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गर्भावस्था हर महिला के लिए सबसे सुखद अनुभवों में से एक होता है। कोई नहीं चाहता कि उन्हें इस दौरान किसी भी तरह की समस्या का सामना करना पड़े, लेकिन कुछ अनचाही परिस्थितियों के चलते उन्हें कुछ जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। कुछ मामलों में ये जटिलताएं इतनी बड़ी हो जाती हैं कि गर्भपात कराने तक की नौबत आ जाती है। वहीं, कुछ मामलों में अनचाहा गर्भ होने के कारण भी महिलाओं को गर्भपात करवाना जरूरी हो जाता है। मॉमजंक्शन के इस लेख में हम एक माह के गर्भपात से जुड़ी जानकारी आपको दे रहे हैं। यहां हम गर्भपात की सही प्रक्रिया और उससे जुड़ी अन्य जटिलताओं के बारे में विस्तार से बताएंगे।
लेख के पहले भाग में जानिए कि एक माह का गर्भ कैसे गिराया जा सकता है।
एक माह का गर्भपात कैसे गिराएं?
भारत सरकार के दिशा निर्देशों और कानून के अनुसार, अगर गर्भवती का जीवन खतरे में हो या भ्रूण किसी गंभीर जटिलता से ग्रसित हो, तो गर्भावस्था के 20 हफ्तें (5 महीने) तक गर्भपात किया जा सकता है (1)। गर्भपात करने के सही और सुरक्षित तरीके सिर्फ मेडिकल व सर्जिकल हैं। इन सभी के बारे में लेख के आने वाले भागों में विस्तार से बताया गया है।
सबसे पहले हम सर्जिकल गर्भपात के बारे में बात करते हैं।
सर्जिकल गर्भपात से गर्भावस्था को कैसे रोकें?
जब गर्भावस्था एक माह यानी चार हफ्तों की हो, तो उसके लिए एमवीए (MVA) तकनीक का उपयोग किया जा सकता है। इस तकनीक का इस्तेमाल 12 हफ्ते (पहली तिमाही) तक की गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए किया जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसे सुरक्षित माना है। एमवीए यानी मैन्युअल वैक्यूम एस्पिरेशन में महिला के गर्भाशय में प्लास्टिक की एक सिरिंज की मदद से वैक्यूम बनाया जाता है। फिर भ्रूण व गर्भावस्था के अन्य टिश्यू को बाहर निकाला जाता है। इसे भरोसेमंद और प्रभावशाली तकनीक माना जाता है। इसके बाद कुछ उपकरण की मदद से चेक किया जाता है कि गर्भाशय ठीक तरह से खाली हुआ है या नहीं (2)।
आगे जानिए पहले माह की गर्भावस्था को खत्म करने के अन्य मेडिकल तरीकों के बारे में।
सर्जिकल गर्भपात के बिना गर्भावस्था को कैसे रोकें?
सर्जिकल गर्भपात के अलावा कुछ अन्य तरीकों से भी किया जा सकता है, जैसे :
- मेडिकल एबॉर्शन : इसमें दवाइयों की मदद से गर्भपात किया जाता है। डॉक्टर के परामर्श व उनकी देखरेख में इस घर में आसानी से किया जा सकता है। इस तकनीक में दो तरह की टेबलेट ली जाती है (3) :
- मिफेप्रिस्टोन (Mifepristone) : सबसे पहले यह दवा डॉक्टर के क्लिनिक में ली जाती है। यह प्रोजेस्ट्रोन हॉर्मोन को बनने से रोकती है, जिससे गर्भाशय की लाइन टूट जाती है और गर्भावस्था समाप्त हो सकती है।
- मिसोप्रोस्टल (Misoprostol) : यह दूसरी टेबलेट होती है, जिसे मिफेप्रिस्टोन लेने के 48 घंटे बाद लिया जाता है। यह गर्भाशय की मांसपेशियों को सिकोड़ना शुरू करती है, जिससे रक्तस्त्राव की मदद से भ्रूण योनी से बाहर निकल जाता है।
- सलाइन वॉटर विधि : इस विधि में ड्रिप की मदद से लगभग 200 सीसी एमनियोटिक द्रव को निकला जाता है और एमनियोटिक बैग को डिस्टिल्ड पानी व नमक के सोल्यूशन से भरा जाता है। इससे गर्भ में ही भ्रूण की मृत्यु हो जाती है। इसके बाद लेबर की मदद से भ्रूण को निकाला जाता है (4)।
आगे जानिए प्राकृतिक रूप से गर्भपात करने से जुड़ी जानकारी।
क्या प्राकृतिक उपचार गर्भावस्था को रोक सकते हैं?
वैसे तो घर में गर्भपात करने के कई तरीके हैं, लेकिन ये किसी भी तरह से सुरक्षित नहीं हैं। वैज्ञानिक आधार पर इन्हें गर्भवती महिला के लिए जोखिम भरा माना गया है। विश्व स्वास्थ संगठन के अनुसार, बिना ट्रेनिंग के और विशेषज्ञों की अनुपस्थिति में किया जाने वाला कोई भी गर्भपात असुरक्षित है। इन असुरक्षित तरीकों में घरेलू उपचार भी शामिल हैं (5)। यहां हम घर में गर्भपात करने के विभिन्न प्रचलित तरीके बता रहे हैं, लेकिन मॉमजंक्शन इनका समर्थन नहीं करता है और डॉक्टर से सलाह करने का सुझाव देता है:
- पपीता : नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (एनसीबीआई) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख में यह बताया गया है कि कच्चा या अध-पका हुआ पपीता खाना गर्भपात का कारण बन सकता है। इसमें भारी मात्रा में लेटेक्स (एक तरह का टॉक्सिक पदार्थ) पाया जाता है, जो गर्भाशय के संकुचन (labor contraction) को बढ़ाता है, जिससे असुरक्षित गर्भपात हो सकता है (6)।
- दालचीनी : ऐसा माना जाता है कि दालचीनी के सेवन से भी घर में असुरक्षित गर्भपात हो सकता है। दालचीनी की चाय यूट्रस की मांसपेशियों के संकुचन को बढ़ाती है और गर्भपात का कारण बन सकती है। इसकी कार्यप्रणाली पर अभी शोध की आवश्यकता है (7)।
- अनानास : बात जब अनानास की हो, तो दो तरह की बात सामने आती है। कुछ शोध के अनुसार, गर्भावस्था में अनानास का सेवन करना सुरक्षित है (8)। वहीं, कुछ शोध में बताया जाता है कि इस दौरान अनानास का सेवन गर्भपात का कारण बन सकता है (9)। इस कारण सलाह दी जाती है कि अनानास का सेवन डॉक्टर के परामर्श पर ही करें।
- करेला : गर्भावस्था में करेला खाना गर्भपात का कारण बन सकता है। यह जानकार शायद हैरानी हो कि इसे पुराने समय में गर्भपात करवाने की दवा के रूप में उपयोग किया जाता था। बताया जाता है कि इसमें मोमोरचारिन जैसे कुछ रसायन पाए जाते हैं, जो माहवारी के रक्तस्त्राव का कारण बन सकते हैं और असुरक्षित गर्भपात करवा सकते हैं (10) (11)।
- कॉफी : गर्भावस्था की पहली तिमाही में कॉफी का सेवन गर्भपात का कारण बन सकता है। माना जाता है कि गर्भावस्था में कॉफी का सेवन अनियंत्रित मात्रा (200 ग्राम से ज्यादा) में करने से गर्भपात हो सकता है। इसके अलावा, यह गर्भावस्था में अन्य जोखिमों का भी कारण बन सकती है (12)।
नोट : घर में गर्भपात करना बिल्कुल सुरक्षित नहीं है। यह कई अन्य गंभीर समस्याओं और आधे गर्भपात (जब भ्रूण पूरी तरह शरीर से नहीं निकलता) का कारण बन सकता है। इसलिए, हमेशा डॉक्टर की देखरेख में ही गर्भपात करवाएं। इसे घर में करने की बिल्कुल कोशिश न करें। साथ ही गर्भपात के लिए इन घरेलू तरीकों अधिक मात्रा में इस्तेमाल करना होता है और इसकी सही मात्रा ठीक-ठीक किसी को नहीं पता है। इसलिए, गर्भपात के लिए मेडिकल तरीका ही सबसे बेहतर है।
आगे जानिए गर्भपात से होने वाली जटिलताओं के बारे में।
गर्भपात की संभावित जटिलताएं
गर्भपात के बाद महिला को नीचे दी गई शारीरिक जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है (13) (14) :
- कमजोरी
- योनी से भारी रक्तस्त्राव या स्पोटिंग (हल्की ब्लीडिंग)
- मतली और उल्टी
- अधिक गर्मी या ठंडक का एहसास
- डायरिया
- ब्रेस्ट में दर्द
- इस दौरान मानसिक तौर पर परेशान होना भी स्वाभाविक है।
लेख के अगले भाग में आप गर्भपात से उबरने से जुड़ी जानकारी के बारे में जानेंगे।
गर्भपात के बाद कैसे उबरें?
गर्भपात के बाद होने वाली शारीरिक व मानसिक समस्याओं से महिला नीचे बताई गई बातों का ध्यान रखकर जल्दी उबर सकती है (15) :
- कमजोरी महसूस होने पर आराम करें।
- रक्तस्त्राव पूरी तरह बंद न हो जाने तक शारीरिक संबंध न बनाएं।
- रक्तस्त्राव होना आम बात है। फ्लो बहुत ज्यादा हो जाने पर अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
- पेड भर जाने पर या लगभग दो से चार घंटों बाद उसे बदलें।
- गर्भपात से गुजरने के बाद, कुछ महिलाएं तुरंत दोबारा गर्भवती होने के लिए तैयार नहीं होती हैं। ऐसे में हमेशा कंडोम या अन्य गर्भ निरोधक का उपयोग करें।
- कोई भी कठिनाई जैसे अधिक बुखार आना, दो दिन तक लगातार भारी रक्तस्त्राव होना, चक्कर आना, कमरदर्द, अधिक उल्टी होना या योनि से बदबूदार स्त्राव होने पर अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
गर्भपात के बाद महिला के शारीरिक के साथ मानसिक स्वास्थ का ध्यान रखना भी जरूरी है। ऐसे में नीचे बताई गई बातों का ध्यान रखा जा सकता है, जैसे :
- अपनी पसंद के काम करें।
- ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें जिससे मूड अच्छा हो, जैसे चॉकलेट (16)।
- भरपूर आराम करें।
- कोई भी परेशानी होने पर अपने पार्टनर से बात करें।
- किसी भी बात का स्ट्रेस न लें।
- अपने आप सहज तरीके से हुए गर्भपात के लिए खुद को दोषी न समझें।
नोट : इस बात का ध्यान रखें कि गर्भपात भले ही सबसे सुरक्षित तरीके से किया गया हो, लेकिन कुछ मामलों में यह महिला के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होता है। साथ ही आगे गर्भधारण से बचने के लिए गर्भनिरोधक का उपयोग करना हमेशा बेहतर होता है।
तो ये थी पहले माह में गर्भपात से जुड़ी कुछ बातें। दोस्तों, यह समय किसी भी कपल के लिए मुश्किल भरा होता है। ऐसे में एक दूसरे का सपोर्ट सिस्टम बनाना जरूरी है। सिर्फ आप दोनों ही एक दूसरे को सबसे अच्छी तरह से संभाल सकते हैं। इसके साथ ही परिवार के अन्य सदस्यों के लिए भी यह जरूरी है कि वो महिला को गर्भपात से उबरने में मदद करें। वहीं, अगर इस दौरान कोई और शारीरिक या मानसिक समस्या आती है, तो अपने डॉक्टर से बात जरूर करें। हम आशा करते हैं कि ये लेख आपके लिए फायदेमंद रहा होगा।
References
1. The importance of considering the evidence in the MTP 2014 Amendment debate in India – unsubstantiated arguments should not impede improved access to safe abortion by NCBI
2. Manual vacuum aspiration in first trimester induced abortion: A randomized comparative prospective studies of 100 cases by CiteseerX
3. Ending pregnancy with medicines by MedlinePlus
4. Termination of Pregnancy with Intra-amniotic Hypertonic Saline by NCBI
5. Safe and unsafe induced abortion by WHO
6. Papaya (Carica papaya) consumption is unsafe in pregnancy: fact or fable? Scientific evaluation of a common belief in some parts of Asia using a rat model by NCBI
7. Herbs to Avoid During Pregnancy by UTEP
8. In Vitro and In vivo Evaluation of Ananas comosus Fruit (Pineapple) on Abortion/Miscarriage in Wistar Rats by SERSC
9. Assessing the Effect of Pineapple Extract Alone and in Combination With Vancomycin on Streptococcus sanguis by NCBI
10. Momordica Charantia (Bitter Melon): Safety and Efficacy During Pregnancy and Lactation by ResearchGate
11. Bitter Melon by MedlinePlus
12. Caffeine intake during pregnancy and adverse birth outcomes: a systematic review and dose-response meta-analysis by University of Leeds
13. Management of side effects and complications in medical abortion by NCBI
14. After an Abortion… by FWHC
15. POST-ABORTION CARE by NCBI
16. The neuroprotective effects of cocoa flavanol and its influence on cognitive performance by NCBI