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यह तो सभी जानते हैं कि शिशु के लिए मां का दूध सर्वोत्तम होता है, लेकिन कभी-कभी किन्हीं कारणों से कुछ शिशु मां के दूध से वंचित रह जाते हैं। ऐसी स्थिति में शिशु को फॉर्मूला दूध दिया जाता है। हालांकि, फॉर्मूला दूध को लेकर माता-पिता के मन में कई सवाल और दुविधा हो सकती हैं। ऐसे में मॉमजंक्शन के इस लेख से हम फॉर्मूला मिल्क और उसके कुछ फायदों के बारे में बताएंगे।

सबसे पहले लेख में जानते हैं कि फॉर्मूला मिल्क होता क्या है?

फॉर्मूला मिल्क क्या होता है? | Formula Milk In Hindi

फॉर्मूला मिल्क शिशु को ब्रेस्ट मिल्क के विकल्प के तौर पर दिया जाता है। यह मिल्क विटामिन, शुगर, फैट और अन्य पोषक तत्वों को मिलाकर बनाया जाता है (1)। फॉर्मूला मिल्क तब दिया जाता है, जब मां शिशु को स्तनपान कराने में असक्षम होती है या फिर किन्हीं अन्य कारणों की वजह से शिशु को मां का दूध नहीं मिल पाता है (2)

जब बात आती है फॉर्मूला मिल्क की, तो कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि क्या यह शिशु के लिए सुरक्षित है? इस लेख में आगे हम इस का जवाब दे रहे हैं।

क्या शिशु को फॉर्मूला मिल्क देना सुरक्षित है?

अगर शिशु स्तनपान नहीं कर पा रहा है, तो फॉर्मूला मिल्क एक सुरक्षित विकल्प के रूप में दिया जा सकता है (3)। हालांकि, इसे देने से पहले डॉक्टर से बात जरूर करें, ताकि वो शिशु की आयु और स्वास्थ्य के आधार पर सही फॉर्मूला मिल्क का सुझाव दे सके। इतना ही नहीं इसे बनाते वक्त भी सावधानी बरतनी जरूरी है।

अब बारी आती है फॉर्मूला दूध के फायदे जानने की।

फॉर्मूला दूध के फायदे | Formula Milk Ke Fayde

अगर बात करें इस दूध के फायदे की, तो यह न सिर्फ शिशु के लिए, बल्कि कई मायनों में मां के लिए भी फायदेमंद है। नीचे हम इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं (1) (4)

  1. अगर मां किसी काम में व्यस्त है, तो परिवार या जान-पहचान का कोई भी व्यक्ति आपके शिशु को फॉर्मूला मिल्क पिला सकता है।
  1. अगर रात को आपका शिशु उठ जाए, तो आपके पति भी उन्हें दूध पिला सकते हैं। इससे आपको काफी मदद मिलेगी।
  1. शिशु को फॉर्मूला मिल्क पचाने में थोड़ा वक्त लगता है, ऐसे में उन्हें भूख कम लगती है। इस कारण शिशु को बार-बार दूध पिलाने की जरूरत नहीं होती।
  1. जो माएं अपने बच्चे को फॉर्मूला मिल्क देती हैं, उन्हें अपने डाइट की चिंता नहीं करनी होगी। वो कुछ भी खा सकती हैं और इससे उनके बच्चे की सेहत बिगड़ने का भी कोई डर नहीं होता।
  1. आजकल कई ऐसे फार्मूला फीड्स होते हैं, जिनमें उचित मात्रा में डीएचए (Docosahexaenoic acid) पहले से ही मौजूद होता है। यह मस्तिष्क के विकास और शारीरिक विकास के लिए आवश्यक फैटी एसिड होता है। साथ ही कुछ रिसर्च में यह बात सामने आई है कि भारत में अधिकांश मां के दूध में डीएचए की मात्रा कम होती है।
  1. फॉर्मूला मिल्क के अलावा आजकल ईबीएम तकनीक (Expressed breast milk) भी आ चुकी है। इसमें स्तनपान कराने वाली मां अपने दूध को पंप द्वारा निकालकर स्टोर कर सकती हैं। इस दूध को फ्रिज में करीब 24 घंटे तक स्टोर करके रखा जा सकता है।

नोट : हम फिर से स्पष्ट कर दें कि छह माह तक के शिशु के लिए मां के दूध से बेहतर और कुछ नहीं होता।

अब लेख के आगे के भाग में हम बता रहे हैं कि फॉर्मूला मिल्क कितने प्रकार के होते हैं।

फॉर्मूला के विभिन्न प्रकार

वैसे तो फॉर्मूला मिल्क कई प्रकार के होते हैं, लेकिन यहां हम कुछ खास फॉर्मूला मिल्क के बारे में बता रहे हैं (5) (6)

  1. गाय के दूध का फॉर्मूला मिल्क (Cow’s Milk Based Formula) : ज्यादातर फॉर्मूला मिल्क का मुख्य घटक गाय का दूध होता है। यह गाय के दूध के प्रोटीन से बना होता है। ऐसा इसलिए ताकि यह शिशु को ब्रेस्टमिल्क की तरह ही लगे। इसमें लैक्टोज और मिनरल भी मौजूद होते हैं।
  1. सोया फॉर्मूला मिल्क (Soy-Based Formula) : यह फॉर्मूला मिल्क सोया प्रोटीन से तैयार किया जाता है और इसमें लैक्टोज नहीं होता है। जिन बच्चों को लैक्टोज पचाने में असुविधा होती है, उनके लिए सोया फॉर्मूला मिल्क उत्तम हो सकता है। इसे आसानी से पचाया जा सकता है।
  1. लैक्टोज फ्री फॉर्मूला (Lactose-Free Formula) : कुछ शिशुओं को लैक्टोज से एलर्जी होती है या वो लैक्टोज युक्त खाद्य पदार्थ पचा नहीं पाते हैं। ऐसे में डॉक्टर उन्हें लैक्टोज फ्री फॉर्मूला मिल्क देने की सलाह देते हैं।
  1. हाइपोएलर्जेनिक फॉर्मूला (Hypoallergenic formulas-protein hydrolysate formulas) : यह उन बच्चों के लिए तैयार किया जाता है, जिनको दूध प्रोटीन से एलर्जी है और एलर्जी के कारण त्वचा पर रैशेज, सांस की तकलीफ या घरघराहट होती है। यह फॉर्मूला मिल्क अन्य की तुलना में थोड़े महंगे होते हैं।
  1. व्यापक रूप से हाइड्रोलाइज्ड फॉर्मूला (Extensively Hydrolyzed Formula) : एक और फॉर्मूला मिल्क होता है हाइड्रोलाइज्ड फॉर्मूला। इसमें प्रोटीन को छोटे भागों में तोड़ा जाता है, ताकि शिशुओं को पचाने में आसानी हो। डॉक्टर उन शिशुओं के लिए इस प्रकार के फॉर्मूले की सलाह देते हैं, जिन्हें पोषक तत्वों को पचाने में मुश्किल हो या जिन्हें एलर्जी की समस्या हो।
  1. विशेष या स्पेशलाइज्ड फॉर्मूला (Specialized Formulas) : यह उन शिशुओं के लिए तैयार किया जाता है जो प्रीमैच्योर (निर्धारित समय से पहले जन्मे बच्चे) हों या जिन्हें कोई विशेष तरह की स्वास्थ्य समस्या या विकार होता है। इसे डॉक्टर के सलाह के बाद ही शिशु को दिया जा सकता है। इसमें स्टैंडर्ड फॉर्मूला मिल्क की तुलना में लगभग 20% अधिक पोषक तत्व होते हैं। यह एक्स्ट्रा प्रोटीन, एनर्जी, कार्बोहाइड्रेट, फैट से समृद्ध होता है। प्रीमैच्योर शिशु को स्टैंडर्ड फॉर्मूला मिल्क पर्याप्त पोषण नहीं दे सकता।

अब जब आपको फॉर्मूला मिल्क से संबंधित जरूरी जानकारी मिल चुकी है, तो अब बारी आती है फॉर्मूला मिल्क बनाने की विधि जानने की।

फॉर्मूला मिल्क कैसे बनाएं? | Formula Milk Kaise Banaye

फॉर्मूला मिल्क बनाते वक्त नीचे दी गए बातों का ध्यान रखें (7) (8) :

  • फॉर्मूला मिल्क बनाने से पहले अपने हाथों को अच्छे से धो लें और ध्यान रखें कि जहां आप इसे तैयार कर रहे हैं, वो जगह साफ हो।
  • जब आप नई बोतल खरीदें, तो उसे पहले गर्म पानी में कुछ देर डालकर रखें और फिर धो लें। बाद में जब भी आप इसका उपयोग करें, तो गर्म पानी से धो लें।
  • अब फॉर्मूला मिल्क की बोतल या पैकेट में इसके बनाने की तारीख और कब तक उपयोग किया जा सकता है उसकी तारीख देखें। अगर उपयोग की तारीख पार हो चुकी है, तो उसका प्रयोग न करें।
  • इसके साथ ही पैकेट खोलने के एक महीने के भीतर पाउडर का उपयोग करें।
  • अब पैकेट में बताए गए निर्देशों का पालन करें और ध्यान रहे कि आप सही तरीके से इसको तैयार करें, ताकि आपके बच्चे को सही और पूरा पोषण मिले।
  • एक केतली या सॉस पैन में ताजा साफ पानी उबालें।
  • शिशु फॉर्मूला बनाने से पहले 30 मिनट से अधिक समय तक पानी को ठंडा न होने दें। गर्म पानी पाउडर में किसी भी बैक्टीरिया (कीटाणुओं) को मारने में मदद करता है।
  • जितनी मात्रा बताई गई हो उतनी मात्रा में बोतल में उबला हुआ पानी डालें।
  • पाउडर की सटीक मात्रा को मापने के लिए फॉर्मूला के साथ दिए गए स्कूप या चम्मच का उपयोग करें। दूसरे ब्रांड के पाउडर के स्कूप का उपयोग न करें, क्योंकि वो बड़ा या छोटा हो सकता है, जिससे सही मात्रा मापने में असुविधा हो सकती है।
  • अब बोतल में फॉर्मूला डालें और बोतल को बंद करके तब तक हिलाएं जब तक वो अच्छे से घुल न जाए।
  • एक बार में शिशु को जितनी जरूरत हो उतना ही फॉर्मूला बनाए। एक बार में ज्यादा बनाकर रख देने से बोतल में बैक्टीरिया (कीटाणु) पनप सकते हैं, जिसके सेवन से बच्चा बीमार हो सकता है।
  • कभी भी बचा हुआ फॉर्मूला मिल्क बच्चे को न दें।
  • इसे देने से पहले अपने हाथ में डालकर इसके टेम्परेचर का पता कर लें कि कहीं यह ज्यादा गर्म तो नहीं है।
  • जब भी इसे बनाएं इसके पैकेट में दिए गए निर्देशों का पालन करें और उसी अनुसार बनाएं।

नोट: दूध को ज्यादा पतला करने से उसमें मौजूद पोषक तत्व कम हो सकते हैं। इसके अलावा, जरूरत से ज्यादा गाढ़ा दूध भी शिशु के लिए आंतों की गंभीर समस्याओं का कारण हो सकता है। ऐसे में ध्यान रहे कि दूध न तो जरूरत से ज्यादा पतला हो और न ही जरूरत से ज्यादा गाढ़ा।

मेरे बच्चे के लिए कितना फॉर्मूला दूध पर्याप्त है?

हर शिशु की फॉर्मूला मिल्क पीने की मात्रा अलग-अलग होती है। यह शिशु के उम्र और उसके स्वास्थ्य पर निर्भर करता है कि उसे कितना फॉर्मूला मिल्क पिलाने की जरूरत है। औसतन, आपके बच्चे को शरीर के वजन के प्रत्येक पाउंड (453 ग्राम) के लिए दिन में लगभग 2½ औंस (75 एमएल) फॉर्मूला देना चाहिए, लेकिन शिशु की जरूरत के अनुसार इस मात्रा में बदलाव किया जा सकता है। इसलिए, बेहतर होगा कि यह आप शिशु की जरूरत के अनुसार तय करें।

अधिकांश बच्चे पहले महीने के दौरान प्रति फीड 3 से 4 औंस (90–120 एमएल) से संतुष्ट हो जाते हैं। ऐसे में आप शिशु की खुराक को 1 औंस (30 एमएल) प्रति माह तक बढ़ा सकते हैं, जब तक कि यह करीब 7 से 8 औंस (210-240 एमएल) तक नहीं पहुंच जाती है। अगर आपका शिशु लगातार इससे कम या ज्यादा फॉर्मूला दूध का सेवन कर रहा है, तो आप बाल रोग विशेषज्ञ से इस बारे में बात कर सकते हैं।

नोट – हर शिशु की फॉर्मूला मिल्क पीने की मात्रा अलग-अलग होती है। यह शिशु की उम्र और उसके स्वास्थ्य पर निर्भर करता है कि उसे कितना फॉर्मूला मिल्क पिलाने की जरूरत है। ध्यान रहे कि 24 घंटे में शिशु को 32 औंस यानि 960 एमएल से अधिक फॉर्मूला नहीं देना चाहिए (9)। इस संबंध में सटीक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

लेख के आगे के भाग में जानिए फॉर्मूला दूध पाउडर शिशु को कितनी बार देना है।

बेबी को फॉर्मूला मिल्क कितनी बार देना चाहिए? | Baby Ko Formula Milk Kab Dena Chahiye

शिशु को हर दिन 6 से 8 बार फॉर्मूला दूध दिया जा सकता है। इस बारे में एक बार अपने डॉक्टर से भी सलाह जरूर कर लें (5)

हर चीज के फायदे और नुकसान दोनों हैं, वैसे ही फॉर्मूला मिल्क में भी फायदे हैं तो नुकसान भी है। आइए, जानते हैं।

फॉर्मूला दूध के नुकसान

मां का दूध सर्वोत्तम होता है और उसकी तुलना किसी अन्य दूध से नहीं की जा सकती है। फॉर्मूला मिल्क ने भले ही कुछ बच्चों के लिए मां के दूध की जगह ली है, लेकिन इसमें कुछ कमियां भी हैं, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है। नीचे हम इसी के बारे में बता रहे हैं (1)।

एंटीबॉडीज की कमी – जो एंटीबॉडी मां के दूध में होते हैं, वो फॉर्मूला दूध में शामिल नहीं होते हैं। ऐसे में शिशु को बीमारियों के खिलाफ जो सुरक्षा मां के दूध से मिलती है, वो फॉर्मूला दूध से नहीं मिल सकती है।

ब्रेस्टमिल्क की तरह नहीं – भले ही फॉर्मूला मिल्क को ब्रेस्टमिल्क की तरह तैयार किया जाता हो, लेकिन फिर भी इसकी तुलना ब्रेस्टमिल्क के गुणों से नहीं की जा सकती है।

उपलब्धता की कमी – अगर बात करें ब्रेस्टमिल्क की, तो जब भी शिशु को भूख लगे तो मां स्तनपान करा सकती है, लेकिन फॉर्मूला मिल्क बनाने में वक्त लगता है। इसलिए, यह शिशु को भूख लगने के वक्त तुरंत उपलब्ध नहीं होता है।

महंगा – कुछ फॉर्मूला मिल्क महंगे होते हैं। इसकी कीमत इसकी वैरायटी के आधार पर बदलती रहती है।

गैस या कब्ज की समस्या – जो शिशु फॉर्मूला दूध का सेवन करते हैं, उनमें पेट की समस्या जैसे – गैस या कब्ज होने की आशंका स्तनपान करने वाले शिशु से ज्यादा हो सकती है।

संक्रमण का जोखिम – बोतल से फॉर्मूला मिल्क के सेवन से शिशुओं में बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा भी बढ़ सकता है।

आगे जानिए कि शिशु को फॉर्मूला मिल्क देने से पहले किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

बेबी को फॉर्मूला मिल्क देते समय इन बातों पर दें ध्यान

शिशु को फॉर्मूला दूध देने से पहले कुछ मुख्य बातों का ध्यान रखना जरूरी है, जिसकी जानकारी हम आपको नीचे दे रहे हैं (8) :

  • हर बार उपयोग के बाद  फॉर्मूला मिल्क की बोतल, उसके ढक्कन और निप्पल को अच्छे से गर्म पानी में धोएं।
  • फॉर्मूला मिल्क को कभी भी माइक्रोवेव में गर्म न करें। अगर आपको गर्म करने की जरूरत महसूस हो, तो किसी पतीले में पानी गर्म करके उसमें बोतल को आधा डुबोकर गर्म करें।
  • अगर शिशु फॉर्मूला मिल्क पीते-पीते छोड़ दे, तो उस बचे हुए दूध को फिर से उपयोग न करें।
  • शिशु को दूध पिलाते वक्त बोतल को सीधे पकड़ें, ताकि उसे दूध पीने में आसानी हो।
  • साथ ही शिशु के सिर को थोड़ा ऊपर की तरफ उठाकर रखें, ताकि वह छाती के सामानांतर या नीचे की ओर न रहे। इससे शिशु को दूध पीने में किसी तरह की परेशानी नहीं होगी।
  • उन्हें दूध देने से पहले अपने हाथ पर दूध की कुछ बूंद डालकर देख लें कि कहीं वो बहुत गर्म या ठंडा तो नहीं है।

आगे जानिए भारत में मिलने वाले 5 पॉपुलर फॉर्मूला मिल्क के नाम।

भारत में मिलने वाले 5 प्रमुख फॉर्मूला मिल्क ब्रांड्स

भारत के 5 मुख्य फॉर्मूला मिल्क ब्रांड के नाम हैं –

  1. इन्फामिल इन्फेंट फॉर्मूला (Enfamil infant formula)
  1. नेस्ले लेक्टोजेन (Nestle Lactogen)
  1. सिमिलैक एडवांस इन्फेंट फॉर्मूला (Similac Advance Infant Formula)
  1. नेस्ले नैन प्रो 2 फॉलोअप फॉर्मूला पाउडर (Nestle NAN PRO 2 Follow-up Formula Powder)
  1. फैरेक्स 1 इन्फेंट फॉर्मूला रीफिल (Farex 1 Infant Formula Refill)

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या सारे फॉर्मूला मिल्क पाउडर एक समान होते हैं?

नहीं, जैसा कि हमने ऊपर बताया कि फॉर्मूला मिल्क पाउडर के कई प्रकार हैं। शिशु के स्वास्थ्य और जरूरत अनुसार कौन सा फॉर्मूला मिल्क शिशु को देना चाहिए उसका फैसला डॉक्टर लेते हैं।

बच्चे को फॉर्मूला दूध पिलाना कब बंद कर देना चाहिए?

आप शिशु को एक साल से दो साल के बीच में फॉर्मूला दूध पिलाना बंद कर सकते हैं, लेकिन इस बारे में एक बार डॉक्टर का सुझाव लेना भी जरूरी है (10)

आशा करते हैं शिशु के लिए फॉर्मूला मिल्क का यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको इससे मदद मिलेगी। आपके शिशु के लिए कौन-सा फॉर्मूला मिल्क अच्छा होगा, इसके बारे में आपको सटीक जानकारी डॉक्टर से मिल जाएगी। ऐसी ही अन्य प्रकार की जानकारी के लिए पढ़ते रहें मॉमजंक्शन।

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