ट होती है।
- नॉन-क्लासिक माइल्ड या नॉरमोएंड्रोजेनिक पीसीओएस – इसमें असामान्य माहवारी और ओवरी में सिस्ट होती है, लेकिन एंड्रोजन का स्तर सामान्य होता है।
पीसीओएस प्रॉब्लम के साथ गर्भधारण कैसे करें?
पीसीओएस प्रॉब्लम के साथ गर्भधारण करने के लिए इस समस्या के लक्षणों को कम करके सहायता मिल सकती है। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, सही वजन और बेहतर स्वास्थ्य की मदद से पीसीओएस में भी गर्भधारण किया जा सकता है।
पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम और गर्भावस्था से जुड़ी समस्याएं क्या होती हैं?
पीसीओएस गर्भावस्था को कई तरीकों से प्रभावित कर सकता है। इसमें गर्भपात, गर्भावस्था में डायबिटीज, उच्च रक्तचाप व समय से पहले प्रसव आदि का खतरा बढ़ सकता है (34)। ऐसे में सही समय पर सही ट्रीटमेंट लेकर पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम और गर्भावस्था से जुड़ी समस्याओं से बचा जा सकता है।
References
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