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मनुष्य के लिए सबसे ज्यादा जरूरी कुछ है, तो वो है ऑक्सीजन। जब इसी की कमी होने लगे, तो जीवन की कल्पना करना ही मुश्किल हो जाता है। आखिर क्यों होती है ऑक्सीजन की कमी और क्या है ऑक्सीजन की कमी होने का मतलब, इन सभी बातों के बारे में अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक व्यक्ति को पता होना चाहिए। आप भी उन सचेत लोगों में से हैं, जो समझना चाहते हैं कि ऑक्सीजन की कमी क्या है और इस कमी को कैसे दूर किया जाए, तो स्टाइलक्रेज के इस लेख को पढ़ें। यहां लो ऑक्सीजन लेवल से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययनों के आधार पर दी गई है।
शुरू करते हैं लेख
सबसे पहले जानिए कि ऑक्सीजन की कमी होना क्या कहलाता है।
क्या है हाइपोक्सेमिया/हाइपोक्सिया (लो ऑक्सीजन लेवल)? : Hypoxia and Hypoxemia in Hindi (Low Blood Oxygen)
शरीर के ऑक्सीजन लेवल से संबंधित समस्या को हाइपोक्सेमिया या हाइपोक्सिया कहा जाता है, लेकिन हाइपोक्सिया और हाइपोक्सिमिया पर्यायवाची शब्द नहीं हैं। हाइपोक्सिमिया का मतलब है, रक्त में ऑक्सीजन के आंशिक दबाव (Partial Pressure) में कमी होना। सरल शब्दों में इसी को रक्त में ऑक्सीजन की कमी होना कहते हैं। अब हाइपोक्सिया की बात करें, तो यह वो स्थिति है, जिसमें टिश्यू के ऑक्सीजन स्तर में कमी आ जाती है (1)।
हां, यह भी सच है कि हाइपोक्सेमिया यानी ब्लड में ऑक्सीजन की कमी होने से हाइपोक्सिया (टिश्यू में ऑक्सीजन की कमी) होने का जोखिम बढ़ जाता है। जाहिर सी बात है जब रक्त में ऑक्सीजन कम होगा, तो टिश्यू में भी ऑक्सीजन का स्तर कम होने का खतरा रहेगा (2)। रिसर्च यह भी बताती हैं कि कुछ मामलों में ये दोनों समस्या व्यक्ति को एक साथ हो जाती है, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं कि जिसे हाइपोक्सेमिया हो, वो हाइपोक्सिया का भी शिकार हो जाए (1)।
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अब ब्लड ऑक्सीजन के सामान्य स्तर पर एक नजर डाल लेते हैं।
सामान्य रक्त ऑक्सीजन का स्तर – Normal blood oxygen levels: What is safe and what is low?
ब्लड ऑक्सीजन के माप को ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल कहा जाता है। चिकित्सकीय भाषा में PaO2 और SpO2 जैसे शब्दों का प्रयोग होता है। नीचे हम इन दोनों से संबंधित ऑक्सीजन के सामान्य स्तर के बारे में बता रहे हैं।
- सामान्य ऑक्सीजन लेवल : पल्स ऑक्सीमीटर उपकरण में ऑक्सीजन का स्तर (SpO2) 95 से 100 प्रतिशत रहना चाहिए। इसे सामान्य ऑक्सीजन लेवल कहा जाता है (3)। स्वस्थ फेफड़े वालों का एबीजी (आर्टेरिअल ब्लड गैस) ऑक्सीजन (PaO2) का सामान्य स्तर 75 से 100 mmHg (मिलीमीटर मरकरी) होता है (4)।हां, फेफड़ों की बीमारी खासकर सीओपीडी वालों का सामान्य पल्स ऑक्सीमीटर स्तर (SpO2) 95 से 100 प्रतिशत नहीं होता है। डॉक्टर इस समस्या से जूझ रहे गंभीर रोगियों को ऑक्सीजन स्तर 88 से 92 प्रतिशत के बीच बनाए रखने की सलाह देते हैं (5)।
- असामान्य ऑक्सीजन लेवल : जब ऑक्सीजन लेवल सामान्य से नीचे हो जाता है, तो उसे ही हाइपोक्सिमिया कहा जाता है। यूं तो ऐसा कोई मानक नहीं है कि ऑक्सीजन सैचुरेशन कितना होने पर हाइपोक्सिमिया होता है, लेकिन 95 प्रतिशत से नीचे के ऑक्सीजन सैचुरेशन यानी ऑक्सीजन लेवल (SpO2) को असामान्य माना जाता है (6)।वहीं, कुछ रिसर्च बताती हैं कि जब ऑक्सीजन का स्तर (SpO2) 90 प्रतिशत से नीचे होने लगता है, तो वह स्थिति हाइपोक्सिमिया होती है (3)। साथ ही एबीजी ऑक्सीजन (PaO2) 75 mmHg से नीचे होता है, तो उसे असामान्य स्तर माना जाता है (4)।
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बॉडी में ऑक्सीजन लेवल कितना होना चाहिए, यह समझने के बाद जानिए हाइपोक्सिमिया का निदान कैसे होता है।
हाइपोक्सिमिया का निदान – Diagnosis of Hypoxemia (Low Blood Oxygen) in Hindi
ब्लड ऑक्सीजन का स्तर कम है या नहीं, इसका पता कुछ जांच की मदद से लगाया जा सकता है। आगे समझिए कि क्या हैं, हाइपोक्सिमिया के निदान के तरीके।
- आर्टेरिअल ब्लड गैस – हाइपोक्सिमिया के बारे में पता करने के लिए इसे कारगर उपकरण माना जाता है। इससे हाइपोक्सिमिया के निदान के अलावा भी कई अतिरिक्त जानकारी मिलती है। जैसे, इससे ऑक्सीजन के स्तर के साथ ही कार्बन डाइऑक्साइड (PCO2) का पता लगता है, जिससे लो ऑक्सीजन का कारण भी स्पष्ट हो सकता है (7)।इस परीक्षण के दौरान रक्त में एसिड और बेस की भी जांच की जाती है, जिसे रक्त का पीएच बैलेंस कहा जाता है। खून में ज्यादा या कम एसिड होने से यह पता चलता है कि फेफड़े और गुर्दे में समस्या है या नहीं। इस प्रक्रिया के दौरान धमनी में एक सुई को डालकर रक्त निकाला जाता है। इससे तेज दर्द का एहसास होता है, क्योंकि नस से खून निकालने से ज्यादा पीड़ादायक धमनी से रक्त निकालना होता है (8)।
- पल्स ऑक्सीमीट्री – इस परीक्षण में भी रक्त ऑक्सीजन के स्तर की जांच की जाती है। इसमें किसी तरह की सुई का उपयोग नहीं होता है। पल्स ऑक्सीमीट्री नामक सेंसर वाली एक छोटी सी क्लिप को उंगलियों में लगाया जाता है। यह उपकरण ऑक्सीजन का स्तर मापता है, जिसे पैरिफेरियल ऑक्सीजन सैचुरेशन या SpO2 कहा जाता है (8)।
- अन्य जांच – ऑक्सीजन की कमी का पता लगने के बाद इसके पीछे का कारण जानने के लिए अन्य जांच करने की भी सलाह दी जा सकती है। इन जांच में एक्स-रे और सीटी स्कैन शामिल हैं, जिससे निमोनिया, फेफड़ों में पानी का जमना, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) यानी फेफड़ों की सूजन जैसी अन्य स्थितियों का पता चल सकता है (7)। इसके अलावा, कंप्लीट ब्लड काउंट, सीरम केमिस्ट्री, थोरैसिक अल्ट्रासोनोग्राफी, न्यूरोलॉजिकल परीक्षण, इकोकार्डियोग्राफी, स्कल रेडियोग्राफी, कंप्यूटेड टोमोग्राफी करवाने की भी डॉक्टर सलाह दे सकते हैं (2)।
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आगे पढ़िए कि शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम होने पर क्या लक्षण नजर आते हैं।
लो ब्लड ऑक्सीजन लेवल के लक्षण – Symptoms of low blood oxygen levels in Hindi
शरीर में ऑक्सीजन का स्तर घटने पर कुछ लक्षण नजर आने लगते हैं, जिनकी मदद से समय से पहली ही जरूरी कदम उठाए जा सकते हैं। ये लक्षण कुछ इस प्रकार हैं (9) (10)।
- पर्याप्त हवा में भी सांस न ले पाना
- त्वचा, होंठ और नाखूनों का रंग नीला होना
- तेज-तेज सांस लेना
- भ्रम की स्थिति पैदा होना
- सिर दर्द की समस्या
- सांस फूलना
- चिड़चिड़ापन
- बहुत नींद आना या हर दम सोने की इच्छा होना
- दौरे पड़ना
- हृदय गति का 100 बीट प्रति मिनट से अधिक होना (Tachycardia)
- सीने में दर्द होना
आगे जरूरी जानकारी है
अब लेख में आगे बढ़ते हुए ऑक्सीजन लेवल कम होने के कारण पढ़ें।
लो ब्लड ऑक्सीजन लेवल के कारण – Causes of low blood oxygen levels in Hindi
सामान्य कारण के साथ ही चिकित्सकीय स्थितियां भी हाइपोक्सेमिया यानी लो ब्लड ऑक्सीजन की वजह बनती हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं (11) (12) (13)।
- दूषित हवा में सांस लेना
- क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) यानी फेफड़ों की बीमारी
- न्यूमोनिया के कारण
- कोरोना (COVID-19)
- अस्थमा का गंभीर अटैक
- लेट-स्टेज हार्ट फेल्योर
- सिस्टिक फाइब्रोसिस ( फेफड़ों और पाचन तंत्र को प्रभावित करने वाली आनुवंशिक रोग)
- स्लीप एपनिया (कुछ सेकंड सांस का अटकना)
- कार्डियो पल्मोनरी डिजीज (हृदय और फेफड़ों को प्रभावित करने वाली सभी स्थितियां)
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आगे जानिए कि ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए।
शरीर में ऑक्सीजन लेवल को कैसे बेहतर बनाए रखें : Tips to Increase Your Blood Oxygen Level in Hindi
ब्लड ऑक्सीजन लेवल को सही बनाए रखने के लिए कुछ टिप्स को फॉलो किया जा सकता हैं। इनके बारे में हम आगे विस्तार से बता रहे हैं।
- ताजी हवा में सांस लें – अपने घर और कमरे की खिड़कियां खोलकर रखें और ताजी हवा में सांस लें। दरअसल, घर में ऑक्सीजन का संचार न होने की वजह से भी शरीर का ऑक्सीजन लेवल कम हो सकता है। ऐसे में यह छोटी सी कोशिश कारगर साबित हो सकती है।
- धूम्रपान छोड़ें – सिगरेट पीने वाले स्वस्थ व्यक्तियों का भी ऑक्सीजन लेवल अन्य लोगों के मुकाबले कम होता है। इसी वजह से शरीर में ऑक्सीजन का सही स्तर बनाए रखने के लिए धूम्रपान नहीं करना चाहिए (14)। बताया जाता है कि धूम्रपान छोड़ने से शरीर में ऑक्सीजन लेवल बेहतर होता है। इससे लंग्स की कार्यक्षमता भी सही हो सकती है (15)।
- प्रकृति के करीब रहें – दूषित हवा के कारण भी शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम होता है। ऐसे में प्रकृति के करीब रहें (13)। इसके अलावा, अपने घर में और आसपास प्लांटेशन कर सकते हैं। घर के अंदर लगाए जाने वाले कई ऐसे पौधे भी हैं, जो हवा को शुद्ध करने के लिए जाने जाते हैं। ये कार्बन डाइऑक्साइड को कम करके घर का ऑक्सीजन लेवल बड़ा सकते हैं, जिससे शरीर का ऑक्सीजन लेवल भी बढ़ सकता है (16)।
- ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें – शरीर में ऑक्सीजन लेवल सही बनाए रखने में ब्रीदिंग एक्सरसाइज भी मदद कर सकती हैं। कहा जाता है कि ये एयरवेज को खोलकर शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाने में सहायक होती हैं। कुछ देर के लिए लंबी सांस लेना, फिर कुछ सेकंड सांस को रोककर इसे छोड़ना कारगर एक्सरसाइज हो सकती है।
साथ ही प्रोनिंग एक्सरसाइज भी ऑक्सीजन लेवल को बढ़ा सकती है। इसके लिए पेट के बल लेटकर गहरी सांस लेनी है और फिर तीन सेकंड सांस को रोककर छोड़ना है। इस दौरान सिर के नीचे एक और पैर व पेट के नीचे दो-दो तकिए लगे होने चाहिए (17)।
- योग का लें सहारा – ब्लड ऑक्सीजन बढ़ाने के लिए योग भी कर सकते हैं। इसके लिए प्राणायाम को अच्छा माना गया है (18)। इसके अलावा, ताड़ासन और अन्य योग की मदद से भी शरीर में ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाया जा सकता है (19)।
- पानी पीते रहें – शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा होने से भी ऑक्सीजन लेवल सामान्य बना रहता है। पानी शरीर में सिर्फ पोषक तत्वों को ही नहीं, बल्कि ऑक्सीजन को भी पहुंचाने का काम करता है (20)। इसके लिए शरीर में बॉडी वाटर बैलेंस होना जरूरी है (21)।
- सुबह-शाम टहलें – टहलना और जॉगिंग करना भी ऑक्सीजन लेवल के लिए जरूरी माने गए हैं। रिसर्च में बताया गया है कि कुछ देर जॉगिंग करने से ब्लड ऑक्सीजन लेवल में सुधार हो सकता है (22)। ऐसे में सुबह-शाम टहलकर और जॉगिंग करके भी लो ऑक्सीजन लेवल से बचा जा सकता है।
- हेल्दी डाइट का सेवन करें – खाद्य पदार्थों का भी ऑक्सीजन लेवल से सीधा संबंध होता है। ऐसे में डाइट में पौष्टिक आहार को ही शामिल करें। इनमें सबसे ज्यादा जरूरी पोषक तत्व आयरन होता है, जो शरीर में हीमोग्लोबिन प्रोटीन को बनाने में सहायता करता है। यह हीमोग्लोबिन ही रक्त में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करते हैं। इसके लिए आहार में पालक, गोभी, सूखे सेम आदि को शामिल करें (23)।
- चबाने की क्रिया – एक रिसर्च के अनुसार, कुछ देर चबाने की क्रिया करने से भी ब्लड ऑक्सीजन लेवल में सुधार हो सकता है। इससे स्ट्रेस के कारण होने वाले दिमाग में होने वाले लो ब्लड ऑक्सीजन लेवल से बचने में मदद मिल सकती है। इससे ऑक्सीजन लेवल के साथ ही ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने में भी सहायता मिल सकती है (24)।
लेख में बने रहें
इस स्थिति में डॉक्टर के पास परामर्श लेने के लिए जाना कब जरूरी हो जाता है, यह जानें।
डॉक्टर से कब संपर्क करें – When to see a doctor
ब्लड ऑक्सीजन लेवल कम होने पर अचानक सांस लेने की तकलीफ होने लगती है। ऐसे में तुरंत चिकित्सक से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा, निम्न हाइपोक्सेमिया के लक्षण लक्षण नजर आएं, तो डॉक्टर से जरूर मिलें (9)।
- नाखूनों का नीला होना
- थोड़ा काम करने पर ही सांस फूल जाना या सांस न ले पाना
- सांस संबंधी किसी भी तरह की समस्या होना
- सांस लेने की गति असामान्य होना
अब समझिए कि ब्लड ऑक्सीजन का स्तर कम होने पर उसका ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है।
लो ऑक्सीजन लेवल का इलाज – Medical Treatments
लो ऑक्सीजन लेवल होने के बाद उपचार का मुख्य लक्ष्य यही होता है कि फेफड़ों और अन्य अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचे। साथ ही शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकाला जाता है। इसके लिए कुछ इस तरह के ट्रीटमेंट किए जा सकते हैं (9)।
- ऑक्सीजन थेरेपी : इस ट्रीटमेंट के दौरान नेजल कैन्युला (दो छोटी प्लास्टिक ट्यूब, जिन्हें नथुने में डाला जाता है) के माध्यम से या ऑक्सीजन मास्क को नाक और मुंह पर फिट करके शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाया जाता है।
- ट्रेकियोस्टोमी : यह एक शल्य (सर्जिकल) चिकित्सा है। इसमें सर्जरी के माध्यम से गर्दन के आगे वाले हिस्से में एक छोटा सा छेद बनाया जाता है, जो सीधे श्वास नली (विंड पाइप) में जाता है। फिर इस छेद में सांस लेने में मदद करने वाली ट्यूब को डालते हैं। इसी ट्यूब को ट्रेकियोस्टोमी या ट्रेच ट्यूब कहते हैं।
- वेंटिलेटर : सांस लेने में मदद करने वाली यह मशीन, फेफड़ों में हवा भरती है। इससे फेफड़ों से कार्बन डाइऑक्साइड को भी बाहर निकाला जाता है।
- एनपीपीवी : नॉन इन्वेसिव पॉजिटिव प्रेशर वेंटिलेशन (एनपीपीवी) से सोते हुए वायुमार्ग को खुला रखने के लिए हल्का एयर प्रेशर बनता है। यह हेलमेट जैसे बैंड में लगा हुआ एयर मास्क होता है, जिसे नाक से लेकर मुंह तक फिट किया जाता है।
- अन्य उपचार : एक स्पेशल बेड की मदद से भी लो ब्लड ऑक्सीजन का उपचार किया जा सकता है, जो सांस लेने और छोड़ने में मदद करता है। यह बेड आगे और पीछे की ओर हिलता है, जिससे सांस लेने की प्रक्रिया में सहायता मिलती है। डॉक्टर शरीर में नस के माध्यम से (IV) फ्लूइड चढ़ाने की भी सलाह दे सकते हैं। इससे शरीर में ब्लड फ्लो बेहतर होता है और यह शरीर को पोषण भी प्रदान कर सकता है।
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आगे हम बताएंगे कि शरीर में ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाने में कौन से खाद्य पदार्थ लाभदायक हो सकते हैं।
रक्त में ऑक्सीजन बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ – Foods that help increase oxygen in the blood in Hindi
हाइपोक्सेमिया होने पर सही खाद्य पदार्थ को डाइट में शामिल करके भी रक्त में ऑक्सीजन के लेवल को बढ़ाया जा सकता है। हम आगे दो भागों में हाइपोक्सेमिया में क्या खाएं और क्या न खाएं, दोनों के बारे में बता रहे हैं।
क्या खाएं
खाए जाने वाले खाद्य पदार्थ में हीमोग्लोबिन को बढ़ाने वाले आयरन युक्त खाद्य पदार्थ शामिल हैं। वजह यही है कि हीमोग्लोबिन ही रक्त में ऑक्सीजन पहुंचाते हैं (23)।
- सूखे सेम और फल
- अंडा (विशेषकर अंडे की जर्दी)
- रेड मीट
- सैल्मन और टूना मछली
- साबुत अनाज
- सूखे आलूबुखारा
- किशमिश
- खुबानी
- सोयबीन
- राजमा
- मटर
- बादाम
- ब्राजील नट्स
- ब्रोकली
- पालक
- गोभी
- केल
- एस्परैगस
- सिंहपर्णी के पौधे
- गेहूं
- बाजरा
- जई
- ब्राउन राइस
- लहसुन (25)
किनसे करें परहेज
ऑक्सीजन के लेवल को बनाए रखने के लिए आहार में लो कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार को शामिल करने की सलाह दी जाती है। मतलब हाई कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य से परहेज किया जाना चाहिए (26)। इसके अलावा, इन चीजें से परहेज जरूर करें।
- कोल्ड ड्रिंक पीने से बचें
- धूम्रपान न करें
- शराब न पिएं
- अधिक मीठी चीजों से परहेज करें
- ज्यादा नमक युक्त खाद्य पदार्थ न खाएं
- तला-भुना खाने से बचें
अंत तक पढ़ें लेख
अब हम ब्लड ऑक्सीजन लेवल कम होने पर शरीर में नजर आने वाली जटिलताओं के बारे में बता रहे हैं।
लो ऑक्सीजन के कारण होने वाली जटिलताएं- Low Blood Oxygen Complications in Hindi
हाइपोक्सेमिया यानी लो ऑक्सीजन लेवल होने पर व्यक्ति को कुछ जटिलताएं भी होती हैं। ये जटिलताएं कुछ इस तरह की हो सकती हैं (10) (7)।
- फेफड़े संबंधी जटिलताएं : फेफड़ों की एक धमनी का ब्लॉक हो सकती है, जिसे पल्मोनरी एम्बोलिस्म कहते हैं। साथ ही, न्यूमोथोरैक्स भी लो ऑक्सीजन लेवल की लो ब्लड ऑक्सीजन संबंधी एक जटिलता है। यह तब होता है, जब फेफड़ों और सीने की दीवार के बीच में हवा लीक होती है। न्यूमोथोरैक्स में पूरा फेफड़ा खराब हो सकता है या उसका कुछ हिस्सा। इसके अलावा, वेंटिलेटर पर व्यक्ति की निर्भरता बढ़ना भी एक जटिलता है।
- हृदय संबंधी जटिलताएं : हृदय की विफलता, दिल का सही से न धड़कना और हार्ट अटैक जैसे कॉम्प्लिकेशन भी हाइपोक्सेमिया के वजह से हो सकते हैं।
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संबंधी परेशानी : सही समय पर उपचार न करने से हाइपोक्सेमिया से आंत संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। इसमें स्ट्रेस अल्सर, आंत में ब्लॉकेज (Ileus) और हेमोरेज यानी अंदरूनी रक्तस्राव होने का जोखिम शामिल है।
- पोषण संबंधी समस्या : व्यक्ति कुपोषण का शिकार हो सकता है। इसके अलावा, उसे डायरिया यानी दस्त की समस्या, रक्त में ब्लड शुगर की कमी और इलेक्ट्रोलाइट मिनरल संबंधी गड़बड़ी हो सकती है।
- न्यूरोलॉजिकल जटिलताएं : हाइपोक्सेमिया से मस्तिष्क क्षति और ब्रेन डेड जैसी जटिलताएं हो सकती हैं।
- ऑर्गन डैमेज : हाइपोक्सेमिया होने पर ऑर्गन डैमेज का खतरा रहता है। व्यक्ति के शरीर का एक अंग या उससे ज्यादा अंग को क्षति (मल्टीपल ऑर्गन डैमेज) पहुंच सकती है।
- मौत : लंबे समय तक लो ब्लड ऑक्सीजन लेवल की समस्या होने और इसका उपचार न करने से व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
हवा में मौजूद ऑक्सीजन इंसान के लिए कितनी जरूरी है, यह सभी जानते हैं, लेकिन इसके सही स्तर को बनाए रखने के बारे में शायद ही कोई सोचता होगा। बीमारियों की वजह से जब इसका स्तर घटता है, तो आसपास मौजूद ऑक्सीजन को भी शरीर ले नहीं पाता है। इसी वजह से इस स्थिति से बचने के लिए सही डाइट और योग व व्यायाम को तवज्जो देना जरूरी है। इसके लिए आप लेख में बताए गए सभी टिप्स और खाद्य पदार्थ की मदद ले सकते हैं। साथ ही अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहते हुए बीमारियों को दूर भगाएं और खुशहाल जीवन जिएं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
कोरोना व कोविड-19 रोगियों के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता क्यों है?
कोरोना व्यक्ति के रेस्पिरेटरी सिस्टम यानी श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है, जिस वजह से गंभीर अवस्था में पहुंचने वाले रोगियों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है (27)।
कोरोना (कोविड-19) रोगियों को ऑक्सीजन की आवश्यकता कब होती है?
कोरोना के रोगियों को रेस्पिरेटरी फेलियर, ऑक्सीजन का लेवल कम होने और फेफड़ों के बुरी तरह से प्रभावित होने पर ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ सकती है (28)। औसतन 14% कोरोना पीड़ितों को अस्पताल में भर्ती होने पर ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है (27)।
क्या कम ऑक्सीजन स्तर को रिवर्स किया जा सकता है?
हां, ऑक्सीजन थेरेपी और अन्य ट्रीटमेंट की मदद से ऑक्सीजन स्तर को बढ़ाया जा सकता है। इनके अलावा, घरेलू टिप्स जैसे ब्रीदिंग एक्सरसाइज और योग से भी ऑक्सीजन का लेवल बेहतर हो सकता है।
हाइपोक्सेमिया का पहला संकेत क्या है?
हाइपोक्सेमिया का पहला संकेत सांस लेने में तकलीफ है।
ऑक्सीजन की कमी होने पर कैसा लगता है?
ऑक्सीजन की कमी होने पर सांस लेने में तकलीफ महसूस होती है और सांस ठीक तरीके से नहीं आती।
एक्यूट हाइपोक्सेमिया क्या है?
गंभीर हाइपोक्सेमिया की अवस्था को ही एक्यूट हाइपोक्सेमिया कहते हैं।
मैं अपने रक्त में ऑक्सीजन कैसे बढ़ा सकता हूं?
आप आयरन युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करके, योग और ब्रीदिंग एक्सरसाइज की मदद से ऑक्सीजन लेवल को बढ़ा सकते हैं।
रात में ऑक्सीजन लेवल कम होने के लक्षण क्या हैं?
रात में ऑक्सीजन लेवल कम होने का लक्षण भी शॉर्टनेस ऑफ ब्रेथ यानी सांस लेने में कठिनाई होना ही है।
शरीर हाइपोक्सिमिया की भरपाई कैसे करता है?
ब्लड ऑक्सीजन लेवल कम होने पर शरीर मस्तिष्क और मांसपेशियों जैसे महत्वपूर्ण अंगों और ऊतकों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाकर ऑक्सीजन की आपूर्ति बनाए रखने की कोशिश करता है (29)।
क्या सायनोसिस हाइपोक्सिया का प्रारंभिक संकेत है?
हां, सायनोसिस यानी हाथ, पैर, होंठ का नीला होना हाइपोक्सिया का प्रारंभिक संकेत हो सकता है।
पल्स ऑक्सीमीटर के लिए कौन-सी उंगली सबसे अच्छी है?
पल्स ऑक्सीमीटर के लिए दाहिनी मध्यमा उंगली (मिडिल फिंगर) और दाहिने अंगूठे को बेस्ट माना जाता है (30)।
क्या तनाव भी कम ऑक्सीजन स्तर का कारण बन सकता है?
हां, चिंता और तनाव के कारण ऑक्सीजन लेवल कम हो सकता है (31)।
“हैप्पी हाइपोक्सिया” क्या है?
कोरोना (कोविड-19) के मरीजों में दिखने वाली एक असामान्य जटिलता को “हैप्पी हाइपोक्सिया” कहा जाता है (32)। “हैप्पी हाइपोक्सिया” को साइलेंट किलर भी कहते हैं (33)। इसमें मरीज का ब्लड ऑक्सीजन लेवल बहुत कम हो जाता है, लेकिन श्वसन संबंधी किसी तरह की समस्या पकड़ में नहीं आती है (34)।
References
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