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हर महिला मां बनना चाहती है, लेकिन कुछ महिलाओं को किसी कारणवश मातृत्व सुख नहीं मिल पाता। अगर आप भी उनमें से एक हैं, तो आपको निराश होने की जरूरत नहीं है। भले ही आप दुनिया में एक नया जीवन नहीं ला पाई हों, लेकिन आप एक बच्चे को नया जीवन जरूर दे सकती हैं। जी हां, आप मातृत्व का सुख बच्चा गोद लेकर भी हासिल कर सकती हैं। सरकार ऐसे बच्चे को गोद लेने का आपको अवसर देती है, जिन्हें प्यार, दुलार और अपनेपन की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। मॉमजंक्शन के इस लेख में हम आपको भारत में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया और इससे जुड़े सभी नियम व कानून बताएंगे।

सबसे पहले जान लेते हैं कि एक बच्चे को कब गोद लिया जा सकता है।

एक बच्चे को कब गोद लिया जा सकता है?

बच्चे को गोद लेकर उसे नई जिंदगी देना और उसका भविष्य संवारने से बढ़कर पुण्य का काम और कुछ नहीं हो सकता। अगर आप भी बच्चा गोद लेने के बारे में सोच रहे हैं, तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि किस बच्चे को आप गोद ले सकते हैं। नीचे हम आपको बताएंगे किन बच्चों को गोद लिया जा सकता है (1)

  • एक अनाथ, परित्यक्त (छोड़े हुए) व ऐसा बच्चा जिसे कानूनी रूप से गोद लेने के लिए बाल कल्याण समिति ने मुक्त घोषित किया हो।
  • किसी एक रिश्तेदार का बच्चा। यहां रिश्तेदार का मतलब पैतृक और मातृक पारिवारिक सदस्यों से है।
  • आप ऐसे बच्चे को भी गोद ले सकते हैं, जिन्हें उसके जैविक माता-पिता, सौतेले माता-पिता या दूसरी शादी होने पर छोड़ दिया गया हो।

आपको बच्चा गोद लेना है, तो पहले यह जान लेना जरूरी है कि इसके लिए आप पात्र हैं या नहीं। चलिए, जान लेते हैं कि भारत में बच्चा गोद लेने के पात्र कौन-कौन हो सकते हैं।

भारत में बच्चा गोद लेने के लिए कौन पात्र हैं?

भारत में कानूनी रूप से बच्चे को गोद लेने के लिए ये सब लोग पात्र हैं (2)

  • भारतीय निवासी
  • भारत में रहने वाले विदेशी (Overseas Citizenship of India)
  • एनआरआई/ओसीआई/विदेश में रहने वाले विदेशी
  • रिश्तेदार
  • सौतली मां या बाप

शिशु को गोद लेने की कुछ शर्तें भी हैं, जिनका पालन करना जरूरी है। आगे हम उसी बारे में बता रहे हैं।

माता-पिता द्वारा पूर्ण की जाने वाली सामान्य शर्तें क्या हैं?

भारत में कानूनी रूप से भारतीय नागरिक, एनआरआई और विदेशी नागरिक सभी बच्चे को गोद ले सकते हैं, लेकिन बच्चे को गोद लेने के लिए अनिवार्य पात्रता व कुछ शर्तों को पूरा करना जरूरी है। दत्तक माता-पिता (प्रोस्पेक्टिव अडॉप्टिव पेरेंट्स) के लिए सामान्य शर्तें कुछ इस प्रकार हैं (1) (3)

सामान्य पात्रता :

  • भारत में बच्चा गोद लेने के लिए वो सभी भावी दत्तक माता-पिता पात्र हो सकते हैं, जो मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से स्थिर हों।
  • भावी दत्तक माता-पिता यानी प्रोस्पेक्टिव अडॉप्टिव पेरेंट्स को आर्थिक रूप से संपन्न होना भी जरूरी है।
  • गोद लेने के इच्छुक माता-पिता को किसी तरह का गंभीर रोग या मौत का खतरा नहीं होना चाहिए।
  • दत्तक माता-पिता व गोद लिए जाने वाले बच्चे के बीच उम्र का अंतर 25 साल से कम नहीं होना चाहिए।

सामान्य शर्तों के साथ ही कुछ अन्य शर्तें भी आपको पूरी करनी होंगी, जिसके बारे में हम आपको बताएंगे।

विवाहित :

अगर आप विवाहित हैं, तो आपको इन पात्रता के स्तर पर भी खरा उतरना होगा।

  • 2 साल का स्थिर वैवाहिक संबंध (शादी)।
  • बच्चे को गोद लेने के लिए पति-पत्नी दोनों की सहमति होना भी अनिवार्य है।
  • विवाहित युगल की कुल आयु 110 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।

अविवाहित या अकेले (डिवॉर्सी) :

आप बिना विवाह किए ही या अपने जीवन साथी से अलग होने के बाद बतौर सिंगल पेरेंट बच्चे का भरण-पोषण करने के लिए उसे गोद ले रहे हैं, तो भी आपको इन शर्तों को पूरा करना जरूरी है।

  • एकल माता-पिता यानी सिंगल पेरेंट की आयु 55 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
  • अगर आपके दो या दो से कम बच्चे हैं, तो ही आप एक और बच्चे को गोद ले सकते हैं।
  • हालांकि, अगर आप स्पेशल चाइल्ड, रिश्तेदार का बच्चा या सौतेले बच्चे को गोद ले रहे हैं, तो आप तीन बच्चे होने के बावजूद भी एक और बच्चा ले सकते हैं।
  • अकेली महिला किसी भी लिंग के बच्चे को गोद ले सकती है।
  • अविवाहित, अकेला या तलाकशुदा पुरुष लड़की को गोद नहीं ले सकता।

ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत निवासी माता-पिता, एनआरआई, विदेशी, रिश्तेदारों और सौतेली मां या बाप सभी के लिए बच्चा गोद लेने की पात्रता एक ही है। बस भारत के अस्थायी निवासी (NRI) व विदेशी लोगों के लिए बच्चा गोद लेने से पहले, वो जिस भी देश में रहे हैं, वहां कम से कम उनका दो साल पूरे करना अनिवार्य है।

चलिए, अब भारत में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया के बारे में बात कर लेते हैं।

भारत में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया?

आप अगर एक ऐसे बच्चे को अपनाना चाहते हैं, जो दुर्भाग्यवश अपनों से बिछड़ गया हो या अनाथ हो, तो आपको बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया को जान लेना चाहिए। हम आपको नीचे सूचीबद्ध तरीके से बताएंगे कि कैसे आप बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया को पूरा कर सकते हैं (4)

  1. पंजीकरण : सबसे पहले आपको बच्चे को गोद लेने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। आप केंद्रीय संस्था सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी यानी कारा – CARA में पंजीकरण करवा सकते हैं। यह भारत सरकार द्वारा संचालित संस्था है, जो बच्चे को गोद लेने में लोगों की मदद करती है।
  1. दस्तावेज : पंजीकरण करने के बाद आपको इस प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए सभी जरूरी दस्तावेजों को अपलोड करना होगा। सभी दस्तावेजों की जानकारी इस लेख में आगे दी गई है।
  1. होम स्टडी (गृह अध्ययन) : आपके द्वारा पंजीकरण की प्रक्रिया पूर्ण करने और सभी जरूरी दस्तावेज अपलोड करने के बाद अपके घर की स्टडी की जाएगी, जिसे होम स्टडी कहा जाता है। इस दौरान स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी (SAA) द्वारा समाजसेवी को आपके घर की पूरी तरह स्टडी करके केयरिंग (रजिस्ट्रेशन पोर्टल) में रिपोर्ट जमा करेंगे।
  1. बच्चे का चुनाव : भावी दत्तक माता-पिता द्वारा भरे गए फॉर्म में भरी गई प्रीफ्रेंसिस व प्राथमिकताओं के आधार पर आपको गोद लेने के लिए कानूनी रूप से मुक्त बच्चे का प्रोफाइल दिखाया जाएगा। बच्चों की प्रोफाइल देखने के 48 घंटे के अंदर एक बच्चे को आपको रिसर्व करना होगा।
  1. चयनित बच्चे का मिलान : भावी दत्तक माता-पिता द्वारा बच्चे का चुनाव करने के बाद एडॉप्शन कमेटी चुने गए बच्चे का फोटो से मिलान करती है और गोद लेने के इच्छुक लोगों को जानकारी देती है। जब भावी दत्तक माता-पिता बच्चे को गोद लेने के लिए हामी भर देते हैं, तो स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी (SAA) कोर्ट में बच्चा गोद लेने से संंबंधित याचिका (अर्जी) डालती है, जिसमें सह याचिकाकर्ता बच्चे को गोद लेने वाले व्यक्ति होते हैं।
  1. कोर्ट आदेश : याचिक पर सुनवाई के बाद कोर्ट बच्चा गोद लेने से संबंधित आदेश जारी करता है। ऑर्डर के आठ दिन के अंदर एजेंसी जन्म प्रमाण पत्र व आदेश की कॉपी अदालत से लेकर बच्चे के दत्तक माता-पिता को सौंप देती है।

इंटर कंटरी एडॉप्शन – अंतर देश गोद लेने की प्रक्रिया

सबसे पहले तो आप जान लें कि आप धारा 56 (4) जेजे एक्ट के प्रावधानों के तहत ही बच्चे को गोद ले सकते हैं। इस एक्ट के तहत अन्य देश का नागरिक भी भारत आकर बच्चे को गोद ले सकता है। बच्चा गोद लेने के लिए आपको हेग (Hague) कंवेंशन के तहत अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) भी लेना अनिवार्य है। इस एनओसी को कारा जारी करती है, जो भारत सरकार द्वारा संचालित एक सेंट्रल अथॉरिटी है। यह बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया पर नजर रखती है (4)

  • इसके बाद ऑथराइज्ड फॉरन एडोप्शन एजेंसी (AFAA) के समाजसेवी आपके घर जाकर काउंसलिंग करने के साथ ही होम स्टडी रिपोर्ट (HSR) तैयार करते हैं।
  • फिर भावी दत्तक माता-पिता का कारा में AFAA द्वारा रजिस्ट्रेशन किया जाएगा।
  • रजिस्ट्रेशन और दस्तावेज अपलोड होने के बाद कारा अपनी तरफ से मंजूरी देगी।
  • इसके बाद कारा गोद लेने वालों को बच्चे के चुनाव के लिए निवेदन भेजेगा। बच्चे का चुनाव होने के बाद स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी (SAA) गोद लिए जाने वाले बच्चे को सुनिश्चित करेगा।
  • बच्चा सुनिश्चित होने के बाद कारा गोद लेने वाले को NOC देगा।
  • NOC मिलने के बाद कोर्ट में याचिका दाखिल होगी। कोर्ट के ऑर्डर के बाद सर्टिफिकेट, पासपोर्ट, बच्चे के लिए वीजा आदि का इंतजाम किया जाएगा।

अब लेख के अगले भाग में हम विशेष बच्चे की मांग के बारे में आपको जानकारी देंगे।

क्या किसी खास बच्चे का चुनाव किया जा सकता है?

आप गोद लेते समय किसी खास बच्चे के लिए नहीं पूछ सकते हैं। हां, आप अपनी प्राथमिकताओं (लिंग, धर्म, उम्र आदि) को बता सकते हैं कि किस प्रकार का बच्चा आपको चाहिए, जिसे रजिस्ट्रेशन फॉर्म में भरा जाता है। आप यह नहीं कह सकते हैं कि मेरे जैसे रंग का या मेरे जैसा दिखने वाले बच्चे को मुझे गोद लेना है। बच्चा गोद लेते समय आपके द्वारा फॉर्म में भरी गई प्राथमिकताओं के अनुसार ही बच्चा दिखाया जाएगा। जैसे फॉर्म में भरी गई उम्र, लिंग, राज्य (1)

अब हम भारत में बच्चा गोद लेने के कानून के बारे में जानेंगे।

भारत में बच्चे को गोद लेने के कानून क्या हैं?

भारत में बच्चे को गोद लेने के लिए वर्तमान में दो अधिनियम हैं। नीचे दिए गए इन दो एक्ट के तहत ही आप बच्चों को गोद ले सकते हैं (5) (4)

  1. हिंदू एडॉप्शन मेंटेनेंस, 1956 (HAMA) : यह अधिनियम केवल हिंदुओं से संबंधित है। इसके तहत हिंदू माता-पिता व अभिभावक एक बच्चे को दूसरे हिंदू माता-पिता को गोद दे सकते हैं। इस अधिनियम के तहत कोर्ट की अनुमति केवल तब आवश्यक होती है, जब बच्चे के माता और पिता की या तो मृत्यु हो जाती है या वो संन्यास ले लेते हैं। इसके अलावा, अगर मां-बाप ने बच्चे का परित्याग कर दिया है या कोर्ट बच्चे के मां-बाप दोनों को मानसिक रूप से अस्वस्थ करार कर देता है, तो भी बच्चे को गोद लेने के लिए न्यायालय से इजाजत लेनी होती है। इस एक्ट के तहत 15 साल तक के बच्चे को ही गोद लिया जा सकता है।
  1. जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन) एक्ट, 2015 : जुवेनाइल जस्टिस एक्ट एक सेक्यूलर यानी धर्मनिरपेक्ष अधिनियम है। इसके तहत विवाहित युगल या कोई अकेला व्यक्ति बच्चे को गोद ले सकता है। दूसरे देशों द्वारा भारतीय बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया भी इस अधिनियम के प्रावधानों और कारा CARA द्वारा बनाए गए नियमों के तहत ही पूरी की जाती है।

बच्चा गोद लेने से संबंधित कानून जानने के बाद चलिए अब बात करते हैं इस प्रक्रिया के लिए जरूरी दस्तावेजों की।

बच्चे को गोद लेने के लिए क्या दस्तावेज आवश्यक हैं?

बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया जानने के बाद अगर आपने बच्चा गोद लेने का पक्का मन बना लिया है, तो आपको अपने दस्तावेज भी तैयार रखने होंगे। बच्चा गोद लेते समय नीचे दिए गए कागजातों की जरूरत पड़ेगी (6)

  • बच्चे को गोद लेने वाले पति-पत्नी, व्यक्ति व परिवार की वर्तमान तस्वीर।
  • भावी दत्तक माता-पिता का पैन कार्ड।
  • बच्चे को गोद लेने वाले माता-पिता का जन्म प्रमाण पत्र या जन्म तिथि साबित करने वाले अन्य दस्तावेज।
  • निवास प्रमाण पत्र (आधार कार्ड, वोटर कार्ड, पासपोर्ट, वर्तमान बिजली बिल)।
  • आय का प्रमाण (वेतन पर्ची, सरकार विभाग द्वारा जारी आय प्रमाण पत्र, आयकर रिटर्न)।
  • डॉक्टर से मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट। विवाहित जोड़ा अगर बच्चे को गोद ले रहा है, तो दोनों आवेदकों का मेडिकल प्रमाणपत्र अनिवार्य है।
  • शादी का प्रमाण पत्र।
  • अगर तलाकशुदा हैं, तो पर्सनल लॉ द्वारा जारी डिवॉर्स सर्टिफिकेट या न्यायालय द्वारा जारी फैसला।
  • अगर आप अकेले बच्चे को गोद ले रहे हैं, तो पति या पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र।
  • गोद लेने के समर्थन में परिचितों या रिश्तेदारों से दो संदर्भ (रेफरेंस) पत्र।
  • दत्तक परिवार में बड़े बच्चे व अन्य बच्चों की सहमति (अगर बच्चे 5 वर्ष से अधिक के हैं)।
  • अगर आप अविवाहित हैं, तो आप भी यहां बताए गए दस्तावेज जमा करके बच्चे को गोद ले सकते हैं।

अब सही दत्तक एजेंसी के बारे में पता लगाने से संबंधित जानकारी हम आपको देंगे।

मैं सही दत्तक एजेंसी के बारे में कैसे जान सकता हूं?

आपको सही दत्तक एजेंसी यानी एडॉप्शन एजेंसी के बारे में जानकारी लेने के लिए भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित होम सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी की वेबसाइट पर जाना होगा। इस वेबसाइट में आपको बाईं ओर बाल दत्तक ग्रहण संसाधन सूचना और मार्गदर्शन प्रणाली (चाइल्ड एडॉप्शन रिसोर्स इंफॉर्मेशन एंड गाइडेंस सिस्टम) लिखा दिखेगा। उसके नीचे आप देखेंगे, तो एजेंसी ऑप्शन मिलेगा। इस पर क्लिक करें। इसके बाद अब आप अपनी जरूरत के अनुसार इसमें साइन इन करके अपने आसपास की अडॉप्शन एजेंसी के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं (2)

बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया पूरा होने में कितना समय लगता है, यह जानना भी जरूरी है। आर्टिकल के इस हिस्से में आपको यही जानने को मिलेगा।

एक बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया में कितना समय लगता है?

एडॉप्शन रेगुलेशन 2017 की अनुसूची XIV के मुताबिक बच्चे को गोद लेने से संबंधित सभी प्रक्रिया के लिए समय सीमा निर्धारित की गई है। इसके अलावा, बच्चे को गोद लेने का वास्तविक समय कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे बच्चे को गोद लेने वाले बच्चे से संबंधित मांगें जैसे लिंग, उम्र, चिकित्सा स्थिति व राज्य। बताया जाता है कि वर्तमान समय में बच्चे को गोद लेने के लिए ज्यादा लोग सामने आ रहे हैं, जबकि बच्चे कम हैं, इसलिए बच्चे को गोद लेने में ज्यादा समय लग सकता है (1)

अनुसूची XIV के तहत पंजीकरण की प्रक्रिया में लगने वाले अनुमानित समय के बारे में हम नीचे बता रहे हैं (7) :

  • भावी दत्तक माता-पिता को पंजीकरण के बाद 30 दिन के अंदर दस्तावेज अपलोड करने होते हैं।
  • इसके बाद बच्चे को गोद लेने के इच्छुक व्यक्ति के घर जाकर समाजसेवी को होम स्टडी रिपोर्ट तैयार करके 30 दिन के अंदर जमा करनी होती है।
  • इसके बाद रेफरल के 48 घंटे के अंतर ही दत्तक माता-पिता को एक बच्चे को आरक्षित करना होता है।
  • बच्चे को आरक्षित करने के 20 दिन के अंदर एजेंसी बच्चे की मिलान प्रक्रिया करती है।
  • अब स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी को एडॉप्शन ऑर्डर की तारीख के लिए कोर्ट में 10 कार्य दिवस के अंदर आवेदन दाखिल करना होगा।
  • याचिका दाखिल होने के बाद कोर्ट दो महीने के अंदर ऑर्डर देता है।
  • कोर्ट से ऑर्डर आने के 10 दिन के अंदर एजेंसी को फैसले की कॉपी लेकर भावी दत्तक माता-पिता को देनी होगी।

अब बात करते हैं बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया के दौरान लगने वाले शुल्क के बारे में।

भारत में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया में कितना खर्च लगेगा?

बच्चे को गोद लेते समय आपको कुछ शुल्क भी अदा करना पड़ता है। दत्तक ग्रहण विनियम 2017 के मुताबिक स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी (Specialized Adoption Agency) द्वारा लिए जाने वाला शुल्क कुछ इस प्रकार हैं (1) :

  • होम स्टडी रिपोर्ट के लिए ₹6000 शुल्क।
  • चाइल्ड केयर कॉर्पस (कोष) को ₹40,000 फीस।
  • बच्चा गोद लेने के बाद प्रत्येक फॉलोअप विजिट के लिए बतौर शुल्क 2000 रुपये अदा करने होंगे। यह विजिट दो साल में चार बार होती है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या बच्चे को गोद लेने के लिए न्यूनतम आय की आवश्यकता है?

दत्तक ग्रहण विनियम 2017 में बच्चा गोद लेने के लिए किसी तरह की न्यूनतम आय का जिक्र नहीं किया गया है। हालांकि, घर के अध्ययन यानी होम स्टडी के लिए जब सामाजिक कार्यकर्ता आते हैं, तो वह आपकी आर्थिक क्षमता का आंकलन करते हैं। यह आंकलन इस बात को सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि आप बच्चे को अच्छा जीवन स्तर मुहैया करा सकते हैं या नहीं (1)

अगर मेरा पहले से ही एक बच्चा है, तो क्या मैं बच्चा गोद ले सकता हूं?

जी हां, आप बिल्कुल बच्चा गोद ले सकते हैं। नियम के मुताबिक अगर आपके तीन से कम बच्चे हैं तो आप बच्चे को गोद लेने के पात्र हैं। ध्यान रहे कि अगर आप अविवाहित, अकेले या तलाकशुदा पुरुष हैं, तो आप लड़की को गोद नहीं ले सकते। वहीं, महिला किसी भी लिंग के बच्चे को गोद ले सकती है।

मैं एक परित्यक्त बच्चे को कैसे अपना सकता हूं?

ऊपर लेख में अनाथ व परित्यक्त बच्चे को अपनाने यानी गोद लेने की प्रक्रिया को क्रमवार तरीके से समझाया गया है। आप उन स्टेप्स को अपनाकर ऐसे बच्चे को अपना सकते हैं। ध्यान रहें कि अगर आपको सड़क किनारे या कही ओर कोई शिशु या बच्चा मिलता है, तो आप उसे सीधे अपने घर लाकर अपना नहीं सकते हैं। आपको सबसे पहले इनमें से किसी एक को बच्चे के बारे में जानकारी देनी होगी (1)

  • टोल फ्री नंबर -1098
  • स्थानीय पुलिस
  • कोई विशेषीकृत दत्तक ग्रहण एजेंसी (SAA)
  • बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी)
  • जिला बाल संरक्षण इकाई (डीसीपीयू)

इसके बाद चाइल्ड वेल्फेयर सोसाइटी (CWS) सामाजिक जांच करेगी। इस दौरान, अगर बच्चे से संबंधित कोई रिश्तेदार या माता-पिता का पता नहीं चल पाता या कोई आगे बढ़कर बच्चे की पहचान नहीं करता है, तो CWC बच्चे को गोद लेने के लिए फ्री घोषित कर देती है। इसके बाद आप उस बच्चे को ऊपर दी गई प्रक्रिया के तहत अपना सकते हैं (4)

विश्वभर में कई ऐसे नवजात, शिशु या अन्य बच्चे होते हैं, जो किसी कारणवश अपनों के प्यार से वंचित रह जाते हैं। ऐसे बच्चे का भविष्य संवारकर उन्हें ममता की छांव देने की आपकी कोशिश समाज को एक नेक संदेश देगी। आशा करते हैं कि बच्चा गोद लेने के संबंध में यह आर्टिकल आपकी मदद करेगा। अगर आपका कोई दोस्त या परिचित भी बच्चा गोद लेना चाहता है, तो आप उसके साथ इस लेख को जरूर शेयर करें। इसके अलावा, अगर आपके मन में बच्चे को गोद लेने से संबंधित कोई सवाल है, तो आप हमसे कमेंट बॉक्स के माध्यम से जुड़ सकते हैं। साथ ही अगर आपको लगता है कि गोद लेने के संबंध में कोई प्रक्रिया हमसे छूट गई है, तो आप उस विषय में हमें बता सकते हैं। हम प्रमाण सहित उसे शामिल करने का प्रयास करेंगे।

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