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गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ रहने से गर्भवती महिला और होने वाले शिशु को कई तरह की जटिलताओं से बचाया जा सकता है। फिर भी कुछ शिशु ऐसे विकारों से साथ जन्म लेते हैं, जिनका गर्भावस्था और महिला के स्वास्थ्य से कोई संबंध नहीं होता है। ऐसा ही एक विकार है टंग टाई, जिसे चिपकी हुई जीभ भी कहा जाता है। अधिकतर लोगों को इस विषय में ज्यादा जानकारी नहीं होती है। इसलिए, मॉमजंक्शन के इस लेख में हम इस बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने की कोशिश करेंगे। यहां जानिए कि टंग टाई क्या है। साथ ही जानिए उसके कारण, लक्षण और इलाज से संबंधित जानकारी।

लेख की शुरुआत यह बताने से करते हैं कि चिपकी हुई जीभ क्या होती है।

टंग टाई (चिपकी हुई जीभ) क्या है? | Tongue Tied Meaning In Hindi

आसान भाषा में चिपकी हुई जीभ वह स्थिति होती है, जब शिशु की जीभ के नीचे मौजूद टिश्यू का एक छोटा-सा भाग मुंह के निचले हिस्से से जुड़ा होता है। इसके कारण वह जीभ को पूरी तरह हिला नहीं पाता।

दरअसल, हमारे शरीर में फ्रेनुला (frenula) नाम के कुछ टिश्यू होते हैं, जो जीभ के नीचे, गाल, ऊपरी होंठ के नीचे, आदि भागों में पाए जाते हैं। भ्रूण के विकास के दौरान ये टिश्यू मुंह के विकास में मदद करते हैं और जन्म के बाद इनका अक्सर कोई काम नहीं होता।

जीभ के नीचे पाए जाने वाले इन टिश्यू को लिंगुअल फ्रेनम कहा जाता है। कुछ मामलों में यह लिंगुअल फ्रेनम पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता, जिस कारण शिशु को जीभ हिलाने और उपयोग करने में समस्या आने लगती है (1)मेडिकल भाषा में इस समस्या को एंकलोग्लोसिया (Ankyloglossia) कहा जाता है (2) इस समस्या से लगभग 4 से 10 प्रतिशत नवजात ग्रसित हो सकते हैं, जिसमें लड़कों की संख्या लड़कियों से दो गुनी हो सकती है (3)

लेख के अगले भाग में हम इस समस्या के विभिन्न प्रकारों के बारे में बताएंगे।

टंग टाई के प्रकार

माना जाता है कि टंग टाई दो प्रकार के हो सकते हैं (4):

  • एंटेरियर टाई : इस प्रकार में जीभ के नीचे का चिपका हुआ हिस्सा भी मुंह खोलने पर आसानी से दिख जाता है। इसमें आमतौर पर जीभ की टिप जुड़ी होती है।
  • पोसटेरियर टाई : इस प्रकार का आसानी से पकड़ में आना मुश्किल है। इसमें लिंगुअल फ्रेनम का आकार छोटा, मोटा और असामान्य होता है।

आगे जानिए क्या हो सकते हैं टंग टाई के कारण।

बच्चों में चिपकी हुई जीभ के कारण

बच्चों में चिपकी हुई जीभ के मुख्य रूप से दो कारण हो सकते हैं (1) :

  • लिंगुअल फ्रेनुम बहुत छोटा और टाइट है।
  • शिशु के जन्म के बाद भी लिंगुअल फ्रेनुम उसकी जीभ की टिप से ही जुड़ा है।
  • कुछ मामलों में यह आनुवंशिक भी हो सकता है (5)

लेख के अगले भाग में हम बताएंगे कि बच्चों में चिपकी हुई जीभ के क्या लक्षण हो सकते हैं।

बच्चों में चिपकी हुई जीभ के लक्षण

बच्चों में चिपकी हुई जीभ के लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं (1) :

  • जीभ होंठ से आगे नहीं आ पाती।
  • जीभ मुंह के ऊपरी भाग को नहीं छू पाती है।
  • जुबान मुंह के अंदर दोनों ओर नहीं छू पाती है।
  • मुंह खोल कर जीभ निकालने पर वह जीभ की नोक नुकीली दिखने की जगह सपाट या चौकोर दिख सकती है।
  • जीभ की टिप दिल के आकार (heart shaped) की दिख सकती है।
  • निचली जबड़े के सामने के दांतों में गैप हो सकता है।

आइए, अब जानते हैं कि डॉक्टर टंग टाई के बारे में पता कैसे लगाते हैं।

बच्चों में चिपकी हुई जीभ का निदान

डॉक्टर चिपकी हुई जीभ के निदान की सलाह तब तक नहीं देते, जब तक कि शिशु को स्तनपान करने में समस्या न आ रही हो। माना जाता है कि अगर मां को दो-तीन से ज्यादा दिन तक स्तनपान विशेषज्ञ से परामर्श लेना पड़े, तो डॉक्टर टंग टाई का चेकअप करवाने की सलाह देते हैं (2) नवजात शिशु में इसके निदान की प्रक्रिया कुछ अलग होती है। इस प्रक्रिया को हेजलबेकर असेसमेंट टूल भी कहा जाता है (7)। यह नीचे बताए गए तरीके से काम करता है (2)

  • एनाटॉमी : इसमें यह देखा जाता है कि जुबान को उठाने पर वह कैसी दिख रही है, लिंगुअल फ्रेनम की लंबाई कितनी है, उसे कितना ऊपर तक खींचा जा सकता है और जुबान फ्रेनम से कितनी जुड़ी हुई है।
  • फंक्शन : इसमें जुबान की कार्यप्रणाली को देखा जाता है। जुबान की लंबाई, बाहर कितनी आ रही है, कितनी फैल पा रही है आदि।

निदान के बाद, आइए बात करते हैं चिपकी हुई जीभ के इलाज के बारे में।

बच्चों में चिपकी हुई जीभ का इलाज

ऊपर हमने इस समस्या के दो प्रकार बताए हैं और दोनों को सर्जरी के जरिए ठीक किया जा सकता है। इस टंग टाई सर्जरी को फ्रेनुलोटॉमी (frenulotomy) कहा जाता है। इस प्रक्रिया में जीभ के चिपके हुई हिस्से को काट कर रीलीज किया जाता है (2)। यह सर्जरी ज्यादा बड़ी नहीं होती और इसे डे केयर सर्जरी की तरह किया जा सकता है।

वहीं, डॉक्टरों का कहना है कि छोटे बच्चों में फ्रेनुलोटॉमी करना पर्याप्त हो सकता है, लेकिन बड़े बच्चों में फ्रेनुलम का मोटा होने की वजह से फ्रेनुप्लास्टी (frenuloplasty) की जाती है।

लेख के अगले भाग में जानिए इस समस्या के कारण क्या जटिलताएं हो सकती हैं।

बच्चों में चिपकी हुई जीभ की जटिलताएं

चिपकी हुई जीभ का समय रहते इलाज न करवाने से भविष्य में नीचे दी गई समस्याएं हो सकती हैं।

इस दौरान शिशु के मौखिक विकास में समस्या हो सकती है, जैसे उसे खाने, बोलने या निगलने में समस्या हो सकती है। ऐसी ही समस्याओं के बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है (6):

  • शिशु को स्तनपान में समस्या हो सकती है। जीभ की मूवमेंट ठीक तरह से न होने के कारण वह निप्पल को सक करने की जगह चबाने की कोशिश करने लग सकता है।
  • कुछ शब्दों को बोलने में समस्या होना जैसे ल, र, ट, ड, न, ज, थ और श। इसके साथ बच्चे को अंग्रेजी के कुछ शब्द जैसे L, R, T, D, N, Z और S बोलने में भी समस्या हो सकती है।
  • आइसक्रीम जैसी चीजों को जीभ से चाटने में समस्या हो सकती है।
  • कुछ वाद्य-यंत्र बजाने में मुश्किल होना, जैसे बांसुरी व ट्रम्पलेट्स आदि।
  • दांतों के अलाइनमेंट में दिक्कत हो सकती है।
  • जीभ की मूवमेंट ठीक तरह से न होने से बड़े बच्चों को खाने को निगलने में समस्या हो सकती है। ऐसे में, खाने को ज्यादा देर तक मुंह में रखने से दांतों में कैविटी हो सकती है।
  • यह बच्चों के दांतों के बीच गैप का कारण भी बन सकता है।

आइए, अब बात करते हैं कि बच्चों को टंग टाई से कैसे बचाया जा सकता है।

बच्चों को टंग टाई से कैसे बचाएं

फिलहाल, बच्चों की चिपकी हुई जीभ के पीछे ऐसा कोई कारण मौजूद नहीं है, जिसे रोका जा सके। इसलिए, यह कहना गलत होगा कि कोई भी उपाय करने से बच्चे को टंग टाई से बचाया जा सकता है।।

लेख के अगले भाग में जानिए टंग टाई सर्जरी की रेट के बारे में।

भारत में टंग टाई सर्जरी के लिए कितना खर्च लगता है?

भारत में टंग टाई की सर्जरी पर लगभग 5 हजार रुपये से लेकर 10 हजार रुपये तक का खर्चा हो सकता है। यह कीमत शहर और हॉस्पिटल के अनुसार अलग-अलग हो सकती है।

लेख के आखिरी भाग में जानिए कि किस अवस्था में डॉक्टर के पास चेकअप के लिए जाना चाहिए।

डॉक्टर के पास कब जाएं?

अगर आपको बच्चे में टंग टाई के लक्षण जैसे स्तनपान में तकलीफ या जीभ को हिलाने में मुश्किल होने जैसी समस्याएं दिखती हैं, या इससे होने वाली जटिलताओं के शुरूआती लक्षण होने पर तुरंत इस बारे में बाल विशेषज्ञ या इएनटी (ENT specialist) से सलाह लें।

इस आर्टिकल से यह तो स्पष्ट होता है कि शिशु में टंग टाई होने का पहले से अनुमान लगाना मुश्किल है। साथ ही टंग टाई से बचाव के लिए भी कोई उपाय भी नहीं है, लेकिन समय रहते इसका निदान और जरूरी इलाज करवाने से इसके कारण होने वाली जटिलताओं से बचा जरूर जा सकता है। उम्मीद करते हैं लेख में बताई गई जानकारी आपके लिए लाभदायक रही होगी। अगर आपके संपर्क में किसी के बच्चे के साथ ऐसी समस्या है, तो उसके साथ यह लेख जरूर शेयर करें। गर्भावस्था और बच्चों से जुड़े अन्य विषयों की जानकरी के लिए पढ़ते रहें मॉमजंक्शन।

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