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बच्चों को हल्का-फुल्का बुखार होना स्वाभाविक है, क्योंकि बाल्यावस्था में बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और वो आसानी से संक्रमण के चपेट में आ जाते हैं। वहीं, कई बार यह बुखार माता-पिता के लिए चिंता का विषय बन जाता है। बुखार का ज्यादा दिनों तक बना रहना घातक परिणाम दे सकता है।

मॉमजंक्शन के इस खास लेख में जानिए बच्चों में बुखार के कारण, लक्षण और इससे निजात पाने के सटीक उपाय व सावधानियां। सबसे पहले हम बच्चे के शरीर के तापमान के बारे में जानते हैं।

आइए, सबसे पहले जानते हैं बच्चे के शरीर के सामान्य तापमान के बारे में।

बच्चे के शरीर का सामान्य तापमान क्या होता है?

एक शिशु के शरीर का सामान्य तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइट होता है, लेकिन समय के अनुसार यह कम-ज्यादा होता रहता है। जैसे रात दो से सुबह चार बजे के बीच तापमान कम होता है, वहीं दोपहर के बाद तापमान सुबह की तुलना में बढ़ जाता है। बच्चों को ज्यादा कपड़े पहना देने से भी उनके शरीर का तापमान बढ़ जाता है। वहीं, गर्मियों के दौरान खेलने-कूदने से भी तापमान बढ़ता है (1)

आगे जानते हैं कि बच्चों के तापमान की जांच किस प्रकार करें।

बच्चों में तापमान की जांच कैसे करें?

जैसा कि हमने ऊपर बताया कि बच्चे का सामान्य तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइट होता है। उनमें बुखार की स्थिति तब बनती है जब शरीर का तापमान 100 डिग्री फारेनहाइट या उससे अधिक हो जाता है (1)। आपको बता दें कि बच्चे के शरीर के तापमान को मापने के कई तरीके हैं, जिसके आधार पर बुखार का पता लगाया जा सकता है। नीचे जानिए शिशु में बुखार की जांच करने के विभिन्न तरीकों के बारे में ( (2), (3)) –

1. रेक्टल टेस्ट

इस विधि के अंतर्गत डॉक्टर बच्चे के रेक्टम (मलाशय) में थर्मामीटर (1/2 से 1 इंच) डालकर जांच करते हैं। इस जांच के लिए अलग से रेक्टल थर्मामीटर आते हैं। इस बात का पूरा ध्यान रखा जाता है कि बच्चे को कोई तकलीफ न हो। यह जांच घर में न करें।

2. एक्सिलरी टेस्ट

Axilary Test
Image: Shutterstock

यह जांच का सबसे आसान तरीका है, जिसके अंतर्गत थर्मामीटर को लगभग 4-5 मिनट तक बच्चे के बगल में रखकर बुखार की जांच की जाती है।

3. ओरल (मुंह)

Oral
Image: Shutterstock

इस विधि के अंतर्गत थर्मामीटर बच्चे के जीभ के नीचे तीन से चार मिनट तक रखकर बुखार की जांच की जाती है। यह केवल छह साल से ऊपर के बच्चों के लिए है।

4. टिंपैनिक (कान)

Tampany
Image: Shutterstock

यह इलेक्ट्रिक इयर थर्मामीटर होता है, जिसका इस्तेमाल कान के माध्यम से बुखार की जांच करने के लिए किया जाता है।

5. टेम्परल आर्टरी (माथा)

Temporal artery
Image: Shutterstock

माथे के जरिए बुखार जांचने के लिए भी अलग से फोरहेड स्ट्रीप थर्मामीटर आते हैं। इसे सिर्फ एक मिनट तक माथे से लगाए रखना होता है।

आगे जानिए बच्चों में बुखार के कारण क्या-क्या हो सकते हैं।

बच्चों में बुखार के कारण

जैसा कि हमने पहले बताया कि बाल्यावस्था में बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, इसलिए वो आसानी से संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। ये संक्रमण शिशुओं में बुखार का कारण बनते हैं। नीचे जानिए बच्चों में बुखार आने की कुछ आम वजहों के विषय में :

1. वायरल संक्रमण : वायरल संक्रमण बच्चों में बुखार का कारण बन सकते हैं। जैसे मलेरिया व फ्लू आदि (4)

2. बैक्टीरियल संक्रमण : जीवाणुओं के संपर्क में आने से बच्चे बैक्टीरियल संक्रमण का शिकार हो सकते हैं, जिससे बुखार की स्थिति पैदा हो सकती है। इसमें रक्त संक्रमण, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन और मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी में तरल संक्रमण आदि शामिल हैं (5)

3. टीकाकरण : टीकाकरण के कुछ समय बाद बच्चों को बुखार आ सकता है। इसे वैक्सीनेशन के दुष्प्रभावों के रूप में भी उल्लेख किया जाता है (6)

4. ओवरड्रेसिंग: बच्चों को ज्यादा कपड़े पहनाने से भी शरीर का तापमान बढ़ सकता है (1)

5. निर्जलीकरण : डायरिया और उल्टी के कारण बच्चों के शरीर से अत्यधिक मात्रा में तरल निकल जाता है, जिससे डिहाइड्रेशन का खतरा बन जाता है। डिहाइड्रेशन बच्चों में बुखार का कारण बन सकता है (7)

6. नए दांत आना – नए दांत आने के दौरान भी बच्चे को बुखार आ सकता है। इसके अलावा सनबर्न, सनस्ट्रोक या त्वचा सबंधी रोग जैसे हाइव्स से भी बच्चा बुखार की चपेट में आ सकता है (8)

आगे जानिए बच्चों में बुखार के लक्षण के बारे में।

बच्चों में बुखार के लक्षण

निम्नलिखित लक्षणों द्वारा आप अपने नन्हे शिशु में बुखार की पहचान कर सकते हैं ( (8), (9)) :

  • माथा और गले का अत्यधिक गर्म होना।
  • कंपकंपी होना।
  • चेहरा लाल हो जाना।
  • दांत कटकटाना।
  • पसीना आना।
  • बच्चा के चेहरे पर थकावट दिखना आदि।

अब जानिए कि बच्चों में बुखार का इलाज किस प्रकार किया जा सकता है।

बच्चों के बुखार का इलाज | Bachon Ke Bukhar Ka Ilaj

बच्चे में बुखार की पहचान करने के बाद बुखार का सटीक इलाज करना बहुत जरूरी है। थोड़ी लापरवाही भी बच्चे के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। नीचे हम कुछ जरूरी इलाज और सावधानियां बता रहे हैं, जिनका पालन कर आप अपने बच्चे के बुखार का इलाज कर सकते हैं ( (9), (10)) :

  • बच्चे को ज्यादा कपड़े न पहनाएं और कंबल से न ढकें, क्योंकि ऐसा करने से बुखार कम भी हो सकता है और बढ़ भी सकता है। बच्चे को हल्के कपड़े पहनाएं और एक हल्की चादर से शरीर को ढकें।
  • ‘टाइलेनॉल’ और ‘इबुप्रोफेन’ दवा बच्चे को दे सकते हैं, लेकिन दवा देने से पहले डॉक्टर से एक बार पूछ जरूर लें।
  • बच्चे को गुनगुने पानी से नहला सकते हैं या स्पंज बाथ कर सकते हैं। गलती से भी बच्चे को ठंडे पानी या बर्फ के पानी से स्नान न कराएं। अगर बच्चा बुखार की दवाई ले रहा है, तो गुनगुने पानी से स्नान करने से बुखार कम हो सकता है।
  • बच्चे को बीच-बीच में पानी पिलाते रहें, जिससे बच्चा हाइड्रेट रहे।
  • अगर बच्चा तीन महीने से कम का है, तो उसे जल्द डॉक्टर के पास ले जाएं।
  • बच्चे के सुस्त दिखने पर, खाना न खाने पर और पेशाब कम करने पर भी तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

लेख में आगे बच्चों को दी जाने वाली बुखार की दवा के बारे में बताया गया है।

बच्चे को बुखार की दवा | Bacho Ki Bukhar Ki Dawa

बुखार के दौरान आप बच्चे को नीचे बताई जा रही दवाइयां दे सकते हैं (11) :

  • बुखार के दौरान आप बच्चे को पेरासिटामोल और इबुप्रोफेन जैसी दवा डॉक्टरी परामर्श पर दे सकते हैं।
  • अगर बच्चे के बुखार की वजह जीवाणु संक्रमण है, तो आप डॉक्टर की सलाह से एंटीबायोटिक दवा बच्चे को दे सकते हैं, लेकिन यह डॉक्टर के कहने पर ही दें।
  • दवा देने से पहले अच्छा होगा कि आप बच्चे को क्लिनिक ले जाएं और अच्छी तरह जांच कराएं।

बच्चे का बुखार उतारने के लिए आप घरेलू उपचार का सहारा भी ले सकते हैं। आगे हम कुछ चुनिंदा घरेलू नुस्खे बता रहे हैं, जिनका प्रयोग आप कर सकते हैं (12)

  • बच्चे का बुखार उतारने के लिए आप साफ तौलिये को ठंडे पानी में भिगोकर बच्चे के माथे पर कुछ सेकंड के लिए बार-बार रख सकते हैं। बच्चे को हल्के कपड़े पहनाएं और खिड़कियां खोल दें, ताकि बच्चे को ताजी हवा मिल सके।
  • आप गुनगुने पानी में भीगे दो तौलिये बच्चे के दोनों पैरों पर लपेट सकते हैं। फिर इन्हें सूखे तौलिये से ढक दें। लगभग 10-20 मिनट तक तौलिये बंधे रहने दें। इस प्रक्रिया से भी बच्चे का बुखार उतर सकता है।

नोट – अगर बच्चे का शरीर बुखार के दौरान ठंडा रहता है, तो ये उपाय न करें।

  • बच्चे को पानी पिलाते रहें, जिससे बच्चा हाइड्रेट रहे। जैसा कि हमने पहले भी बताया था कि डिहाइड्रेशन से भी बच्चे को बुखार हो सकता है।
  • बच्चे को ज्यादा से ज्यादा आराम कराएं। कुछ ऐसा न करें, जिससे बच्चा असहज महसूस करे।

आगे जानिए, बुखार वाले बच्चों को क्या-क्या खिलाना चाहिए।

बुखार वाले बच्चे को क्या खिलाएं | Bache Ko Bukhar Me Kya Khilaye

बुखार के दौरान शरीर में ऊर्जा को बनाए रखने के लिए बच्चों को संतुलित आहार देना बहुत जरूरी है। नीचे जानिए कि बुखार से पीड़ित बच्चे को आप क्या-क्या खिला सकते हैं (10)

  • बच्चे को आप रोजाना की तरह साधारण भोजन दे सकते हैं। अगर वह खाने से इंकार करे, तो उसके साथ जबरदस्ती न करें।
  • बच्चे को ज्यादा फल न खिलाएं और न ही ज्यादा जूस पिलाएं। आप एक गिलास में आधा पानी और आधा जूस मिलाकर बच्चे को दे सकते हैं।
  • अगर बच्चे को बुखार के दौरान उल्टी आती है, तो आप बच्चे को जिलेटिन खिला सकते हैं।
  • आप बच्चे को आटे से बने ब्रेड और पास्ता भी खिला सकते हैं। ओटमिल भी बच्चे के लिए अच्छा विकल्प हो सकता है।

लेख के अगले भाग में बच्चों को बुखार से बचाने के कुछ टिप्स दिए गए हैं।

बच्चों को बुखार से कैसे बचाएं?

यहां हम कुछ जरूरी टिप्स दे रहे हैं, जो बच्चों को घातक बुखार से बचाए रखने में मदद करेंगे :

स्वच्छता बनाए रखें : बच्चे के आसपास वातावरण को साफ रखें और उनकी वस्तुओं को नियमित रूप से धोएं। बच्चे कई बार अपने मुंह में चीजें डालते हैं, जिससे बैक्टीरिया उनके शरीर में दाखिल हो जाते हैं। जो भी बच्चे की देखभाल करे, वह स्वंय को जरूर साफ रखें। बच्चे को उन व्यक्तियों के पास न जाने दें, जो सर्दी या किसी अन्य संक्रमण से पीड़ित है।

हाइजेनिक भोजन : बच्चों के लिए भोजन बनाने से पहले सब्जियों और अन्य खाद्य सामग्रियों को अच्छी तरह धोकर साफ कर लें। बच्चे को बासी खाना न खिलाएं। बच्चे को हमेशा ताजे फल ही खिलाएं। भोजन कराने से पहले अपने और बच्चे के हाथों व मुंह को अच्छी तरह धोएं। बच्चे का पानी फिल्टर होना चाहिए, सीधे नल का पानी बच्चे को न दें।

बच्चे को हाइड्रेट रखें : बच्चे के शरीर में तरल कम न हो, इसलिए बच्चे को पर्याप्त मात्र में पानी और जूस पिलाते रहें। उन फलों का सेवन कराएं, जिसमें अत्यधिक पानी हो।

मेडिकल टेस्ट – बच्चे को समय-समय पर डाक्टर के पास मेडिकल टेस्ट के लिए ले जाएं।

टीकाकरण – बच्चे को संक्रमण से बचाए रखने के लिए जरूरी टीकाकरण भी करवाएं।

इस विषय पर और जानकारी के लिए पढ़ते रहें यह लेख।

बच्चों को बार-बार बुखार क्यों आता है? | Bache Ko Bar Bar Bukhar Hona

बाल्यावस्था में बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता विकास की प्रक्रिया में होती है, यानी वो रोगाणुओं के खिलाफ लड़ने में ज्यादा सक्षम नहीं होती हैं, इसलिए बच्चे अधिक बीमार पड़ते हैं। रोगों के खिलाफ इम्यूनिटी को मजबूत होने में लंबा समय लगता है। एक रिपार्ट के अनुसार बच्चों के आसपास कोल्ड से जुड़े लगभग 200 वायरस घूमते हैं, जो किसी भी वक्त बच्चे को संक्रमित कर सकते हैं (13)

शिशु के बुखार के लिए डॉक्टर को कब बुलाएं?

निम्नलिखित अवस्थाओं में बच्चे को सीधा डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए (10) :

  • बुखार का ज्यादा दिनों तक रहना।
  • बुखार उतरने के बाद भी बुखार के लक्षण दिखना।
  • रोते समय बच्चे के आंसू न निकलना।
  • अगर 8 घंटे से बच्चे ने पेशाब न किया हो।
  • 3 महीने से कम उम्र के बच्चे का रेक्टल तापमान 100.4 डिग्री फारेनहाइट (38°C) या इससे अधिक होना।
  • 3 महीने से लेकर 1 साल के बच्चे का तापमान 100.4 डिग्री फारेनहाइट (38°C) या अधिक होना।
  • अगर 2 साल से कम उम्र के बच्चे का बुखार 48 घंटे के अंदर नहीं उतरता है।
  • बुखार का 105 डिग्री फारेनहाइट (40.5°C) से ज्यादा होना।
  • एक हफ्ते तक बुखार का आना-जाना लगा रहना।
  • बुखार के साथ गले में खराश, कान का दर्द, दस्त, उल्टी या खांसी जैसे लक्षण दिखना।
  • बुखार के साथ गंभीर बीमारी के लक्षण जैसे हृदय की समस्या व एनीमिया आदि।
  • अगर बच्चे का रोना बंद नहीं होता है।
  • चलने में परेशानी होना।
  • सिर दर्द की शिकायत आदि।

शिशुओं का बुखार आपके लिए चिंता का विषय बन सकता है, लेकिन इसमें घबराने की कोई बात नहीं हैं। कुछ बुखार सामान्य होते हैं, जो आते-जाते रहते हैं, लेकिन आप बच्चों का ध्यान रखने में कोई कोताही न बरतें। बुखार के अधिक होने या अन्य कोई लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। लेख में बताए गई सावधानियां और इलाज का जरूर पालन करें। ध्यान रखें कि आप जितना जागरूक रहेंगे, आपका शिशु उतना ही बीमारियों से दूर रहेगा।

References

1. Caring for a child with fever By gov.mb.ca
2. Temperature measurement in paediatrics By ncbi
3.Temperature measurement By medlineplus
4.Fever By medlineplus
5. Detecting bacterial infections in newborns By nih
6. Vaccine Side Effects By vaccines
7. Pediatric Dehydration By ncbi
8. Fever in children: Overview By ncbi
9. Fever – children By betterhealth
10. When your baby or infant has a fever By medlineplus
11. Fever in children By health.vic
12. Fever in children: How can you reduce a fever? By ncbi
13. If my child gets sick too often? By edu

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