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बच्चे खेलते-कूदते हुए कई बार गिर जाते हैं, जिसके कारण उन्हें चोट भी लगती है। कभी-कभी तो लड़ाई-झगड़ा करने से भी वो चोटिल हो जाते हैं। इस दौरान सिर में चोट लगना भी लाजमी है। यह शरीर का बेहद संवेदनशील और जटिल हिस्सा होता है। इसमें चोट लगने से बच्चे को बचाने और चोट लगने से जुड़े जोखिम, जानना माता-पिता के लिए जरूरी है। यही कारण है कि हम मॉमजंक्शन के इस लेख में बच्चों के सिर में चोट लगने के कारण, लक्षण और इलाज जैसी कई जरूरी जानकारियां लेकर आए हैं।
सबसे पहले जानिए कि सिर की चोट क्या है।
बच्चों में सिर की चोट क्या होती है?
सिर की चोट का अर्थ है स्कैल्प, स्कल, दिमाग या फिर सिर के किसी ऊतक यानी टिश्यू और रक्त वाहिका को किसी तरह की क्षति पहुंचना। यह चोट मामूली या गंभीर दोनों हो सकती है। इसे अंग्रेजी में ब्रेन इंजरी और हेड इंजरी भी कहा जाता है (1)।
अब समझते हैं सिर की चोट कितने प्रकार की हो सकती है।
बच्चों में सिर की चोट के प्रकार
बच्चों के सिर में चोट दो तरीके से लगती हैं। एक बाहरी, जिसमें खुला घाव हो और दूसरा अंदरूनी, जिसमें आंतरिक तौर पर मस्तिष्क को क्षति पहुंचती है। इनमें शामिल सिर की चोट के प्रकार कुछ ऐसे हैं (1) (2)।
1. स्कल फ्रैक्चर (Skull fracture)
हेड इंजरी का एक प्रकार स्कल यानी सिर के हड्डी वाले ढांचे में फ्रैक्चर होना है। इस फ्रैक्चर के कई प्रकार होते हैं, जिसमें लीनियर स्कल फ्रैक्चर, डिप्रेशड स्कल फ्रैक्चर, डायस्टैटिक स्कल फ्रैक्चर, बेसिलर फ्रैक्चर आदि शामिल हैं। सभी फ्रैक्चर को उनकी गंभीरता और फ्रैक्चर वाले हिस्से के आधार पर बांटा गया है (3) (4)।
2. हेमरेज (Hemorrhage)
हेमरेज का मतलब सिर के अंदरूनी हिस्से में रक्त का स्रावित होना है। बच्चों को हेड इंजरी के कारण कई तरह के हेमरेज हो सकते हैं। रिसर्च पेपर में बताया गया है कि सिर की चोट से एपिड्यूरल हेमरेज यानी मस्तिष्क के मध्य की मेनिनजीयल धमनी से रक्तस्राव होने और सबड्यूरल हेमेटोमा यानी नसों से रक्त के निकलने का जोखिम हो सकता है।
3. कंट्यूशन (Contusion)
यह मस्तिष्क पर लगने वाली खरोंच या नील को कहते हैं। इसके कारण रक्तस्राव और अंदरूनी हिस्से में सूजन हो सकती है। यह हेड इंजरी सिर पर सीधे प्रहार होने, हिंसक झड़प और वाहन से होने वाली दुर्घटना के कारण हो सकती है।
4. कन्कसन (Concussion)
यह एक तरह के सिर की गुम चोट है, जिसमें मस्तिष्क कुछ समय के लिए ठीक से कार्य नहीं करता है। कई बार इसके कारण आसपास होने वाली चीजों से जुड़ी जागरूकता और सतर्कता को व्यक्ति कुछ मिनट से लेकर घंटों तक के लिए खो देता है। बताया जाता है कि सिर के बुरी तरह से शेक होने यानी हिलने के कारण कन्कसन होता है।
5. ब्रेन एडिमा (Brain Edema)
बच्चों के सिर की चोट का एक प्रकार ब्रेन एडिमा भी हो सकता है। जोर से झटका लगने या सिर किसी चीज से टकराने के कारण ब्रेन एडिमा हो सकता है। यह दिमाग में होने वाली सूजन को कहा जाता है।
लेख में आगे बढ़ते हुए जानिए की बच्चों के सिर में चोट आखिर लगती कैसे है।
बच्चों के सिर में चोट लगने के कारण | Bachoo Ke Sir Me Chot Lagne Ke Karan
बच्चों के सिर में चोट लगने के कारण कई सारे हो सकते हैं। हम आगे कुछ संभावित और सामान्य कारण के बारे में बता रहे हैं (1) (5) (6)।
- इंडोर गेम या बाहर खेलते समय दुर्घटना होना
- गिरना
- बाल उत्पीड़न
- यातायात के दौरान होने वाली दुर्घटनाएं
- लड़ाई-झगड़ा
अब हम सिर की चोट से जुड़े कुछ लक्षण के बारे में बता रहे हैं।
बच्चों में सिर की चोट लगने के लक्षण
सिर में लगने वाली मध्यम से लेकर गंभीर चोट के लक्षण के बारे में जानना जरूरी है। इसके लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं (6) (1) (7)।
- ऐसा सिरदर्द, जो बढ़ता ही चला जाए
- बार-बार उल्टी या मतली होना
- दौरे पड़ना
- जागने में परेशानी होना
- एक या दोनों आंखों के प्यूपिल (आंखों के बीच का काला हिस्सा) का बढ़ना
- बोलते समय अस्पष्ट उच्चारण
- बाहों या पैरों में कमजोरी या सुन्नता
- समन्वय यानी कॉर्डिनेशन न कर पाना
- नाक से खून बहना
- घाव लगना
- सूजन होना
- गर्दन का अकड़ना
- भ्रम, बेचैनी और आवेश में वृद्धि
- चक्कर आना
- शरीर का असंतुलित होना
- आसपास हो रही चीजों को लेकर पूरी तरह अवगत न होना
- मूड खराब होना
- प्रकाश और शोर के प्रति संवेदनशील होना
- नींद में गड़बड़ी होना
स्क्रॉल करके पढ़ें कि किस उम्र में बच्चों को सिर की चोट अधिक लगती है।
सिर में चोट लगने का खतरा बच्चों को किस उम्र में ज्यादा होता है?
सिर में चोट लगने का खतरा सभी उम्र के बच्चों को होता है। आंकड़ों की बात करें, तो 0 से 5 साल तक के बच्चों को गिरकर चोट लगने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। पांच से चौदह साल तक के बच्चों को उत्पीड़न के कारण सिर में चोट लगने का जोखिम होता है। इनके अलावा, 15 से 24 साल वालों में एक्सीडेंट से सिर में चोट लगने का रिस्क अधिक होता है (8)।
एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध की मानें, तो हॉस्पिटल में एक से नौ साल तक के बच्चे की सिर में चोट के मामले एक्सीडेंट या गिरने की वजह से आते हैं। यही नहीं, पांच से नौ साल तक के बच्चों के सिर पर स्पोर्ट्स इंजरी होती है (9)।
हेड इंजरी के बाद उसका निदान करने के तरीकों के बारे में समझिए।
बच्चों के सिर की चोट का परीक्षण
बच्चों के सिर की चोट का परीक्षण करने के लिए क्या कुछ किया जाता है, यह हम आपको लेख में आगे विस्तार से समझा रहे हैं (7) (10) (11)।
- कुछ सवालों के जवाब : सिर पर लगी चोट के परीक्षण के लिए सबसे पहले डॉक्टर उससे जुड़े कुछ सवाल करते हैं। जैसे चोट किस तरह से लगी, चोट लगने के बाद बच्चा कितनी देर तक बेहोश रहा, अगर खून बहा है, तो कितनी देर तक बहा। फिर डॉक्टर चोट वाली जगह, गर्दन और आसपास लगे निशान व नील को देखते हैं। इन सबके बाद डॉक्टर बच्चे को आंखें खोलने व बंद करने के लिए कह सकते हैं। इन सारी बातों को समझने के बाद चोट की गंभीरता के हिसाब से कुछ टेस्ट के बारे में डॉक्टर कह सकते हैं, जिनके बारे में आगे बताया गया है।
- सीटी स्कैन : कंप्यूटेड टोमोग्राफी यानी सीटी स्कैन से बच्चे के सिर की चोट की गंभीरता का पता लगाया जाता है। इस टेस्ट को हेड इंजरी का पता लगाने में सक्षम माना जाता है।
- एमआरआई : सीटी स्कैनिंग की तुलना में मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग यानी एमआरआई सिर की छोटी-से-छोटी चोट का पता लगाने में सक्षम होती है। इससे हेमरेज, कंट्यूशन (नील, रक्त वाहिकाओं और कोशिकाओं को हुई क्षति), एक्सोनल इंजरी (स्कल संबंधी चोट) का आसानी से पता लगाया जा सकता है। कई मामलों में एमआरआई के साथ ही सीटी स्कैन करने की सलाह भी डॉक्टर देते हैं।
- स्कल एक्स-रे : स्कल यानी हड्डी की संरचना से जुड़े एक्स-रे से फ्रैक्चर, मस्तिष्क के अंदरूनी घाव, सेरेब्रल एडिमा यानी मस्तिष्क संबंधी सूजन और अन्य परेशानियों का पता लगाया जा सकता है। डॉक्टर सीटी स्कैन और स्कल एक्स-रे दोनों एक साथ करवाने की भी सलाह दे सकते हैं।
- ईईजी : इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी यानी ईईजी से भी मस्तिष्क संबंधी परेशानी का पता लगाया जाता है। खासकर, दर्दनाक ब्रेन इंजरी के बाद मस्तिष्क की कार्यप्रणाली सही है या नहीं, इसे देखने के लिए ईईजी की जाती है। इसे विद्युतमस्तिष्कलेखन भी कहा जाता है। इस दौरान स्कैल्प पर कुछ चिपचिपा पदार्थ (इलेक्ट्रोड) लगाकर कंप्यूटर के माध्यम से एक रिपोर्ट निकाली जाती है, जिसमें लाइन-लाइन बनी होती हैं। इसी से समझा जाता है कि मस्तिष्क की गतिविधि असामान्य है या नहीं।
आगे हम बच्चों के सिर की चोट से जुड़ी कॉम्प्लिकेशन की जानकारी दे रहे हैं।
बच्चों में सिर की चोट से होने वाली जटिलताएं
बच्चों के सिर में चोट लगने के कारण उन्हें कई तरह की जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। खासकर, तब जब सिर की चोट गंभीर हो। यह जटिलताएं कुछ इस प्रकार हो सकती हैं (9)।
- दौरे पड़ना
- बोलने में समस्या
- हाथ-पैरों में कमजोरी
- सुनने या दृष्टि में परिवर्तन
- थर्ड नर्व पाल्सी (पलकों का आधा या पूरी तरह बंद होना )
- बिहेवियर डिसऑर्डर (व्यवहार संबंधी विकार), जिससे स्कूल परफॉर्मेंस में बाधा आए
लेख में आगे बढ़ते हुए पढ़िए सिर की चोट का इलाज कैसे किया जाता है।
बच्चों के सिर की चोट का इलाज | Baccho Ke Sir Me Chot Lagne Ka Ilaj
बच्चों को हेड इंजरी होने पर उसकी गंभीरता को मद्देनजर रखते हुए निम्नलिखित तरीकों से इलाज किया जा सकता है (12)।
- बर्फ की सिकाई
- आराम
- एंटीबायोटिक
- मरहम-पट्टी
- टांके लगना
- सर्जरी
अब उन तरीकों पर नजर डालते हैं, जिनकी मदद से सिर की चोट से बचा जा सकता है।
बच्चों के सिर की चोट का बचाव कैसे करें?
यूं तो सभी सिर की चोटों से बचना मुमकिन नहीं होता है। हां, कुछ बातों का ध्यान रखकर और उन पर अमल करके बच्चों को सुरक्षित रखा जा सकता हैं। ये बातें कुछ इस प्रकार हैं (1) (12)।
- बच्चे जब भी ऐसी गतिविधियों में हिस्सा लें, जिससे सिर में चोट लग सकती है, तो उन्हें सुरक्षा संबंधी उपकरण जरूर पहनाएं। इसमें साइकिल और क्रिकेट खेलते समय हेलमेट, हार्ड हैट शामिल हैं।
- साइकिल चलाते समय सुरक्षा संबंधी नियमों का पालन करना सिखाएं।
- खेल की तकनीक सही रखना सुनिश्चित करें।
- बच्चे कार चलाना सीख रहे हैं, तो सीट बेल्ट जरूर पहनाएं।
आगे पढ़ें सिर की चोट के संबंध में चिकित्सक के पास कब जाना चाहिए।
डॉक्टर से कब परामर्श करें
बच्चों के सिर की चोट को लेकर डॉक्टर से किन स्थितियों में संपर्क करना चाहिए, यह हम लेख के इस भाग में कुछ बिंदुओं के माध्यम से बता रहे हैं (1)
- चोट लगने के बाद बहुत नींद आने लगना
- व्यवहार का असामान्य होना या अर्थहीन बातें करना
- गंभीर सिरदर्द या गर्दन की तरफ कठोरता का एहसास
- दौरे पड़ना
- आंखों के बीच के मध्य गहरे भाग के आकार का असामान्य होना
- हाथ या पैर हिलाने में असमर्थता
- चेतना का खोना, भले ही कुछ क्षण के लिए ही क्यों न हो
- एक से अधिक बार उल्टी होना
- सिर या चेहरे से खून बहना
- व्यक्ति का भ्रमित, थका हुआ या बेहोश होना
- सांसों का उखड़ना
- सिर या गर्दन की गंभीर चोट
अब आप समझ ही गए होंगे कि सिर की चोट क्या है और हेड इंजरी होने पर किस तरह के लक्षण नजर आते हैं। अगर कभी बच्चे को अंदरूनी सिर की चोट लग जाए, तो लेख में बताए गए हेड इंजरी के लक्षण से उसका आसानी से पता लगाया जा सकता है। साथ ही यहां हमने ब्रेन इंजरी का पता लगाने वाले टेस्ट के बारे में भी बताया है, जिनकी मदद से सिर की चोट की गंभीरता स्पष्ट हो सकती है। सिर की हल्की चोट तो खुद-ब-खुद ठीक हो जाती है, लेकिन किन स्थितियों में डॉक्टर के पास जाना अनिवार्य है, यह भी हम ऊपर बता ही चुके हैं। बस तो खुद भी सतर्क रहें और बच्चों को भी खेलते समय सतर्क रहने के लिए कहें।
References
1. Head injury – first aid By Medlineplus
2. Pediatric Head Injury: A Study of 403 Cases in a Tertiary Care Hospital in a Developing Country By NCBI
3. TYPES OF SKULL FRACTURE By Researchgate
4. Skull Fracture By Science Direct
5. Head Trauma By NCBI
6. Head Injuries By Medlineplus
7. Current Approaches to the Treatment of Head Injury in Children By Science Direct
8. Percent Distributions of TBI-related Hospitalizations by Age Group and Injury Mechanism — United States, 2006–2010 By CDC
9. Effects of Pediatric Head Trauma for Children, Parents, and Families By NCBI
10. HEAD INJURIES IN CHILDREN : ROLE OF X-RAY SKULL, CT SCAN BRAIN AND IN-HOSPITAL OBSERVATION By NCBI
11. Traumatic brain injury: An EEG point of view By NCBI
12. Cerebral Concussion: Causes, Effects, and Risks in Sports By NCBI
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