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बच्चों के विकास के कई चरण होते हैं। इसमें दूध के दांत आना और टूटना दोनों शामिल है। दूध के दांत आने और टूटने का एक सही समय होता है। कई बार इन दांतों के टूटने में देरी होती है, लेकिन इसका कारण माता-पिता को पता नहीं होता। ऐसे में दूध के दांत आने और टूटने से जुड़ी सारी जानकारी इस लेख से आप हासिल कर सकते हैं। साथ ही यहां दूध के दांतों की संख्या और इनके टूटने के बाद किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए, वो भी आप जान पाएंगे।
आर्टिकल में सबसे पहले जानते हैं कि दूध के दांत कितने होते हैं।
दूध के दांत (Milk teeth) कितने होते हैं?
दूध के दांत कुल 20 होते हैं, 10 नीचे और 10 ऊपर। बताया जाता है कि सबसे पहले बच्चों के निचले जबड़े के बीच के दो दांत यानी लोअर इनसाइजर आते हैं। फिर ऊपरी जबड़े के सामने के दो दांत यानी अपर इनसाइजर निकलते हैं। इनके बाद धीरे-धीरे अन्य दांत आते हैं (1)।
अब जानिए दूध के दांत निकलने और टूटने का सही समय।
बच्चों के दूध के दांत निकलने व टूटने की उम्र व चार्ट
बच्चों के दूध के दांत अलग-अलग समय पर आते और टूटते हैं। आगे हम दो चार्ट के माध्यम से बच्चों के दांत निकलने की उम्र और टूटने का वक्त बता रहे हैं (2) (3)।
दूध के दांत आने का समय
दांतों के प्रकार | ऊपरी जबड़े के दूध के दांत आने का समय | निचले जबड़े के दूध के दांत आने का समय |
सेंट्रल इनसाइजर्स | 8 से 13 महीने | 6 से 10 महीने |
लेट्रल इनसाइजर्स | 8 से 13 महीने | 10 से 16 महीने |
कैनाइन | 16 से 23 महीने | 16 से 23 महीने |
फर्स्ट मोलर | 13 से 19 महीने | 13 से 19 महीने |
सेकंड मोलर | 25 से 33 महीने | 23 से 31 महीने |
बच्चों के दूध के दांत टूटने का समय
दांतों के प्रकार | ऊपरी जबड़े के दूध के दांत टूटने का समय | निचले जबड़े के दूध के दांत टूटने का समय |
सेंट्रल इनसाइजर्स | 6 से 7 साल की उम्र | 10 से 12 साल की उम्र |
लेट्रल इनसाइजर्स | 7 से 8 साल की उम्र | 9 से 11 साल की उम्र |
कैनाइन | 10 से 12 साल की उम्र | 9 से 12 साल की उम्र |
फर्स्ट मोलर | 9 से 11 साल की उम्र | 7 से 8 साल की उम्र |
सेकंड मोलर | 10 से 12 साल की उम्र | 6 से 7 साल की उम्र |
यहां जानते हैं बच्चों के दूध के दांत तोड़ने के कुछ आसान टिप्स।
बच्चे के दूध के दांत निकालने के लिए टिप्स
वैसे तो बच्चों के दूध के दांत प्राकृतिक रूप से यानी अपने आप ही टूट जाते हैं। अगर कुछ परिस्थितियों के कारण दांत नहीं टूटते, तो उन्हें निकालने के लिए कुछ टिप्स को अपनाया जा सकता है। ये टिप्स कुछ इस प्रकार हैं।
- दांत को निकालने के लिए हाथों को अच्छी तरह साफ करके उन्हें हिलाएं और हल्के हाथों से आगे-पीछे करें।
- साफ कपड़े से दांत पर हल्का दबाव बनाकर भी दांत को तोड़ा जा सकता है।
- बच्चे को कहें कि वह जीभ से दांत को आराम-आराम से धकेले। इससे दांत निकालने में मदद मिलेगी, लेकिन समय ज्यादा लग सकता है।
- बच्चे के दूध के दांत को तोड़ने से पहले उसके मसूड़ों पर दर्द को कम करने वाली दवा लगा सकते हैं। इस दवा के इस्तेमाल से बच्चे को दूध के दांत टूटते समय ज्यादा दर्द नहीं होता है, क्योंकि इससे बच्चे के मसूड़े कुछ समय के लिए सुन हो जाता है। इन दवाओं का इस्तेमाल डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही करें। (और पढ़ें –उम्र के अनुसार लंबाई और वजन का चार्ट)
- हल्के हाथों से मसूड़ों की मालिश कर सकते हैं।
- हिलने वाले दांत को रोजाना फ्लॉस करने से भी दांत आसानी से टूट सकता है।
- बच्चे को सीधे डेंटिस्ट यानी दंत चिकित्सक के पास भी ले जा सकते हैं। वह सही तरह से दांत को निकाल देंगे।
अब जानिए दूध के दांत टूटने के बाद ध्यान दी जाने वाली बातें।
बच्चे के दूध के दांत टूटने के बाद रखी जाने वाली सावधानियां
दूध के दांत टूटने के बाद कुछ सावधानियां बरतना जरूरी है, जिनके बारे में हम नीचे बता रहे हैं।
- बच्चों के मसूड़ों को नमक के पानी से धो सकते हैं। इसके लिए बच्चे को नमक के पानी का कुल्ला करने को कहें। इससे बच्चे को मसूड़ों के दर्द से राहत मिल सकती है
- बच्चों के दूध के दांत टूटने पर उनके बीच में स्पेस मेंटेनर लगवा सकते हैं। इससे आने वाले दांतों के बीच में पर्याप्त अंतर बना रहेगा और दांतों को टेढ़ा-मेढ़ा होने से बचाया जा सकता है
- बच्चे को कुछ भी कड़क चीज या फिर वो खाद्य पदार्थ खाने के लिए न दें, जो उनके मसूड़ों को चुभे और घाव बना दे
- दांत टूटने के बाद बच्चों को बार-बार खाली स्थान पर जीभ लगाने से मना करें। इससे भी दांतों की शेप बिगड़ सकती है
- मुंह में बच्चे को हाथ डालने न दें। इससे ओरल इंफेक्शन होने के साथ ही दांतों का आकार भी प्रभावित हो सकता है
- बच्चों को हार्ड ब्रश न दें। इससे उनके मसूड़े छिल सकते हैं
- शिशु को चॉकलेट और दूध देने के बाद मुंह कुल्ला करवाएं
- यदि दांत टूटने के बाद लगातार खून निकल रहा है, तो शीघ्र ही डॉक्टर के पास जाएं
आर्टिकल के अगले हिस्से में हम बता रहे हैं दूध के दांत न टूटने के क्या कारण होते हैं।
कुछ बच्चों में दूध के दांत देरी से क्यों टूटते हैं?
कुछ स्थितियों में बच्चों के दूध के दांत देरी से टूटते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं।
- हाइपोपिट्यूटेरिज्म : इस स्थिति के कारण बच्चों के दूध के दांत गिरने में देरी हो सकती है (4)। यह एक ऐसा विकार है, जिसमें पिट्यूटरी ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में ट्रॉफिक हार्मोन का उत्पादन नहीं करती है।
- स्थायी दांतों का देरी से आना : दूध के दांत का देरी से गिरने का एक कारण स्थायी दांतों के आने में देरी होना भी होता है। दरअसल, स्थायी दांत जब निकलते हैं, तो अपनी जगह बनाने के लिए वो दूध के दांतों को हल्का धक्का लगाते है। इससे दूध के दांतों की जड़ें कमजोरी होती हैं और वो टूटते हैं (5)।
- एंडोक्राइन ग्लांड्स: एंडोक्राइन ग्रंथि के कार्य में होने वाली बाधा के कारण भी दूध के दांत देरी से गिर सकते हैं (6)।
- एंकिलोसिस: इस स्थिति में भी दांतों के गिरने में देरी हो सकती है। यह एक ऐसी अवस्था है जब दांतों की हड्डियां आपस में स्टिफ हो जाती हैं (6)।
- पोषक तत्वों की कमी: दूध के दांतों का देरी से गिरने का एक कारण पोषक तत्वों की कमी को भी माना गया है। दरअसल, पोषक तत्वों की कमी के कारण नए दांत बनने में बाधा उत्पन्न होती है, जिस वजह से दूध के दांत देरी से गिरते हैं। रिसर्च में विटामिन ए, सी और डी की कमी को प्रमुख माना गया है (5)।
अब जानते हैं कि यदि बच्चे के दूध के दांत नहीं टूटते हैं, तो क्या समस्याएं हो सकती हैं।
बच्चे के दूध के दांत नहीं टूटने या देरी से टूटने से होने वाली परेशानियां
यदि बच्चे के दूध के दांत देरी से टूटते हैं, तो उन दांतों के ऊपर ही स्थायी दांत आ सकते हैं। इसके अलावा, बच्चों के दांतों का सेट भी बिगड़ सकता है। मतलब बच्चों के दांत आढ़े-तिरछे हो सकते हैं। साथ ही स्थायी दांतों का गलत जगह से विकास हो सकता है।
आगे हम इस विषय पर प्रकाश डाल रहे हैं कि दांतों के गिरने के समय ब्रश करें या नहीं।
यदि बच्चे के दांत गिर रहे हैं, तो क्या ब्रश करना आवश्यक है?
हां, दांत गिर रहे हैं, तो भी बच्चों को ब्रश करना जरूरी होता है। इससे मौखिक सफाई बनी रहती है। साथ ही शेष बचे हुए दांतों की सफाई के लिए भी ब्रश करना जरूरी है। इसके अलावा, दूध के दांत टूटने के बाद स्थायी दांत उसी जगह पर आते हैं। ऐसे में दांतों की सफाई न करने से मुंह में कैविटी जमने और दर्द होने का खतरा बना रहता है। यह इंफेक्शन दूध के दांत से स्थायी दांत को लग सकता है और उसे नुकसान पहुंच सकता है (3)।
आर्टिकल के आखिर में हम बता रहे हैं कि डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए।
चिकित्सक से कब परामर्श करें
कुछ स्थितियों में डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है। क्या हैं वो स्थितियां आगे जानिए।
- यदि बच्चे के दूध के दांत आने से मसूड़ों में काफी ज्यादा सूजन और दर्द है, तो डॉक्टर को संपर्क करें।
- दूध के दांत समय से नहीं आ रहे हैं या टूट रहे हैं, तो डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
- दांतों में कैविटी या इंफेक्शन होने पर भी डॉक्टर से चेकअप कराना जरूरी है।
- दूध के दांतों में लगी बीमारी को स्थायी दांतों तक पहुंचने से बचाने के लिए विशेषज्ञ से संपर्क करें।
बच्चों के मोतियों जैसे दांत और मुस्कान हर किसी का मन मोह लेते हैं। बच्चों की इस मुस्कान को बनाए रखने के लिए उनके दांतों का स्वस्थ होना जरूरी है। यहां हमने आपको बच्चों के दूध के दांतों से जुड़ी तमाम जानकारी दी है। इस आर्टिकल में दी गई जानकारी से बच्चों के दूध के दांतों को तोड़ने और नए दांतों की देखभाल करने में मदद मिल सकती है। ध्यान रहे कि यदि दांतों से संबंधित समस्या गंभीर हो, तो डॉक्टर के यहां जाने से हिचकिचाना नहीं चाहिए।
References
1. Teething By MedlinePlus
2. Oral health and disease By NCBI
3. Tooth eruption The primary teeth By ADA
4. Oral manifestations in growth hormone disorders By NCBI
5. Physiologic root resorption in primary teeth By JOS
6. Delayed tooth eruption and its pathogenesis in paediatric patient: a review By medcraveonline
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