Written by , (शिक्षा- बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मीडिया कम्युनिकेशन)

अक्सर हर किसी का मन करता है कि उसे किसी तरह से दिन में एक झपकी लेने का मौका मिल जाए। अब इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। कुछ को दिन में सोने में मजा आता है, तो कुछ रात को नींद पूरी न होने पर या थकावट के कारण कुछ मिनटों की पावर नैप लेने की सोचते हैं। इस बात से हर कोई सहमत तो जरूर होगा, लेकिन क्या सेहत के लिहाज से ऐसा करना ठीक है? स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम इसी मुद्दे पर बात कर रहे हैं। यहां हम जानेंगे कि दिन में सोने के फायदे और नुकसान क्या-क्या हैं। इसलिए, आप लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

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दिन में सोने के फायदे और नुकसान जानने से पहले इसकी अवधि के बारे में जान लेते हैं।

दिन में कितने घंटे सोना चाहिए

हर किसी के मन में ये सवाल जरूर आता है कि दिन में कितने घंटे सोना जरूरी होता है। इस बात को लेकर कई रिसर्च किए जा चुके हैं। उनमें से एक रिसर्च के मुताबिक ये बताया गया है कि दोपहर में 10 मिनट की झपकी सेहत के लिए फायदेमंद मानी जा सकती है (1)।

आइए, अब लेख में जानते हैं कि दोपहर में सोने के फायदे क्या हैं।

दिन में सोने के फायदे – Din Me Sone Ke Fayde in Hindi

वैज्ञानिक शोध में माना गया है कि कुछ हद तक दोपहर को सोने के फायदे हैं (2)। अब ये फायदे क्या हैं, उसके बारे में यहां एक-एक करके विस्तार से बताया गया है। यहां आप दिन में सोने के फायदे और नुकसान दोनों जानेंगे।

1. आराम: दिन में सोने के फायदे में सबसे पहले हम आराम के बारे में बात करेंगे। दिन में थोड़ी देर की नींद व्यक्ति की थकावट कम करने में फायदेमंद हो सकती है। दरअसल, मनुष्य का शरीर सिर्केडियन क्लॉक के हिसाब से काम करता है। इसमें दोपहर के वक्त शरीर के तापमान में कमी आ जाती है, जिससे आलस व थकान महसूस होने लगती है। ऐसे में व्यक्ति को झपकी आने लगती है। इसलिए, माना जा सकता है कि दोपहर में थोड़ी देर की नींद व्यक्ति के शरीर को आराम पहुंचाने में लाभकारी हो सकती है। इसकी पुष्टि एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नॉलोजी इंफॉर्मेशन) की साइट पर उपलब्ध रिसर्च पेपर से होती है (3)।
सिर्केडियन क्लॉक शरीर के लिए एक प्रकार की जैविक घड़ी होती है। यह 12 घंटे दिन के और 12 घंटे रात के अनुसार काम करती है। इससे व्यक्ति को सुबह समय पर उठने और रात को समय पर सोने में मदद मिलती है।

2. तनाव: दोपहर को सोने के फायदे में तनाव से राहत पाना भी शामिल है। जापान की एक यूनिवर्सिटी के रिसर्च के अनुसार, रात में काम करने वाले लोग लंबे वक्त तक जागते हैं, इससे नींद व थकान बढ़ जाती है। इससे उनके तनाव का स्तर भी धीरे-धीरे बढ़ता है। अगर ऐसी स्थिति लंबे वक्त तक बनी रहती है, तो पुरानी थकान और बढ़ सकती है। ऐसे में इस तरह के तनाव को कम करने के लिए दिन के वक्त झपकी लेना लाभकारी हो सकता है। यह रिसर्च पेपर एनसीबीआई की साइट पर पब्लिश है (4)।

3. दिल: एक झपकी दिल को स्वस्थ रखने में भी मददगार साबित हो सकती है। कई वैज्ञानिक ऐसी नींद को कार्डियोवैस्कुलर हॉलीडे (दिल की छुट्टी) भी कहते हैं। दिन के समय सोने से दिल की धड़कन कुछ हद तक धीमी हो सकती है। इसके कई सारे फायदे हो सकते हैं। इसलिए, दिन की झपकी भी रात की नींद के बराबर हृदय के लिए लाभकारी हो सकती है। ऐसे में कहा जा सकता है कि हृदय की कई बीमारियों की रोकथाम के लिए दिन में सोना फायदेमंद हो सकता है (5)।

4. कम थकान: हमारा शरीर सिर्केडियन क्लॉक को फॉलो करता है। इसमें लगभग हर 12 घंटे के अंतराल में शरीर का तापमान थोड़ा कम हो जाता है। यह मुख्य रूप से दोपहर के समय पाया जाता है। ऐसे में व्यक्ति थका हुआ महसूस कर सकता है। इसी बीच 30 मिनट से अधिक एक झपकी लेने पर व्यक्ति की थकान में काफी हद तक राहत मिल सकती है (3)।

5. सतर्कता में वृद्धि: दोपहर को सोने के फायदे में की गई कई रिसर्च में इस बात का साफतौर पर जिक्र मिलता है कि व्यक्ति की सतर्कता दोपहर के वक्त काफी कम होती है। इसे पोस्ट लंच डिप कहा जाता है। यह मुख्य रूप से 1 बजे से 4 बजे के बीच में होता है। इस समय व्यक्ति के शरीर का तापमान कुछ कम हो जाता है, जिससे व्यक्ति आलस महसूस करने लगता है और उसकी सतर्कता में कमी आ जाती है। ऐसे में 15 से 45 मिनट की एक झपकी व्यक्ति की सतर्कता में वृद्धि उत्पन्न करने में लाभकारी मानी जा सकती है (3)। यह जानकारी एनसीबीआई की साइट पर प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में दी गई है।

6. बेहतर मूड: कई बार दोपहर के वक्त व्यक्ति चिड़चिड़ापन महसूस करता है। इसकी वजह सिर्केडियन क्लॉक भी हो सकता है। ऐसे में व्यक्ति के मूड में भी बदलाव नजर आता है। वहीं, एक रिसर्च कहती है कि दोपहर में 20 मिनट की नींद लेने से व्यक्ति के आत्मविश्वास के साथ-साथ सतर्कता में भी बढ़ोत्तरी होती है और आलस्य कम होता है। इसका सकारात्मक असर उसके मूड पर पड़ता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि दोपहर को सोने के फायदे में मूड को बेहतर करना भी शामिल है (6)।

7. अच्छी याददाश्त: दोपहर को सोने के फायदे की लिस्ट में इसे भी गिना जा सकता है। एनसीबीआई ने इस संबंध में अपनी साइट पर एक रिसर्च पेपर प्रकाशित किया है। इसमें बताया गया है कि दोपहर को झपकी लेने वाले लोगों का मेमौरी टेस्ट स्कोर, दोपहर में न सोने वाले लोगों की तुलना में बेहतर पाया गया। साथ ही सिर्फ एक झपकी सीखी गई चीजों को हमेशा के लिए याद रखने में मदद कर सकती है (7)।

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दोपहर में सोने के फायदे के साथ-साथ दिन में सोने के नुकसान भी हैं। आइए, जानते हैं इस बारे में।

दिन में सोने के नुकसान – Side Effects of Sleeping in Day Time in Hindi

हर चीज के फायदे हैं, तो नुकसान भी हैं। इसी प्रकार अगर दिन में ज्यादा देर तक सोया जाए, तो  दोपहर में सोने के फायदे की जगह दिन में सोने के नुकसान हो सकते हैं। इसके बारे में हम यहां क्रमवार तरीके से बता रहे हैं (8) (9) (10) (11) (12):

  • दिन में सोने के नुकसान में व्यक्ति को हाई ब्लडप्रेशर की समस्या हो सकती है।
  • नियमित रूप से ऐसा करने वाला अवसाद का शिकार हो सकता है।
  • ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या यानी हड्डियां कमजोर हो सकती हैं।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी कमी आ सकती है।
  • दिल से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है।
  • दिन में सोने के नुकसान में मोटापे और कब्ज जैसी समस्याएं भी शामिल है।
  • इंसोमनिया से पीड़ित व्यक्ति के दोपहर में सोने से उसकी समस्या और गंभीर हो सकती है।
  • दिन में मधुमेह का जोखिम बढ़ सकता है।
  • दिन में सोने के नुकसान में रात में नींद न आने की समस्या भी हो सकती है।
  • दिन में ज्यादा सोने से याददाश्त कमजोर हो सकती है।
  • झपकी से जागने के बाद घबराहट महसूस हो सकती है।

दोस्तों, दोपहर में नींद आना आम है, लेकिन ज्यादा समय तक दोपहर में सोना सेहत के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। साथ ही, दोपहर की ज्यादा नींद रात की नींद में भी असर डाल सकती है। इसलिए, जरूरी है कि दोपहर में ज्यादा सोने से बचें। इस लेख के माध्यम से हमने आपको दोपहर में सोने के फायदे और नुकसान दोनों के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। हम आशा करते हैं कि इस लेख से आपको सभी सवालों के जवाब मिल गए होंगे। इस तरह के अन्य स्वास्थ्य संबंधि आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहिए स्टाइलक्रेज के साथ।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

किन्हें दिन में सोने से बचना चाहिए?

जिन्हें रात में इंसोमनिया की समस्या है या नींद नहीं आती, ऐसे लोगों के दोपहर में सोने से उनकी समस्या और गंभीर हो सकती है। ऐसे लोगों को दिन में सोने से बचाना चाहिए।

दोपहर में सोना अच्छा है या बुरा

दोपहर में 15 से 30 मिनट की झपकी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है (2)। ऊपर लेख में दोपहर में सोने के फायदे और नुकसान दोनों के बारे में विस्तार से बताया गया है।

References

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  1. A brief afternoon nap following nocturnal sleep restriction: which nap duration is most recuperative?
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/16796222/
  2. Good sleep bad sleep! The role of daytime naps in healthy adults
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/17053484/
  3. Nap Opportunity During the Daytime Affects Performance and Perceived Exertion in 5-m Shuttle Run Test
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6596336/
  4. Effects of Two 15-min Naps on the Subjective Sleepiness Fatigue and Heart Rate Variability of Night Shift Nurses
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4202767/
  5. HEART RATE VARIABILITY DURING DAYTIME NAPS IN HEALTHY ADULTS: AUTONOMIC PROFILE AND SHORT-TERM RELIABILITY
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4801685/
  6. The effects of a 20 min nap in the mid-afternoon on mood performance and EEG activity
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/10210616/
  7. The long-term memory benefits of a daytime nap compared with cramming
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6335868/
  8. Exploring the nap paradox: are mid-day sleep bouts a friend or foe?
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5598771/
  9. Daytime Napping and the Risk of Cardiovascular Disease and All-Cause Mortality: A Prospective Study and Dose-Response Meta-Analysis
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4667384/
  10. Association between daytime napping and obesity in Chinese middle-aged and older adults
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC7719355/
  11. Insomnia and daytime napping in older adults
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/17561549/
  12. J-curve relation between daytime nap duration and type 2 diabetes or metabolic syndrome: A dose-response meta-analysis
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/27909305/
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Saral Jain
Saral Jainहेल्थ एंड वेलनेस राइटर
सरल जैन ने श्री रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, राजस्थान से संस्कृत और जैन दर्शन में बीए और डॉ.

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