Written by , (शिक्षा- बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मीडिया कम्युनिकेशन)

महिलाओं में गर्भाशय से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। किसी को अनियमित पीरियड्स की शिकायत है, तो किसी को अत्यधिक रक्तस्राव की। ऐसी ही एक समस्या है, गर्भाशय रसौली, जिसे गर्भाशय फाइब्रॉएड भी कहा जाता है। इसका उपचार आसान है, लेकिन थोड़ी-सी अनदेखी और लापरवाही से गर्भाशय फाइब्रॉएड के कारण कई गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। हैरानी की बात, तो यह है कि अधिकतर महिलाओं को गर्भाशय रसौली के बारे में पता ही नहीं है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम इसी मुद्दे पर बात करेंगे। हम न सिर्फ फाइब्रॉएड का मतलब समझाएंगे, बल्कि इससे निपटने के लिए गर्भाशय फाइब्रॉएड के घरेलू उपचार भी आपके साथ शेयर करेंगे।

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लेख के शुरुआत में हम बता रहे हैं कि गर्भाशय फाइब्रॉएड क्या होता है?

गर्भाशय फाइब्रॉएड (रसौली) क्या है?

यह गर्भाशय में मांसपेशियों व कोशिकाओं की एक या एक से ज्यादा गांठ होती हैं

। आम भाषा में बात करें, तो यह गर्भाशय की दीवारों पर पनपने वाला एक प्रकार का ट्यूमर है। चिकित्सीय भाषा में इसे लियम्योमा (Leiomyoma) या फिर म्योमा (Myoma) कहा जाता है। फाइब्रॉएड एक या एक से ज्यादा ट्यूमर के तौर पर विकसित होता है। ये ट्यूमर आकार में सेब के बीज से लेकर चकोतरे (ग्रेपफ्रूट) जितने बड़े हो सकते हैं। असामान्य स्थिति में इनका आकार ग्रेपफ्रूट से भी बड़ा हो सकता है (1)

यहां एक बात और ध्यान में रखने वाली है कि ये ट्यूमर कभी कैंसर का कारण नहीं बनते हैं। यह जरूरी नहीं कि जिन महिलाओं को यह समस्या हैं, उन सभी में गर्भाशय फाइब्रॉएड के लक्षण नजर आएं। गर्भाशय में रसौली के लक्षण जिन महिलाओं में नजर आने लगते हैं, उन्हें तेज दर्द और अधिक रक्तस्राव का सामना करना पड़ता है। इन ट्यूमर के साथ जीना मुश्किल हो सकता है। यूट्रस फाइब्रॉएड (Uterus Fibroid) यानी रसौली का इलाज पूरी तरह से महिला में नजर आ रहे लक्षणों पर निर्भर करता है (2)

बने रहें हमारे साथ

अब फाइब्रॉएड के प्रकार के बारे में जानते हैं। इसके बाद हम गर्भाशय फाइब्रॉएड के कारण बताएंगे

गर्भाशय फाइब्रॉएड के प्रकार – Types of Fibroids in Hindi

गर्भाशय में रसौली के प्रकार को उसके स्थान के हिसाब से इसका वर्गीकरण किया जाता है। उनके बारे में हम यहां विस्तार से बता रहे हैं (3)

  1. सबम्यूकोसल फाइब्रॉएडयह गर्भाशय में मांसपेशियों की परत के बीच विकसित होते हैं। इसके कारण मासिक धर्म के दौरान दर्द के साथ अत्यधिक मात्रा में रक्तस्राव हो सकता है। साथ ही गर्भधारण करने में भी परेशानी हो सकती है।
  2. इंट्राम्युरल फाइब्रॉएडयह गर्भाशय की दीवार पर पनपने वाला आम फाइब्रॉएड होता है। इसके कारण गर्भाशय फूल जाता है और बड़ा नजर आने लगता है। साथ ही दर्द व रक्तस्राव होता है और गर्भधारण करना मुश्किल हो सकता है।
  3. सबसेरोसल फाइब्रॉएडयह गर्भाशय की बाहरी दीवार पर विकसित होता है। यह आंत, रीढ़ की हड्डी और ब्लैडर पर दबाव डालता है। इसके कारण श्रोणी में तेज दर्द होता है।
  4. सर्वाइकल फाइब्रॉएडयह मुख्य तौर पर योनि और गर्भाशय की गर्दन पर पनपता है।
  5. इंट्रालिगमेंटरी फाइब्रॉएडयह गर्भाशय के साथ जुड़े टिश्यू में विकसित होते हैं। इससे मासिक धर्म अनियमित हो जाते हैं।

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आइए, अब जान लेते हैं कि किन-किन कारणों से महिलाओं को यह बीमारी होती है।

गर्भाशय फाइब्रॉएड (रसौली) के कारण – Causes of Fibroids in Hindi

गर्भाशय फाइब्रॉएड के कारण कई हो सकते हैं, लेकिन वैज्ञानिक तौर पर किसी एक कारण की निश्चित तौर पर पुष्टि नहीं की गई है। नीचे हम कुछ प्रमुख गर्भाशय फाइब्रॉएड के कारण बता रहे हैं (3) (4)

  1. आयुफाइब्रॉएड प्रजनन काल के दौरान विकसित होते हैं। खासतौर पर 30 की आयु से लेकर 50 की आयु के बीच या फिर रजनोवृत्ति शुरू होने तक इसके होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है। माना जाता है कि रजनोवृत्ति शुरू होने के बाद ये कम होने लगते हैं।
  2. आनुवंशिकअगर परिवार में किसी महिला को यह समस्या रही है, तो आशंका है कि आगे की पीढ़ी में से किसी अन्य को इसका सामना करना पड़ सकता है। अगर घर में मां को यह समस्या रही है, तो बेटी को यह होने का खतरा तीन गुना तक बढ़ सकता है।
  3. मोटापाअगर किसी महिला का वजन अधिक है, तो उसमें फाइब्रॉएड होने की आशंका अन्य महिलाओं के मुकाबले ज्यादा होती है।
  4. स्ट्रेसबताया जाता है कि गर्भाशय फाइब्रॉएड का एक कारण स्ट्रेस भी है। इसी वजह से तनाव लेने से बचना चाहिए। अधिक परेशान व तनावग्रस्त रहने से इसका खतरा बढ़ सकता है।
  5. हार्मोंसशरीर में एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की मात्रा अधिक होने पर भी गर्भाशय फाइब्रॉएड हो सकता है।
  6. विटामिनडीशरीर में विटामिन-डी की कमी होने और आयरन की मात्रा बढ़ने पर भी महिलाएं यूट्रस फाइब्रॉएड (uterus fibroid) की चपेट में आ सकती हैं।

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लेख के इस भाग में हम गर्भाशय में रसौली के लक्षण क्या होते हैं, यह बताएंगे।

गर्भाशय फाइब्रॉएड के लक्षण – Symptoms of Fibroids in Hindi

वैसे तो गर्भाशय फाइब्रॉएड के लक्षण नजर नहीं आते हैं, लेकिन फाइब्रॉएड से ग्रस्त कुछ महिलाओं में इस तरह के परिवर्तन दिखाई दे सकते हैं (3) (5):

  • अत्यधिक रक्तस्राव और पीरियड्स के दौरान असहनीय दर्द होना।
  • एनीमिया यानी शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी आना।
  • पेट के निचले हिस्से यानी पेल्विक एरिया में भारीपन महसूस होना
  • पेल्विक एरिया का फूलना।
  • बार-बार पेशाब आना।
  • यौन संबंध के समय दर्द होना।
  • कमर के निचले हिस्से में दर्द होना।
  • कुछ मामलों में प्रजनन क्षमता में कमी यानी बांझपन, बार-बार गर्भपात होना, गर्भावस्था के दौरान सी-सेक्शन का खतरा बढ़ना।
  • पीरियड्स में होने वाला दर्द होना।

महत्वपूर्ण जानकारी नीचे है

गर्भाशय फाइब्रॉएड के लक्षण के बाद अगले भाग में हम गर्भाशय फाइब्रॉएड के घरेलू उपचार के बारे में बताएंगे।

गर्भाशय फाइब्रॉएड (रसौली) के घरेलू उपचार – Home Remedies for Fibroids in Hindi

नीचे हम गर्भाशय फाइब्रॉएड के घरेलू उपचार बता रहे हैं। ध्यान रहे, ये घरेलू उपाय गर्भाशय फाइब्रॉएड से बचाव और इसके जोखिम को कम करने में कुछ हद तक मददगार हो सकते हैं। इन्हें किसी भी तरीके से गर्भाशय फाइब्रॉएड का इलाज न समझा जाए। अब पढ़ें आगे –

1. लहसुन

सामग्री :

  • लहसुन की तीन से पांच कलियां
  • एक गिलास दूध

उपयोगकरनेकीविधि :

  • इन कलियों को खाली पेट खाएं।
  • अगर लहसुन का स्वाद और गंध तेज लगे, तो उसे खाने के बाद एक गिलास दूध पी सकते हैं।

कैसेलाभदायकहै:

हम खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए लहसुन को अपने भोजन में शामिल करते हैं। साथ ही यह गर्भाशय रसौली का इलाज करने में सहायक हो सकता है। दरअसल, लहसुन में मौजूद एलिसिन कंपाउंड एंटीप्रोलिफेरेटिव प्रभाव दिखाता है, जो ट्यूमर सेल्स को बढ़ने नहीं देता है। इसके अलावा, यह कंपाउंड एंटीऑक्सीडेंट व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण भी प्रदर्शित करता है, जो गर्भाशय में ट्यूमर को विकसित होने से रोक सकते हैं (6)। इससे यूट्रस फाइब्रॉएड (Uterus Fibroid) से आराम मिल सकता है। साथ ही यह पाचन तंत्र को भी बेहतर बना सकता है।

2. हल्दी

सामग्री :

  • एक से तीन ग्राम या फिर ½ इंच हल्दी की जड़
  • एक गिलास कोई भी पसंदीदा जूस
  • वैकल्पिक रूप से दो चम्मच हल्दी पाउडर और एक गिलास पानी ले सकते हैं।

उपयोगकरनेकातरीका:

  • हल्दी की जड़ को या तो काट लें या फिर पीस लें।
  • अब इसे एक गिलास जूस में डालकर पी जाएं।
  • स्वाद के लिए इसमें चुटकी भर काली मिर्च भी मिलाई जा सकती है।
  • इसके अलावा, इसे खाने में भी मिला कर खाया जा सकता हैं। खाने में हल्दी मिला रहे हैं, तो दिनभर में एक चम्मच हल्दी पर्याप्त है।
  • वैकल्पिक रूप से पानी में हल्दी मिलाएं और करीब 15 मिनट तक उबालें। इसके बाद पानी को ठंडा होने दें और फिर पी लें।

कैसेलाभदायकहै :

गर्भाशय फाइब्रॉएड के घरेलू उपचार के लिए हल्दी का सेवन किया जा सकता है। हल्दी में करक्यूमिन नामक पॉलीफेनोल होता है। इसमें एंटीप्रोलिफेरेटिव और एंटीफिब्रोटिक प्रभाव होते हैं। एंटीप्रोलिफेरेटिव इफेक्ट ट्यूमर सेल को बढ़ने से रोक सकता है और एंटीफिब्रोटिक प्रभाव रसोली को कम करने के लिए जाना जाता है (6)

3. आंवला

सामग्री :

  • आंवला पाउडर का एक चम्मच
  • एक चम्मच शहद

उपयोगकरनेकातरीका:

  • आंवला पाउडर और शहद को मिलाकर रोज सुबह खाली पेट सेवन करें।
  • अच्छे परिणाम के लिए करीब एक माह तक नियमित रूप से सेवन करें।

कैसेलाभदायकहै :एक वैज्ञानिक शोध में कहा गया है कि आंवले में एंटी-फाइब्रोटिक प्रभाव होता है

। स्टडी के मुताबिक मोनोसोडियम ग्लूटामेट (MSG – फ्लेवर एनहांसर) की वजह से होने वाली गर्भाशय रसौली में आंवला बेहतर हो सकता है। इसमें मौजूद फेनोलिक और अन्य घटक के कारण यह फाइब्रॉएड के लिए लाभकारी हो सकता है। इसके अलावा, आंवला का एंटी-ऑक्सीडेंट प्रभाव में इसमें मदद कर सकता है (7)। इसी वजह से आंवला या आंवले के चूर्ण का इस्तेमाल रसौली का घरेलू इलाज करने के लिए किया जा सकता है।

4. ग्रीन-टी

सामग्री :

  • एक ग्रीन टी बैग
  • एक कप पानी

उपयोगकरनेकातरीका:

  • पानी को गर्म कर लें और फिर उसमें ग्रीन-टी बैग डाल लें।
  • स्वाद के लिए इसमें शहद भी मिला सकते हैं।
  • फिर इसे चाय की तरह पिएं।

कैसेफायदेमंदहै:ग्रीन-टी में एपिगलोकेटेशिन गलेट (Epigallocatechin Gallate) नामक पॉलिफेनॉल कंपाउंड पाया जाता है, जो फाइब्रॉएड पर कारगर तरीके से काम कर सकता है

। लैब में किए गए परीक्षण के मुताबिक यह कंपाउंड गर्भाशय फाइब्रॉएड सेल को खत्म करने में सहायक हो सकता है (8)। साथ ही यह एस्ट्रोजन के स्तर को भी कम करने में सक्षम है। इस लिहाज से रसौली का इलाज में घर पर करने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है।

5. दूध

सामग्री:

  • दूध का एक गिलास
  • एक चम्मच धनिया पाउडर
  • हल्दी पाउडर एक चम्मच
  • एक चम्मच त्रिफला पाउडर

उपयोगकरनेकातरीका:

  • सबसे पहले दूध को गर्म कर लें।
  • अब इसमें अन्य सामग्रियों को डालकर अच्छी तरह मिला लें।
  • फिर इस दूध का सेवन करें।

कैसेलाभदायकहै:

फाइब्रॉएड की समस्या जल्द दूर करने की चाहत रखने वाले अपनी डाइट में योगर्ट व दूध जैसे डेयरी प्रोडक्ट को शामिल कर सकते हैं। डेयरी प्रोडक्ट कैल्शियम और फॉस्फोरस से भरपूर होते हैं। ये सभी मिनरल्स फाइब्रॉएड के ट्यूमर को बढ़ने से रोक सकते हैं। इतना ही नहीं, दूध के वसा में ब्यूटिरिक एसिड होता है, जो एक शक्तिशाली एंटीटूमोरजेनिक एजेंट की तरह कार्य कर सकता है। यह फाइबरोइड को फैलने और ब्लड वेसल को बढ़ने से रोकने में मदद कर सकता है (9)। हालांकि, इस शोध में डेयरी उत्पाद से घर में गर्भाशय फाइब्रॉएड उपचार करने के संबंध में अधिक शोध करने की बात भी कही गई है।

6. सैल्मन मछली

सामग्री:

  • सैल्मन मछली।

उपयोगकरनेकातरीका:

  • हफ्ते में एक या दो बार सैल्मन मछली को आहार में शामिल किया जा सकता है।

कैसेलाभदायकहै:

रसौली का घरेलू इलाज सैल्मन मछली से भी किया जा सकता है। दरअसल, गर्भाशय में रसौली का एक कारण विटामिन-डी की कमी भी है, जिसका सैल्मन मछली अच्छा स्रोत है। इसलिए, कहा जा सकता है कि सैल्मन मछली के जरिए विटामिन-डी की पूर्ति कर गर्भाश्य रसौली के जोखिम से बचा जा सकता है। शोध में मछली के सेवन के साथ ही योग करने की भी सलाह दी गई है (10)

7. खट्टे फल (Citrus Fruits)

सामग्री:

  • आधा कप संतरे, मौसमी या अन्य खट्टे फल

उपयोगकरनेकातरीका:

  • रोज खट्टे फलों का सेवन करें।

कैसेलाभदायकहै:

सिट्रस फलों में मौजूद विटामिन-सी और एंटीऑक्सीडेंट रसौली का घरेलू इलाज माना जा सकता है। एक स्टडी में कहा गया है कि सिट्रस फ्रूट फाइब्रॉएड के जोखिम को कम कर सकता है। साथ ही इसी अध्ययन में इस बात का भी जिक्र है कि इसका असर फल खाने से सकारात्मक होता है, लेकिन जूस पीने से नहीं। हालांकि, इसका कारण अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। इसी वजह से इस विषय पर अधिक शोध करने की सलाह दी गई है (11)

8. बरडॉक रूट

सामग्री :

  • आधा चम्मच सूखी बरडॉक रूट
  • एक कप पानी

उपयोगकरनेकातरीका:

  • पानी को अच्छी तरह से उबाल लें।
  • इसके बाद बरडॉक रूट को उसमें डाल दें।
  • करीब 15 मिनट बाद पानी को छान लें और पिएं।

कैसेलाभदायकहै:

बरडॉक रूट एक प्रकार की सब्जी है, जो एशिया और यूरोप में अधिक मात्रा में पाई जाती है। इसके सेवन से लिवर की कार्य क्षमता बेहतर हो सकती है। लिवर सही होने से वह एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर को नियंत्रित कर सकता है। जैसा कि हम ऊपर बता ही चुके हैं कि एस्ट्रोजन हार्मोन का असंतुलित होना फाइब्रॉएड का कारण बन सकता है (12)

साथ ही बरडॉक रूट में मूत्रवर्धक और एंटइंफ्लेमेटरी गुण हैं, जो शरीर से विषैले जीवाणु बाहर निकालने और सूजन से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। इतना ही नहीं बरडॉक फ्रूट व बीज में एंटी-ट्यूमर प्रभाव भी होता है, जो फाइब्रॉएड ट्यूमर के आकार को कम कर सकता है (13)। इसी वजह से इसे फाइब्रॉएड सिकुड़ने के लिए खाद्य पदार्थ के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

9. अदरक

सामग्री :

  • अदरक का एक मध्यम आकार का टुकड़ा
  • एक कप पानी

उपयोगकरनेकातरीका:

  • अदरक के टुकड़े करके पानी में डाल दें और कुछ देर के लिए उबालें।
  • फिर इसे छान कर पिएं।
  • कुछ दिन तक लगातार प्रतिदिन एक से दो कप पी सकते हैं।

कैसे

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Dr. Zeel Gandhi is an Ayurvedic doctor with 7 years of experience and an expert at providing holistic solutions for health problems encompassing Internal medicine, Panchakarma, Yoga, Ayurvedic Nutrition, and formulations.

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Saral Jain
Saral Jainहेल्थ एंड वेलनेस राइटर
सरल जैन ने श्री रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, राजस्थान से संस्कृत और जैन दर्शन में बीए और डॉ.

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